लौह अयस्क के निर्यात पर लग सकती है पाबंदी
देश में लौह अयस्क का जो भंडार बचा है वह सिर्फ और 10 साल के लिए काफी होगा। यह बात संसद की एक समिति ने कही...
सरकार को लौह अयस्क के निर्यात पर पाबंदी लगाने की संभावनाएं तलाशनी चाहिए ताकि इस्पात बनाने के लिए आवश्यक इस कच्चे माल की उपलब्धता बरकरार रखी जा सके, क्योंकि देश में लौह अयस्क का जो भंडार बचा है वह सिर्फ और 10 साल के लिए काफी होगा। यह बात संसद की एक समिति ने कही है।
संसदीय समिति ने कहा है कि समिति इस बात से चिंतित है कि लौह-अयस्क का भंडार सिर्फ 2021-22 तक चल सकता है। घरेलू इस्पात उद्योग के दीर्घकालिक उपयोग के लिए लौह अयस्क को संरक्षित करने और कम कीमत पर उन्हें यह कच्चा माल उपलब्ध कराने के लिए सरकार को लौह अयस्क निर्यात को प्रतिबंधित करने की संभावनाएं जरूर तलाशनी चाहिए।
कल्याण बनर्जी की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा है कि लौह अयस्क का उत्पादन घरेलू खपत के मुकाबले बहुत अधिक है जिसके कारण आधे से ज्यादा मात्रा में इसका निर्यात किया गया। आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक भारत में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 20.8 करोड़ टन लौह अयस्क का उत्पादन किया गया और 9.76 करोड़ टन का निर्यात किया गया। 2009-10 में भारत ने 11.73 करोड़ टन लौह अयस्क का निर्यात किया।
भारत ज्यादातर चीन को लौह अयस्क का निर्यात करता है कि जो उसके कुल आयात का 22 फीसदी है।