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एकल परिवारों में भी आती है बड़ों की याद

दुमका। संयुक्त पिरवार टूट रहे हैं और एकल पिरवारों की तादाद में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। भले ही यह सब किसी मजबूरी के तहत हो रहा है लेकिन एकल पिरवार भी अब भी संयुक्त पिरवार को अपने दिलोदिमाग...

एकल परिवारों में भी आती है बड़ों की याद
Mon, 16 May 2011 12:32 AM
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दुमका। संयुक्त पिरवार टूट रहे हैं और एकल पिरवारों की तादाद में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। भले ही यह सब किसी मजबूरी के तहत हो रहा है लेकिन एकल पिरवार भी अब भी संयुक्त पिरवार को अपने दिलोदिमाग से निकाल नहीं पाए हैं। जब कभी छुट्टी पर जाना होता है, पिरवार में कोई बीमार होता है।

पत्नी को छोड़कर दूसरे शहर में जाना होता है तो घर के वे बड़े- बुजुर्ग याद आते हैं जिंन्हें अकेले रहने की चाहत में बिसरा दिया गया था। परिवार दिवस के अवसर पर कुछ बच्चों और महिलाओं से हिन्दुस्तान ने बात की तो सभी का कहना था कि भले ही वे अकेले रह रहे हों लेकिन संयुक्त पिरवार के साथ रहने का अपना अलग ही आनंद है।

राखाबनी दुमका की शंकरी देवी उर्फ टुनी का कहना है कि जब हमारे यहां कोई बड़ी पार्टी होती है, पर्व त्योहार होता है या फिर कहीं घूमने जाने का मन करता है और उस समय घर में रहने वाला कोई नही होता है। ऐसे वक्त हमें सबसे ज्यादा संयुक्त पिरवार की याद आती है। संयुक्त पिरवार में रहना ज्यादा फायदेमंद होता है क्योकि उसमें होने वाला खर्च बंट जाता है। केवल एक के ऊपर बोझ नही पड़ता है।

सरिता शर्मा के अनुसार जब भी मैं दुख में होती हूं तो मुझे संयुक्त पिरवार की याद आती है क्योंकि उस समय हमें सांत्वना देने वाले की कमी महसूस होती है। संयुक्त पिरवार में रहना ज्यादा फायदेमंद होता है क्योकि उसमें बड़ों का हमारे ऊपर हाथ होता है एवं हर गलती को सुधारने का अवसर प्रदान होता है।

बाबूपाड़ा निवासी सुरभि मीनाक्षी के मुताबिक जब हमारा छोटा बच्चा आधी रात में रोता है और उसे हमें उठकर चुप कराना पड़ता है उस समय हमें संयुक्त पिरवार की बहुत याद आती है। तेली पड़ा की अनीता देवी की मानें तो जब कहीं घूमने के लिए जाना होता है तो घर में रहने वाला कोई नहीं होता। ऐसे में संयुक्त पिरवार की कमी बहुत खलती है।

दादी की कहानियां सुनने को तरसते एकल पिरवार के बच्चे

दुमका। एकल पिरवार के बच्चे अपने दादा-दादी को काफी मिस करते हैं। पापा और दादा में अधिकांश बच्चों दादा को पसंसद करते हैं। वहीं मम्मी और दादी में भी कई बच्चों ने बताया कि उन्हें दादी बहुत याद आती हैं। कुछ बच्चों को दादी की कहानियों के साथ ही मम्मी का आंचल भी चाहिए।

अंकुश का कहना है कि दादाजी और पापा में मुझे दादाजी के साथ रहना ज्यादा अच्छा लगता है क्योंकि वे मुझे कहानी के माध्यम से काफी अच्छी-अच्छी शिक्षा देते हैं। वहीं मम्मी और दादी में मैं मम्मी के साथ रहना पसंद करता हूं। एक अन्य बच्चों किनष्ठ का कहना है कि मुझे पापा के साथ रहना पसंद है क्योंकि दादाजी मुझे केवल कहानी सुनाते हैं लेकिन पापा मेरे साथ खेलते एवं पढ़ाते भी हैं।

वहीं मम्मी और दादी में मैं मम्मी के साथ रहना पसंद करता हूं क्योकि मैं शुरू से ही मम्मी के साथ ही रहा हूं एवं वह मुझे प्रत्येक दिन चॉकलेट देती हैं। मुन्ना का कहना है कि उसे दादाजी के साथ रहना पसंद है क्योंकि वे कहानियां सुनाते हैं और कभी मारते नहीं। दादी हमें दूध भात खिलाती है एवं चन्दा मामा की कहानी भी सुनाती है।

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