विशेष संवाददाता लखनऊ। पिपराइच सीट के उपचुनाव में भारी वोटों से जीत हासिल कर समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनावों से पहले अपनी ताकत का अहसास कराया है। प्रदेश में इससे पहले हुए दो उपचुनावों निधौलीकलां और लखीमपुर खीरी में भी जीत चुकी सपा यह दावा कर रही है कि प्रदेश की जनता ने उसे विकल्प के तौर पर तय कर लिया है।
पिपराइच के नतीजों से अगर सपा के हौसले बुलंद हैं तो भाजपा की खासी फजीहत हुई है क्योंकि यहां उनके प्रत्याशी राधेश्याम वह निर्दलीय से हारकर तीसरे नंबर पर चले गए। यह सीट योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर का हिस्सा है इसिलए यहां भाजपा की हार के अलग मायने हैं। सत्तारूढ़ बसपा इस उपचुनाव में भी नहीं लड़ी थी।
लेकिन सपा के नेताओं को सही मानें तो निर्दलीय पप्पू जायसवाल को स्थानीय स्तर पर बसपा का पूरा समर्थन था। इलाके में जायसवाल का अपना भी प्रभाव है। शायद उसके साथ बसपा का भी ‘समर्थन’ जुड़ जाने के कारण वह सीधे मुकाबले में आ गए। बसपा ‘समिर्थत’ प्रत्याशी को हराने में कामयाबी के कारण सपा में उत्साह ज्यादा है।
प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इलाके की जनता को धन्यवाद देते हुए कहा कि इन नतीजों ने संकेत दे दिया है कि आने वाले वक्त में यूपी में कैसे नतीजे आएंगे। पिपराइच के उपचुनाव की एक खास बात यह भी थी कि यहां कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारने की बजाए सपा की राजमती निषाद को समर्थन देने की घोषणा की थी। बाद में कांग्रेस की ओर से कहा गया कि समर्थन सपा को नहीं बिल्क राजमती को है।
वैसे, कांग्रेस के बड़े नेता राजमती के लिए प्रचार से दूर रहे थे। अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव, आनंद भदौरिया, सुनील यादव समेत बाकी सपा नेताओं ने ही राजमती के लिए खूब प्रचार किया। राजमती की जीत में कांग्रेस का भी योगदान मानते हैं या नहीं? इसके जवाब में अखिलेश यादव ने इतना भर कहा कि उन्हें तो कई दलों का समर्थन था। अलबत्ता नतीजों के बाद कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने बयान जारी कर राजमती निषाद को बधाई दी है।