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बहिनजी की कामयाबी का ‘नत्था लाइव’

प्रमुख संवाददाता लखनऊ। उधर टीवी चैनल ‘दीदी’ और ‘अम्मा’ की कामयाबी का बखान कर रहे थे और इधर अंबेडकर सभागार के अंदर ‘पीपली लाइव’ का नत्था बहिनजी की उपलब्धियों पर...

बहिनजी की कामयाबी का ‘नत्था लाइव’
Sat, 14 May 2011 01:47 AM
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प्रमुख संवाददाता लखनऊ। उधर टीवी चैनल ‘दीदी’ और ‘अम्मा’ की कामयाबी का बखान कर रहे थे और इधर अंबेडकर सभागार के अंदर ‘पीपली लाइव’ का नत्था बहिनजी की उपलब्धियों पर मानो अपनी मुहर लगा रहा था। वहां कामयाबी की नई इबारत गढ़ी जा रही थी और यहां उपलब्धियों पर मगन होने की बारी थी।

भरी गरमी में कौशाम्बी से आए कार्यकर्ता रामबिंद पूरी व्यस्तता के साथ मोबाइल कान से सटाए, ‘सालगिरह में आए हैं, सालगिरह में..।’ ‘किसकी..? बहिनजी की..?’ ‘अरे नहीं, सरकार के जो 4 साल पूरे हुए हैं, उसकी सालगिरह में।’ भीतर मुख्यमंत्री मायावती सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं की घोषणाओं का पिटारा खोल रही थीं। बाहर पुलकित, गदगद कार्यकर्ता सुदूर खेत-खलिहान में व्यस्त गांव-जुआर वालों को मोबाइल पर ‘अपनी सरकार’ की कामयाबी का लाइव बता-सुना रहे थे।

अम्बेडकर सभागार में भीड़ खूब जुटी सो बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पण्डाल में डट गए। वाराणसी से आई रन्नो बोली,‘खड़ै हो के सुन लेब बहिनजी का। हमइन लोग देर से आए। सगरी कुर्सियन भर गइन। सुना, पीछै भारी पण्डाल लगा है।’ पण्डाल में लगभग 20 हजार कुर्सियां, पानी फेंकते पंखे और सामने लगी पांच बड़ी स्क्रीन, नाश्ते-पानी, मोबाइल, टॉयलेट तक का इंतजाम..।

अम्बेडकर नगर से आई फूलकुमारी तो बस बहिनजी के एक दीदार के लिए लगातार कुर्सी पर जमी बैठी रहीं। फतेहपुर के रामखेलावन बोले, ‘काहे की गरमी.. बहिनजी बुलाइन राहे मीटिंग खातिर। आवैक रहै। आपन काम करन मा कइसी सरदी, कइसी गरमी। ’बस्ती से आए आशारामबोले, ‘जस बिटिया की सादी, गोहूं काटै जरूरी है वइसी ही बहिनजी बुलवाइन तो आवैक जरूरी है। आपन काम है हमार।

’सभागार में मायावती ज्यों ही भाषण देने के लिए खड़ी हुईं खूब नारे लगे। बाहर पण्डाल में बहिनजी के दीदार को बैठी कोई बीस हजार जोड़ा आंखों ने पांचों बड़ी टीवी स्क्रीन पर कब्जा कर लिया। बसपा प्रमुख के भाषण में घोषणाओं, ललकार और विरोधियों को फटकार के दौरान कार्यकताओं का जोश आसमान पर पहुंचा।

अंदर बहिनजी का भाषण जारी था। वे कह रहीं कि जो कार्यकर्ता लखनऊ के नए निर्माण देखना चाहें वे रुक कर घूम सकते हैं। बाहर छत्रपतिशाहूजी महाराज के श्रीनाथ सभागार देख कर भावविभोर हो रहे थे। बोले,‘अब हियां से जाए कि तबीयत नहीं, बहुत सुंदर बनवाइन है। अबकी पूरा नखलऊ घूमइबै।’

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