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दस साल के आंकड़े हैं 14वीं रैकिंग के गवाह

-चंडीगढ़ पर आए सर्वे को लेकर बोले इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पीटीटिवनेस के चेयरमैन -सर्वे को लेकर सवाल बरकरारचंडीगढ़।क्वालिटी ऑफ लाइफ के मामले में चंडीगढ़ के फिसड्डी होने को लेकर हंगामा जारी है। सीआईआई और...


दस साल के आंकड़े हैं 14वीं रैकिंग के गवाह
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 14 Apr 2010 07:24 PM
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-चंडीगढ़ पर आए सर्वे को लेकर बोले इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पीटीटिवनेस के चेयरमैन -सर्वे को लेकर सवाल बरकरारचंडीगढ़।क्वालिटी ऑफ लाइफ के मामले में चंडीगढ़ के फिसड्डी होने को लेकर हंगामा जारी है। सीआईआई और इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पीटीटिवनेस के साझा तौर पर किए गए सर्वे में चंडीगढ़ को 14वां रैंक दिए जाने पर जहां सवाल खड़े होने का सिलसिला जारी है वहीं दूसरी ओर सर्वे तैयार करने वाले अपना राग अलाप रहे हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पीटीटिवनेस के चेयरमैन डॉ अमित कपूर व संदीप मान बुधवार को सर्वे पर अपनी बात रखी। डॉ अमित कपूर कहा कि इस सर्वे में देशभर के चुनिंदा शहरों का बेहद बारीकी से अध्ययन किया गया है। सर्वे में किसी एक खास वर्ग से बातचीत की बजाए पिछले दस साल के आंकड़ाें को तव्वजो दी गई है। इन दस सालों की विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से समीक्षा की गई है, जिसके आधार पर शहर का आंकलन हुआ है। खास बात यह है कि शहर की पूरी आबादी के आधार पर रहनसहन की तस्वीर तैयार हुई है। डॉ अमित कपूर के मुताबिक चंडीगढ़ के 14वें रैंक पर आने के पीछे बड़ी वजह वह कमियां हैं, जिन्हें अब तक नजरअंदाज किया जाता रहा है। माइग्रेशन की ही बात करें तो चंडीगढ़ देश के अन्य शहरों की तुलना 34वें रैंक पर आता है। यहां पिछले दस सालों में बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ी है, जिससे आपराधिक घटनाओं में इजाफा हुआ है। यही वजह है कि चंडीगढ़ को 36वां रैंक मिला है। इसी के चलते सुरक्षा की दृष्टि से भी चंडीगढ़ संवेदनशील हुआ है और सर्वे में 29वें रैंक पर टिका है। डॉ अमित कपूर के मुताबिक चंडीगढ़ का मतलब केवल ली कार्बूजिए का शहर होना नहीं है, यहां पर अभी भी कई ऐसी चुनौतियां हैं, जिसपर यहां के प्रशासनिक ढांचे को ध्यान देने की जरूरत है। चंडीगढ़ प्रशासन को इसके लिए नई सोच के साथ आगे आना होगा ताकि यह शहर क्वालिटी ऑफ लाइफ के पैमाने में टॉप पोजीशन पर आ सके।सर्वे में छेद बरकरारसुरक्षा को लेकर बड़ा सवालसर्वे को लेकर सवाल अभी भी बरकरार हैं। सुरक्षा की बात करें तो चंडीगढ़ को दिल्ली व मुंबई से भी कमतर आंका गया है। मुंबई को जहां सुरक्षा के लिहाज से चौथा रैंक और दिल्ली को पहला रैंक दिया गया है वहीं चंडीगढ़ को सुरक्षा के लिहाज से 29वां रैंक दिया गया है। यह आलम तब है जबकि दिल्ली में आपराधिक घटनाएं और मुंबई बम धमकों की नगरी के तौर पर उभरी है। हाल ही में हुए बम धमाकों के बाद तो मुंबईवासियों ने खुद अपनी सुरक्षा को लेकर असमंजस की बात स्वीकारी थी। इसी तरह, आपधारिक वारदात, साइबर क्राइम और रोड एक्सीडेंट के मामले में भी दिल्ली और मुंबई काफी संवेदनशील है। खुद चंडीगढ़ के एसएसपी सुधांशु शेखर श्रीवास्तव कहते हैं कि चंडीगढ़ दिल्ली की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित शहर है। वहीं, स्वयंसेवी संगठन एराइवसेफ के हरमन एस सिद्धू का कहना है कि यह आंकलन सही नहीं है। संभवत: यह सर्वे कॉमनवेल्थ गेम्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसी तरह, क्रिमनल लॉयर एएस सुखीजा का कहना है कि दिल्ली से चंडीगढ़ की तुलना करना किसी भी लिहाज से हजम नहीं होता। बेशक कोई भी पैरामीटर हो।योजनाबद्ध पर्यावरण पर भी सवालचंडीगढ़ को प्राकृतिक और योजनबद्ध पर्यावरण के लिहाज से देश के बद्दतर शहरों में आंका गया है, जो बड़ा सवाल पैदा करते हैं। चंडीगढ़ को देश के बड़े 37 शहरों की अपेक्षा प्राकृतिक और योजनाबद्ध पर्यावरण की सूची में 32वां स्थान दिया गया है। पर्यावरणविद् प्रोफेसर आरके कोहली इस आंकलन को बेसिरपैर की संज्ञा देते हैं। उनके मुताबिक चंडीगढ़ की रैकिंग को देखकर लगता है कि सर्वे करने वालों को इस बात की समझ ही नहीं है कि पर्यावरण के पैमाने क्या हैं? यह सर्वे पूरी तरह से इकतरफा है, जिसके जरिए खुद के स्वार्थ साधने का कार्य किया गया है।दूरसंचार पर भी सवालदूरसंचार सुविधा के मामले में भी चंडीगढ़ की रैकिंग सवालों के घेरे में है। चंडीगढ़ को 37 शहरों की तुलना कम्युनिकेशन में 36वां शहर बताया गया है। शहरवासियों के मुताबिक चंडीगढ़ में कम्युनिकेशन की बेहतर सुविधाएं हैं। प्रति व्यक्ति के हिसाब से ही बात करें तो चंडीगढ़ में अमूमन व्यक्ति के पास दूरसंचार के विकल्प मौजूद हैं। यही वजह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां यहां पर निवेश कर रही हैं। ऐसे में चंडीगढ़ को कम रैंक दिया जाना किसी भी लिहाज से सही नहीं है।सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक माहौल पर भी सवालसर्वे में चंडीगढ़ को सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक माहौल के लिहाज से भी कम रैकिंग दी गई है। चंडीगढ़ को इस सूची में 19वां शहर बताया गया है। इस रैकिंग को लेकर भी यहां के बाशिंदों को काफी ऐतराज है। चंडीगढ़ व्यापार मंडल के अध्यक्ष चरणजीव सिंह के मुताबिक बेशक चंडीगढ़ में दूसरे शहरों की तुलना राजनीतिक माहौल कम है लेकिन सामाजिक व सांस्कृतिक लिहाज से यह शहर एक संगम है। यहां पर विभिन्न समुदायों व संस्कृतियों के लोग बसे हुए हैं। सांस्कृतिक लिहाज से विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करता है।

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