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अब पता चलेगा, चंडीगढ़ में हैं कितने वन्यजीव

प्वाइंटर : चंडीगढ़ फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट करवाएगा वन्यप्राणियों की गिनतीवाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को गिनती का काम सौंपने की तैयारीइंट्रो : पहली बार होगी गिनती। जीवों के संरक्षण...


अब पता चलेगा, चंडीगढ़ में हैं कितने वन्यजीव
Mon, 12 Apr 2010 01:01 AM
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प्वाइंटर : चंडीगढ़ फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट करवाएगा वन्यप्राणियों की गिनतीवाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को गिनती का काम सौंपने की तैयारीइंट्रो : पहली बार होगी गिनती। जीवों के संरक्षण में होगी आसानी। अधिकारियों को तो राज्य पशु और पक्षियों की संख्या का नहीं है अभी तक पतावरिष्ठ संवाददाता चंडीगढ़ शहरवासियों को अब शहर के आसपास फैले वन्यक्षेत्र में रहने वाले वन्यप्राणियों का पूरा ब्यौरा मिल सकेगा। चंडीगढ़ फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट वन्यप्राणियों की गिनती करवाने जा रहा है। इसके लिए देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अधिकारियों से बात की गई है। जल्द ही इंस्टीट्यूट की एक टीम यहां का दौरा करेगी। कागजी औपचारिकताएं पूरी होते ही गिनती की प्रक्रिया चालू कर दी जाएगी।यह पहला मौका होगा, जब चंडीगढ़ के आसपास फैले करीब 3245.30 हेक्टेयर में रहने वाले वन्यप्राणियों की गिनती होगी। अभी तक चंडीगढ़ फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है, जिससे वन्यक्षेत्र में रहने वाले वन्यप्राणियों का पूरा ब्यौरा मिल सके। और तो और चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से घोषित किए गए राज्य पशु व पक्षी की कुल आबादी का भी कोई अता-पता नहीं है।हो रही थी परेशानीयही वजह है कि आबादी का सटीक आंकड़ा न होने की वजह से वन्यप्राणियों के संरक्षण को लेकर कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही है। ऐसा इसलिए भी है कि सटीक आंकड़ा न होने से इनकी संख्या कम या ज्यादा होने पर तुलना का कोई निश्चित पैमाना तक नहीं है। यहां है कई दुर्लभ पशु-पक्षीवन्यक्षेत्र की बात करें तो यहां जंगली सुअर, बारासिंघा, सांभर, पैंगोलिन, नेवला, सिविट जैसे वन्यप्राणियों व पैलस फिश ईगल, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, सोशल प्लोवर, ब्लैक टेल्ड गोडविट, ब्लैक बिल्ड टेरन, पेंटेड स्टोर्क, ब्लैक हेडेड आइसिस जैसे पक्षियों का रैनबसेरा है। कई वन्यजीवों को तो पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की तरफ से बेहद दुलर्भ वन्यजीवों की सूची में शामिल किया हुआ है। ऐसे में, संरक्षण के लिहाज से यह वन्यप्राणी काफी अहम हैं। बावजूद इसके सटीक आंकड़ा न होने से अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही। वन्यप्राणी विशेषज्ञ भी इस बात को कबूल करते हैं। उनके मुताबिक सटीक आंकड़ा होने से वन्यप्राणियों की आबादी पर नजर रहती है। इसके ठीक उलट अगर आंकड़ा नहीं है तो यह पता लगा पाना काफी मुश्किल है कि वन्यक्षेत्र में वन्यप्राणियों की आबादी कम हुई या ज्यादा।

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