सूबे में इको टूरिज्म की शुरू हुई मार्केटिंग कई ऐसे स्थल
िवनय कुमार झापटनासूबे के इको टूिरज्म में बहुत दम है। यही वजह है कि िबहार पर्यटन ने अब इसकी मार्केिटंग शुरू कर दी है। इस मकसद से कई स्थलों की पहचान की गयी है। सूबे में ऐसे कई झील, जलप्रपात व पक्षी...
िवनय कुमार झापटनासूबे के इको टूिरज्म में बहुत दम है। यही वजह है कि िबहार पर्यटन ने अब इसकी मार्केिटंग शुरू कर दी है। इस मकसद से कई स्थलों की पहचान की गयी है। सूबे में ऐसे कई झील, जलप्रपात व पक्षी अभयारण्य हैं जो देसी व िवदेशी पर्यटकों के िलए आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। जानकारों का मानना है कि इको टूिरज्म के स्थलों पर अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुिवधाएं िवकिसत कर दी जाएं तो िवदेशी सैलािनयों को इसके सहारे बेहतर तरीके से लुभाया जा सकता है। इस िदशा में पर्यटन िवभाग की ओर से कवायदें शुरू कर दी गयी हैं। कई स्थलों पर इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की सुिवधाएं िवकिसत करने का काम शुरू है तो कई स्थलों के िवकास के िलए डीपीआर बनायी जा रही है। --------------------------------------------------------------------------------सूबे में कई हैं पक्षी अभयारण्य; िवदेशी पक्षी भी िबहार सैर करने को आते हैं। कुछ खास ऐसे जगह हैं जहां िवदेशी पक्षी मौसम िवशेष में सैर को जरूर आते हैं। इस दौरान इन जगहों की अलग ही रौनक होती है। इसमें एक प्रमुख है बेगूसराय िस्थत कांवर झील। पर्यटन िवभाग ने इसके िवकास व पर्यटकीय सुिवधाएं िवकिसत करने के िलए 2.50 करोड़ रुपए की एक योजना बनायी थी पर कितपय वजहों से मामला अटक गया। इस योजना के तहत वहां टूिरस्ट िरसॉर्ट बनाने की तैयारी की गयी थी। साथ ही िवदेशी पर्यटकों को लुभाने के िलए आयुर्वेिदक िचकित्सा पद्धित थेरेपी ,देसी स्टाइल के कॉटेज, शोध केन्द्र, मनोरंजन केन्द्र व कैफेटेिरया भी बनाना था। वहीं वैशालीजिंले में परेला व सलीम अली जुब्बा सहनी पक्षी अभयारण्य, जमुई में नकटी डैम व नागी डैम, कुशेश्वर स्थान व दानापुर में भी िवदेशी पक्षी काफी तादाद में भ्रमण को आते हैं। इन स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पर्यटकीय सुिवधाएं िवकिसत करने की जरूरत है। -------------------------------------------------------------------------भीमबांध: राजधानी पटना से दो सौ किलोमीटर दूर िसथत भीमबांध राज्य का प्रमुख वन्य जीव अभयारण्य है। दुर्लभ वन्य प्रािणयों यथा टाइगर ,लेपर्ड, नीलगाय, सांभर, बार्किंग डीयर को िनर्भय िवचरण करते देखने का सुख िमलता है। साथ ही भीमबांध, सीता कुंड व ऋिष कुंड, रामेश्वर कुंड, खड़गपुर लेक, श्रंगी ऋिष कुंड भी हैं जहां गर्म झरना का आनन्द िलया जा सकत है। खड़गपुर की पहािड़यों में दुर्लभ नजारे देखने को िमलते हैं। ककोलत: नवादाजिंला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर िस्थत ककोलत जलप्रपात सैलािनयों के िलए आकर्षण का केन्द्र रहता है पर यथोिचत व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुिवधाएं िवकिसत नहीं हो पाने की वजह से पर्यटकों की आवक यहां उतनी नहीं हो पाती हैजिंतनी होनी चािहए। लगभग 160 फीट ऊपर से यहां पानी का िनर्बाध प्रवाह िदलकश नजारा पेश करता है। चारो तरफ हरे-भरे जंगल व बीच में इस फॉल की ओर पर्यटक िखंचे चले आते हैं। चैत संक्रािंत पर यहां बड़ा मेला भी आकर्षण का केन्द्र रहता है।वाल्मीकिनगर : यहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुिवधाएं िवकिसत करने की योजना शुरू है। करीब तीन करोड़ रुपए िफलहाल खर्च होने हैं। इसके तहत यहां टूिरस्ट िरसॉर्ट बनाया जाएगा। खान-पीने के िलए कैफे टेिरया, कॉटेज, मेिडटेशन सेंटर, मनोरंजन केन्द्र आिद िवकिसत किये जा रहे हैं। --------------------------------------------------------------------------------इको टूिरज्म को लेकर सरकार पूरी गंभीर है। इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। इस िदशा में िवभाग ने पहल शुरू कर दी है। वाल्मीकिनगर में िवकास के काम हो रहे हैं। ककोलत जलप्रपात के आसपास इंटरनेशनल स्तर की सुिवधाएं िवकिसत करने के िलए डीपीआर बनायी जा रही है। कई पक्षी अभयारण्यों में िवकास के काम होने हैं। कांवर झील के िलए योजना बनायी भी गयी थी पर कुछ खास वजहों से अभी यह लिंबत हैं। -रिश्म वर्मा , प्रधान सिचव पर्यटन िवभाग, िबहार सरकार।