नाटककार व रंगकर्मी अरुण सिन्हा का निधन रंगकर्मियों के बीच शोक
कार्यालय संवादातापटना।चर्चित नाटककार व रंगकर्मी अरुण सिन्हा अब नहीं रहे। 54 वर्ष की उम्र में बुधवार की देर रात उनका हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। गुरुवार को गुलबीघाट पर उनका अंतिम संस्कार संपन्न...
कार्यालय संवादातापटना।चर्चित नाटककार व रंगकर्मी अरुण सिन्हा अब नहीं रहे। 54 वर्ष की उम्र में बुधवार की देर रात उनका हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। गुरुवार को गुलबीघाट पर उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। उनके निधन से पटना के रंगकर्मियों के बीच शोक की लहर दौड़ गयी। कदमकुआं स्थित उनके आवास से शवयात्राा निकली जिसमें शहर के कई रंगकर्मी शरीक हुए। कालिदास रंगालय व डाक लेखा कार्यालय में भी उनका शव ले जाया गया जहां रंगकर्मियों व डाककर्मियों ने उन्हें भावभीनी अंतिम विदाई दी। वे डाकलेखा विभाग में कार्यरत थे। स्व. सिन्हा अपने लिखित नाटकों, फूल नौटंकी विलास, जागृति, तोता मैना की कहानी , अतीत के वातायन, गौतम से बुद्ध तक, बगुली की रूपकथा, वतन की राह में, अधूरे लोग, कायाकल्प, देख तमाशा देख, मैनावती, इंद्रधुनष आदि से हमेशा याद किये जाते रहेंगे। उन्होंने कई रेडियो नाटक, टेली फिल्म और वृत्तचित्र भी लिखे हैं। उनके परिवार में वृद्ध पिता कृष्ण मोहन मुरारी, भाई अजय सिन्हा, तीन पुत्रियां रिया, रुचि, ऋतु, पुत्र पीयूष व पत्नी हैं। रंगकर्मी सुमन कुमार, हृषिकेश सुलभ, अनिल वर्मा, मनोरंजन ओझा, अभय सिन्हा, किशोर केशव, प्रदीप गांगुली, नीलेश मिश्र, सोमा चक्रवर्ती, डा. ध्रुव कुमार, संजय सिंह, कुमार अनुपम, अशोक प्रियदर्शी आदि ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पटना रंगमंच ने एक सफल अभिनेता के साथ एक सिद्धहस्त नाटककार खो दिया है।