अधिक चुनौतीपूर्ण है राष्ट्रीय चैंपियनशिप : सौरभ
भारत के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी सौरभ वर्मा को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों की तुलना में राष्ट्रीय चैंपियनशिप अधिक चुनौतीपूर्ण लगती...
भारत के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी सौरभ वर्मा को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों की तुलना में राष्ट्रीय चैंपियनशिप अधिक चुनौतीपूर्ण लगती है। उनका मानना है कि इस तरह की चैंपियनशिप में खिलाड़ी कोच की अनुपस्थिति में स्वयं रणनीति तय करते हैं।
सौरभ ने कहा कि यह अधिक चुनौतीपूर्ण है क्योंकि आपको समझना पड़ता कि आपने कहां गलती है। अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में आपके साथ गाइड करने के लिये कोच होता है जबकि राष्ट्रीय चैंपियनशिप में आपको स्वयं की खुद की मदद करनी पड़ती है जिससे आपको खिलाड़ी के रूप में आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
यह 19 वर्षीय खिलाड़ी यहां 77वीं सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खुद पर पिछला चैंपियन होने का दबाव नहीं बनाना चाहता है। दुनिया में 33वें नंबर के इस खिलाड़ी का कहना है कि पुरुष एकल में अब मुकाबला कड़ा हो गया है।
उन्होंने कहा कि मैं परिणाम के बारे में नहीं सोच रहा हूं। मैं खिताब के बचाव के बारे में सोचकर खुद पर अनावश्यक दबाव नहीं बनाना चाहता हूं। पिछला साल बीता हुआ कल है। इस साल कई दावेदार है। पी कश्यप, अजय जयराम और साई प्रणीत जैसे कई खिलाड़ी हैं जो एक ही स्तर के हैं इसलिए इस बार आसान नहीं है।
सौरभ ने कहा कि उनके खिलाफ खेलना बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है क्योंकि हम एक दूसरे के खिलाफ काफी खेलते रहे हैं और एक दूसरे के खेल से अच्छी तरह अवगत हैं। इसलिए विरोधी की लय गड़बड़ाने के लिये मैच के दौरान रणनीति में बदलाव करना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि कश्यप और अजय आक्रामक खेल खेलते हैं। साई स्ट्रोक प्लेयर है। इसी तरह से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में आप कई खिलाड़ियों के खिलाफ खेलते हो जिनका खेल पूरी तरह भिन्न होता है। इसलिए उन्हें हराने के लिये ऑलराउंड खेल दिखाना जरूरी है और मैं इसके लिये तैयार हूं।