घर सा बना लो स्कूल
स्कूल खुले तकरीबन एक महीना हो चुका है। कैसा लगा छुट्टियों के बाद स्कूल आना? हां, हमें पता है कि छुट्टियों के बाद पढ़ाई में मन नहीं लग रहा...
स्कूल खुले तकरीबन एक महीना हो चुका है। कैसा लगा छुट्टियों के बाद स्कूल आना? हां, हमें पता है कि छुट्टियों के बाद पढ़ाई में मन नहीं लग रहा होगा। लेकिन पढ़ाई तो करनी ही है। स्कूल तो जाना है। वैसे भी देश के हर बच्चे को शिक्षा पाने का हक जो मिल चुका है। तो अब 6 से 14 साल तक के सभी बच्चे स्कूल जाकर शिक्षा हासिल कर सकते हैं। इसके लिए सरकार ने कानून भी पास कर दिया है, जिसे शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के नाम से जाना जाता है।
मगर इतनी सब बातें होने पर भी अगर तुम्हें स्कूल नहीं अच्छा लगता तो उसे अपने अनुसार ही ढाल लो। सबसे पहले अपनी क्लास से शुरू करो। क्लास सुंदर दिखनी चाहिए। उसकी दीवारें, पंखे, छत रंग-बिरंगे हों तो मजा आ जाए ना। दीवारों पर तुम चाहो तो खुद कलाकारी कर सकते हो या दोस्तों के साथ ग्रुप बनाकर कर लो। पर ये सब, क्लास टीचर से इजाजत लेकर करना।
जैसे घर में तुम ड्राइंग रूम, बेड रूम को सजाते हो, वैसे ही अपने स्कूल के हर कोने, क्लास को अपनी रुचि से सजा सकते हो। अपनी बनाई पेंटिंग, मॉडल, चित्र आदि को क्लास रूम में लगा सकते हो।
इतना ही नहीं अगर तुम कविता लिखते हो, कोई कहानी या घटना अपने दोस्तों के साथ शेयर करना चाहते हो तो उसे साफ-सुंदर हैंडराइटिंग में लिख कर अपने क्लास रूम या नोटिस बोर्ड पर चिपका सकते हो। ऐसे करोगे तो खुद को भी अच्छा लगेगा।
स्कूल को साफ-सुथरा रखने में मदद करो। जैसे घर में तुम यहां-वहां कूड़ा नहीं फेंकते हो उसी तरह स्कूल में भी डस्टबिन का इस्तेमाल करो। जरा यह करके देखो तब तुम्हे अपना स्कूल अपने घर सा लगने लगेगा।