नए नियमों का मामूली असर होगाः एसबीआई
देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक ने बुधवार को कहा कि वसूल न होने वाले ऋण के लिए खाते में पूंजी का अलग से प्रावधान करने के नए नियमों का उस पर बेहद मामूली प्रभाव...
देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बुधवार को कहा कि वसूल न होने वाले ऋण के लिए खाते में पूंजी का अलग से प्रावधान करने के नए नियमों का उस पर बेहद मामूली प्रभाव पड़ेगा।
एसबीआई ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) पर नियमों में संशोधन और पुनर्गठन से उसके कर पूर्व खाते पर एक प्रतिशत यानी करीब 200 करोड़ रुपये सालाना का असर होगा।
एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सम्मेलन के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि इसका कुल असर 200 करोड़ रुपये होगा, जो कर पूर्व लाभ का एक फीसदी से कम बैठता है।
केंद्रीय बैंक ने गत 19 मई को पुनर्गठन और एनपीए खातों पर नियमों में संशोधन किया था। इसके तहत पुनर्गठित खातों के लिए प्रावधान बढ़ाया गया है और साथ ही प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बढ़ाकर ऋण का पुनर्गठन कठिन किया गया है।
नए नियमों के अनुसार, 1 जून से बैंकों को नए पुनर्गठित ऋण के कुल मूल्य का 5 प्रतिशत प्रावधान के रूप में रखना होगा। पहले यह 2 प्रतिशत था। हालांकि, बैंकिंग नियामक ने कहा कि वह बुनियादी ढांचा और व्यावसायिक रीयल एस्टेट क्षेत्रों में परियोजनाओं में देरी के मामले में बैंकों पर ऋण का वर्गीकरण एनपीए के रूप में करने के लिए दबाव नहीं डालेगा।
ऋण पुनर्गठन को हतोत्साहित करने के लिए रिजर्व बैंक ने कहा है कि अप्रैल, 2015 से जिस भी खाते का पुनर्गठन किया जाएगा, उसे कमजोर खाते के रूप में वगीकृत किया जाएगा। वहीं पुनर्गठन के तुरंत बाद मानक वाली परिसंपत्ति का वर्गीकरण अवमानक के रूप में किया जाएगा। पिछले वित्त वर्ष के दौरान ऋण पुनर्गठन दोगुना से अधिक हो गया है।
इक्रा के मुताबिक, बैंकों को अपने मौजूदा ऋण पुनर्गठन के लिए 1,500 से 2,500 करोड़ रुपये का प्रावधान अतिरिक्त करना पड़ सकता है। जमा पर ब्याज दरों में कटौती की संभावना के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि प्रतिद्वंद्वी क्या पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी जमा पर हाल के समय में ब्याज दरों कटौती के बावजूद खुदरा जमा पर दरों में कटौती की संभावना कम है।
किंगफिशर एयरलाइंस के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा कि उनकी ओर से किसी विशेष खाते पर टिप्पणी करना संभव नहीं है। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में मंदी पर भी चिंता जताई।