फोटो गैलरी

Hindi Newsवनडे से संन्यास के बाद और युवा हुए सचिन

वनडे से संन्यास के बाद और युवा हुए सचिन

सचिन तेंदुलकर वनडे क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद मनोवैज्ञानिक दबाव से मुक्त हो चुके हैं और घरेलू सीरीज में उनके प्रदर्शन को देखकर लगता है कि वह पहले से कहीं ज्यादा युवा हो गए...

वनडे से संन्यास के बाद और युवा हुए सचिन
Tue, 12 Feb 2013 05:36 PM
ऐप पर पढ़ें

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर वनडे क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद मनोवैज्ञानिक दबाव से मुक्त हो चुके हैं और घरेलू सीरीज में उनके ताजा प्रदर्शन को देखकर लगता है कि वह इस संन्यास के बाद पहले से कहीं ज्यादा युवा हो गए हैं।

सचिन को इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में निराशाजनक प्रदर्शन के कारण काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ी थीं। देश के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी हालांकि सचिन को सीधे तो कुछ नहीं कह पा रहे थे, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर उनका कहना था कि क्रिकेट के बादशाह को अपने संन्यास के बारे में खुद ही फैसला करना चाहिए।

'क्रिकेट के भगवान' कहे जाने वाले सचिन ने दिसंबर में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज से पहले अपने संन्यास की अचानक घोषणा कर सबको चौंका दिया था, लेकिन इसके बाद से प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने काफी शानदार प्रदर्शन किया। मास्टर ब्लास्टर ने बड़ौदा के खिलाफ रणजी के क्वार्टर फाइनल में 108 और नौ रन, सेमीफाइनल में सर्विसेज के खिलाफ 56 रन और फाइनल में सौराष्ट्र के खिलाफ 22 रन बनाए।

उन्होंने ईरानी ट्रॉफी मैच में शेष भारत के खिलाफ नाबाद 140 रन की बेहतरीन पारी खेली। सचिन ने ईरानी ट्रॉफी की अपनी पारी से दिखा दिया कि 39 वर्ष का होने के बावजूद उनके भीतर रनों की भूख अब भी बाकी है और वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी सीरीज में कंगारुओं पर नकेल कसने के लिए तैयार हैं।

भारत को ऑस्ट्रेलिया से चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है और आगामी 24 अप्रैल को 40 वर्ष के होने जा रहे सचिन के लिए यह सीरीज अलग मायने रखेगी। वह एक प्रारूप से संन्यास लेने के बाद पहली बार किसी सीरीज में खेलने उतरेंगे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तो वैसे भी सचिन ने हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।

सचिन ने अपने 194 टेस्टों में 15,645 रनों और 51 शतकों में से ऑस्ट्रेलिया को खिलाफ 35 मैचों में 57.30 के औसत 3,438 रन और 11 शतक बनाए हैं। अपने करियर में सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही सबसे ज्यादा रन बनाए हैं। सचिन ने ईरानी ट्राफी के अपने शतक से लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर के प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 81 शतकों के भारतीय रिकॉर्ड की बराबरी की थी।

सचिन ने इसके साथ ही प्रथम श्रेणी मैचों में 25,000 रन भी पूरे कर लिए थे। सचिन के खाते में 303 मैचों में 25,036 रन हैं, जबकि गावस्कर के खाते में 348 मैचों में 25,834 रन हैं। गावस्कर का प्रथम श्रेणी करियर 1966 से 1987 तक 21 वर्ष चला था, जबकि सचिन 1988 से अब तक कुल 25 साल खेल चुके हैं और अब भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनके सामने कुछ दिनों बाद ही ऑस्ट्रेलिया की चुनौती है और पहला टेस्ट 22 फरवरी से चेन्नई में खेला जाना है।

चेन्नई सचिन के लिए काफी भाग्यशाली मैदान रहा है जहां उन्होंने कई यादगार पारियां खेली हैं। सचिन ने चेन्नई में नौ टेस्टों में 87.60 के जबरदस्त औसत से 876 रन बनाए हैं। इस मैदान पर रन बनाने में उनसे आगे गावस्कर ही हैं जिन्होंने 12 मैचों में 1018 रन बनाए हैं। सचिन चेन्नई में पांच शतक भी लगा चुके हैं जो इस मैदान में किसी बल्लेबाज का रिकॉर्ड है। गावस्कर तीन शतकों के साथ चेन्नई में दूसरे स्थान पर हैं।

ईरानी ट्रॉफी में शानदार पारी खेलने के बाद सचिन ने कहा था कि इस मैच ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली बहुप्रतीक्षित टेस्ट सीरीज से पहले उन्हें अभ्यास का अच्छा मौका दिया। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बड़ी सीरीज होनी है। हर किसी को इस सीरीज का इंतजार है। किसी भी बड़ी सीरीज से पहले मैच का अभ्यास करना अच्छी बात है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें