अनुभव भरा है प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक सफर
देश और पंजाब की राजनीति में बडे़ नेता और मुख्यमंत्री पद की बुधवार को शपथ लेने वाले मृदुभाषी स्वभाव के प्रकाश सिंह बादल का जन्म राज्य के फरीदकोट जिले के अबुल खुराना गांव में आठ दिसम्बर 1927 को हुआ...
देश और पंजाब की राजनीति में बडे़ नेता और मुख्यमंत्री पद की बुधवार को शपथ लेने वाले मृदुभाषी स्वभाव के प्रकाश सिंह बादल का जन्म राज्य के फरीदकोट जिले के अबुल खुराना गांव में आठ दिसम्बर 1927 को हुआ था।
उन्होंने वर्ष 1947 में राजनीति में प्रवेश किया और 1957 में पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1960 में मलौट विधानसभा क्षेत्र से तथा तीसरी बार 1969 में गिदड़, बाह विधानसभा सीट से विधायक बने तथा 27 मार्च 1970 को पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। वह 14 जून 1971 तक इस पद रहे।
गिदड़, बाह विधानसभा हलका उनके लिए फिर भाग्यशाली साबित हुआ जब वर्ष 1972 में वह फिर वहां से विधायक बन कर चौथी बार राज्य विधानसभा में पहुंचे और विधायक दल के नेता बने। वर्ष 1977 में वह इसी विधानसभा क्षेत्र से फिर विधायक बने तथा 20 जून 1977 को राज्य के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और 17 फरवरी 1980 तक इस पद पर रहे।
बादल ने गिदड़ बाह से ही 1980 का विधानसभा चुनाव भी जीता और राज्य विधानसभा में दूसरी बार विपक्ष के नेता बने। वह 1985 में भी इसी हलके विजई रहे और इस तरह उन्होंने उस समय तक सात में से पांच बार गिदड़ बाह से विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया। बादल 1996 से 2008 तक शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष भी रहे।
वर्ष 1997 में उन्होंने अपना विधानसभा क्षेत्र बदला तथा लम्बी से चुनाव जीत कर तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों में भी वह इसी विधानसभा क्षेत्र से जीते लेकिन शिरोमणि अकाली दल की हार के कारण उन्हें 2007 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में संतोष करना पड़ा।
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने फिर लम्बी से चुनाव जीता। इस चुनाव में अकाली भाजपा गठबंधन ने भी जोरदार जीत दर्ज की और बादल चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में भी बादल ने लम्बी से चुनाव जीता। इस बार उनके विरूद्ध कोई और नहीं बल्कि उनके सगे भाई गुरदास बादल पंजाब पीपल्स पार्टी के उम्मीदवार थे। इस चुनाव में भी अकाली भाजपा गठबंधन ने अपने 2007 से प्रदर्शन को दोहराते हुए लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की और बादल ने एक बार फिर इस सरकार की कमान सम्भाली है।