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पिकनिक का मजा

बंटी सुबह से ही बहुत खुश था। इसका कारण था कि वह आज पिकनिक पर जा रहा था, इसलिए आज उसने तैयार होने के लिए रोज की तरह मां को तंग भी नहीं...

पिकनिक का मजा
Mon, 23 Jul 2012 12:34 PM
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टीचर ने सब बच्चों को देर न करने की हिदायत देते हुए बस में चढ़ने को कहा। सब बच्चे बस में चढ़ गए। बस के चलते ही टीचर ने बताया कि आज हम सब शहर के बाहर लेक गार्डन में घूमने जा रहे हैं। लेक गार्डन का नाम सुनते ही सब बच्चे खुशी से उछल पड़े

बंटी सुबह से ही बहुत खुश था। इसका कारण था कि वह आज पिकनिक पर जा रहा था, इसलिए आज उसने तैयार होने के लिए रोज की तरह मां को तंग भी नहीं किया। वह खुद ही सुबह जल्दी उठकर तैयार भी हो गया। तैयार होने के बाद उसने देखा कि मां कहीं नजर नहीं आ रही है। वह मां को ढूंढ़ते हुए रसोईघर की तरफ गया। उसने देखा कि मां कुछ बना रही है। वह मां से लिपटते हुए बड़े प्यार से पूछने लगा कि मां मेरा टिफिन तैयार है! मां ने प्यार से उसके गाल पर चपत लगाते हुए कहा कि आज बड़ा प्यार आ रहा है मां पर। आज तुम तैयार भी खुद ही हो गए। सब जानती हूं कि यह सब पिकनिक पर जाने के कारण है, वरना रोज तो तुम इन सब कामों के लिए मुझे ही तंग करते हो।

‘नहीं मां, ऐसी बात नहीं है।’ ‘तो फिर कैसी बात है?’ मां ने टिफिन लगाते हुए पूछा। उन्होंने टिफिन बैग में रखते हुए बंटी से कहा कि मैंने तुम्हारे और तुम्हारे दोस्तों के लिए खाने के अलावा कुछ नमकीन और मिठाई भी रख दी है। इसे आपस में मिल-बांट कर खा लेना। और हां, वहां जाकर किसी तरह की शरारत नहीं करना। वह आज्ञाकारी बेटे की तरह मां की हां में हां मिलाने लगा। उसके इस नाटक को मां भी अच्छी तरह समझ रही थीं। पांचवीं क्लास में पढ़ने वाला बंटी पढ़ने-लिखने में तो तेज था ही, शरारतें करने में भी वह सबसे आगे रहता था। उसकी इस आदत से उसके घरवाले ही नहीं, बल्कि स्कूल में टीचर और दोस्त भी परेशान थे। उसे कई बार समझाया भी गया, लेकिन उस पर किसी बात का असर नहीं होता था। इसलिए उसे मां ने पिकनिक पर जाते समय यह हिदायत दी थी कि वह वहां किसी प्रकार की शरारत नहीं करे।

बंटी को स्कूल पहुंचने की जल्दी थी, क्योंकि सब बच्चों को वहीं से पिकनिक पर जाना था। स्कूल पहुंचने पर उसने देखा कि सब बच्चे पहले ही पहुंच चुके थे और उसका ही इंतजार कर रहे थे। टीचर ने सब बच्चों को देर न करने की हिदायत देते हुए बस में चढ़ने को कहा। सब बच्चे बस में चढ़ गए। बस के चलते ही टीचर ने बताया कि आज हम सब शहर के बाहर लेक गार्डन में घूमने जा रहे हैं। लेक गार्डन का नाम सुनते ही सब बच्चे खुशी से उछल पड़े। बात ही कुछ ऐसी थी। सब बच्चों ने लेक गार्डन की तारीफ तो बहुत सुनी थी, लेकिन वहां जाकर मस्ती मारने का मौका उन्हें पहली बार मिल रहा था। सब योजनाएं बनाने में लग गए कि वहां जाकर उन्हें क्या-क्या करना है। इन्हीं सबके बीच लेक गार्डन भी आ गया। टीचर और बच्चे बस से उतर कर गार्डन की ओर चल दिए। चलते-चलते रोहित ने टीचर से पूछा कि मैम, इस गार्डन को लेक गार्डन क्यों कहते हैं? टीचर के बताने से पहले ही बंटी बीच में बोल उठा, ‘अरे बुद्धू, तुम्हें इतना भी नहीं पता! इस गार्डन में एक खूबसूरत लेक है, इसलिए इसे लेक गार्डन कहते हैं।’ टीचर ने मुस्कुराते हुए उसकी हां में हां मिलाई। टीचर ने सब बच्चों को समझाते हुए कहा कि सब बच्चे यहां आसपास ही खेलेंगे और भूलकर भी कोई टीचर को साथ लिए बिना लेक के पास नहीं जाएगा।

सब बच्चे टीचर की बात मानकर खेलने में मस्त हो गए। लेकिन बंटी को चैन कहां। वह तो बस लेक के पास जाने को बेकरार था। उसने रोहित और मोहित से लेक के पास चलने को कहा, लेकिन दोनों ने मना कर दिया और साथ ही टीचर की हिदायत के बारे में भी याद दिलाया। लेकिन बंटी ने उनकी बातों पर गौर नहीं किया। उसे तो बस किसी भी तरह लेक के पास जाना ही था। और वह किसी तरह सबकी नजरों से छिपता-छिपाता लेक तक पहुंच गया।
 
लेक के पास पहुंचकर जैसे वह खुशी से पागल हो गया। उसने देखा कि लेक के किनारे एक छोटा-सा पिल्ला घूम रहा है। उसे देखते ही उसके दिमाग में एक शरारत कौंध गई। वह दबे पांव उस पिल्ले के पास गया और उसे गोद में उठाकर सहलाने लगा। जब उसे लगा कि वह उससे हिल-मिल गया है तो उसने एकाएक उसे लेक की ओर उछाल दिया। पिल्ला पानी में डूबने लगा। वह जोर-जोर से चिल्ला रहा था। किसी तरह वह पानी से निकल कर भागा। उसे चिल्लाता देख उसे बड़ा मजा आ रहा था। इधर बंटी को ध्यान ही नहीं रहा कि वह कब पानी में उतर गया। इस ऊधम-कूद में उसका पांव फिसला और वह भी पानी में जा गिरा। अब उसे लगने लगा कि वह किसी मुसीबत में फंस गया है, क्योंकि उस लेक के पानी में वह गर्दन तक डूब चुका था। वह जोर-जोर से मदद के लिए चिल्लाने लगा। उसे लगा कि अब वह बच नहीं पाएगा। लेकिन तभी वह क्या देखता है कि कुछ लोग उसकी ओर दौड़ते हुए आ रहे हैं। उनमें से एक आदमी लेक में उतरा और उसे सही-सलामत पानी से बाहर निकाल कर लाया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यहां तो आसपास कोई भी नहीं था तो फिर ये लोग उसकी मदद को कैसे आए।
 
उसकी इस परेशानी को भांप कर उस आदमी ने कहा कि भला हो इस मासूम से पिल्ले का, जिसने भौंक-भौंक कर हमें तुम्हारे मुसीबत में फंसे होने की जानकारी दी, वरना आज तुम्हारे साथ कुछ भी हो सकता था। यह सुनकर बंटी की आंखों से आंसू बहने लगे। वह खुद पर शर्मिदा हो रहा था कि थोड़ी देर पहले वह जिसे सता कर आनंद ले रहा था, आज उसकी वजह से ही उसकी जान बची है। उसने उस पिल्ले को गोद में उठा लिया और कृतज्ञता से उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा। इसके साथ ही उसने यह प्रण भी किया कि आज के बाद वह कभी शरारत नहीं करेगा।

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