हॉकी की दुर्दशा के लिए प्रबंधन जिम्मेदार : परगट
ओलंपिक में शर्मनाक प्रदर्शन और इस खेल की दुर्दशा के लिए हॉकी प्रबंधन को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि केवल कोच बदलने से ही खेल और खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार नहीं हो...
पूर्व ओलंपियन परगट सिंह ने भारतीय हॉकी टीम के ओलंपिक में शर्मनाक प्रदर्शन और इस खेल की दुर्दशा के लिए हॉकी प्रबंधन को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि केवल कोच बदलने से ही खेल और खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि इसके लिए ईमानदार प्रयास करना जरूरी है ताकि भारतीय हॉकी का पुराना रूतबा लौट सके।
ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाले पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट ने बातचीत में कहा कि देश में हॉकी की जो दुर्दशा है, निश्चित तौर पर इसके लिए हॉकी प्रबंधन ही जिम्मेदार है। हॉकी की देख रेख करने वालों को इस खेल को बचाये रखने के लिए सतत और ईमानदार प्रयास करने की आवश्यकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न टूर्नामेंट में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके परगट ने कहा कि दुनिया में पहले हमारी हॉकी का रसूख था। दुनिया की टीमें हमारे सामने कहीं नहीं टिकती थीं। मौजूदा समय में हॉकी की दुर्दशा को देखकर ऐसा नहीं लगता कि हम आठ बार के ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता हैं।
यह पूछने पर कि इसके लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं, उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर हॉकी प्रबंधन ही जिम्मेदार है। अंदर की बहुत चीजें हैं जिन्हें प्रबंधन को दूर करने की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश में हॉकी खतम ही हो जाएगी।
जालंधर छावनी से राजनीतिक पारी की शुरूआत करने वाले परगट ने माइकल नोब्स को कोच पद से हटाने के बारे में पूछने पर कहा कि कोच को हटा देने से अगर हर समस्या का समाधान हो जाए तो हटा दीजिए। लेकिन क्या कोच को हटाने से हाकी सुधर जाएगी। नोब्स को हटा देने और किसी और को लाने से रातों रात कोई जादू नहीं हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोच के अलावा भी बहुत सारी समस्यायें हैं, इन्हें दूर करने की जरूरत है। प्रबंधन की राजनीति का असर भी खेल पर होता है। मैं फिर कह रहा हूं कि कोच को बदलने मात्र से चीजे नहीं बदलेंगी। हमें सतत और ईमानदार प्रयास करना होगा, जो नहीं हो रहा है।
परगट ने समस्याओं के बारे में विस्तार से बताने से इंकार करते हुए कहा कि जो कुछ है सबके सामने है।
यह पूछने पर कि नोब्स ने जब कोच का पद संभाला था उस समय टीम का प्रदर्शन अच्छा था, तो कोच को क्यों नहीं हटाना चाहिए। खेल विभाग के निदेशक के तौर पर काम कर चुके परगट ने कहा कि नोब्स में भी कुछ अच्छी चीजे हैं। हमें उन अच्छी चीजों को ग्रहण करना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि हर चीज के लिए हम नोब्स पर ही निर्भर रहें। उनका काम कोचिंग है और निर्णय करने का काम प्रबंधन का है।
यह पूछने पर की कि कोच पद के लिए कोई भारतीय नहीं मिला और कोच बाहर से लाना पड़ रहा है, परगट ने कहा, ये आप हॉकी इंडिया से ही पूछिये। परगट ने यह भी कहा कि हॉकी इंडिया और भारतीय हॉकी महासंघ की आपसी लड़ाई का भी असर खेल पर हो रहा है।