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तेल कंपनियों की चेतावनी, बंद हो सकती है पेट्रोल आपूर्ति

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने ईंधन आपूर्ति में गड़बड़ी की चेतावनी दी है। तेल कंपनियों ने कहा है कि यदि उन्हें पेट्रोल के दाम बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाती है तो ईंधन आपूर्ति गड़बड़ा सकती...

तेल कंपनियों की चेतावनी, बंद हो सकती है पेट्रोल आपूर्ति
Mon, 02 Apr 2012 04:29 PM
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सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने ईंधन आपूर्ति में गड़बड़ी की चेतावनी दी है। तेल कंपनियों ने कहा है कि यदि उन्हें पेट्रोल के दाम बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाती है अथवा दाम नहीं बढ़ाने के कारण दैनिक 48 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई नहीं की जाती है तो ईंधन आपूर्ति गड़बड़ा सकती है।
  
पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अध्यक्ष आरएस बुटोला ने संवाददाताओं से कहा कि स्थिति बहुत गंभीर है। हमें पेट्रोल पर प्रति लीटर 7.67 रुपये का नुकसान हो रहा है, इसमें 20 प्रतिशत की दर से बिक्रीकर जोड़ने पर जरुरी मूल्य वृद्धि 9.20 रुपये लीटर हो जाती है।
  
बुटोला ने कहा हमारी कुल उत्पादन लागत में 39 प्रतिशत खर्च कच्चे तेल पर होता है, जो कि हमें आयात करना होता है। यदि हमें ईंधन की बिक्री से पूरा राजस्व प्राप्त नहीं होगा तो हम कच्चे तेल की और खरीदारी नहीं कर पायेंगे, यदि कच्चे तेल की खरीदारी नहीं हो सकी तो ईंधन आपूर्ति में गड़बड़ी होगी।
  
इंडियन ऑयल कारपोरेशन और सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य कंपनियों भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल की बिक्री पर रोज 48 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। हालांकि, सरकार पेट्रोल के मूल्य से नियंत्रण जून 2010 में ही हटा चुकी है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से सरकार ने तेल कंपनियों को पेट्रोल के दाम बढ़ाने की भी अनुमति नहीं दी है।

बुटोला ने कहा यह अजीब स्थिति है। ऐसी स्थिति जिसमें पेट्रोल की प्रति लीटर बिक्री पर उत्पाद शुल्क के रुप में केन्द्र सरकार को करीब 15 रुपये और राज्य सरकारों को 10 से लेकर 20 रुपये के बीच प्राप्त हो जाते हैं लेकिन तेल कंपनियों के हाथ कुछ भी नहीं लगता है।
  
तेल कंपनियों ने सरकार से पेट्रोल के दाम बढ़ाने की अनुमति नहीं देने की स्थिति में नुकसान की भरपाई के लिये कहा है। इसके अलावा कंपनियों ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क दरें कम करने की भी मांग की है। हमने सरकार से साफ कह दिया है, यदि इन मांगों को नहीं माना जाता है तो तेल कंपनियों को पास दाम बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाता है।

बहरहाल, इस संबंध में हमें सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। तेल कंपनियां हर पखवाड़े तेल मूल्यों की समीक्षा करती हैं।

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