लोकपाल विधेयक से लोकायुक्त हटाने पर बनी सहमति!
सरकार ने लोकपाल विधेयक के महत्वपूर्ण पहलुओं को लेकर व्याप्त मतभेद को दूर करने के प्रयास तेज कर दिये हैं। लोकपाल विधेयक से लोकायुक्त के प्रावधान को हटाने संप्रग और विपक्ष के बीच लगभग सहमति बन गयी...
सरकार ने लोकपाल विधेयक के महत्वपूर्ण पहलुओं को लेकर व्याप्त मतभेद को दूर करने के प्रयास तेज कर दिये हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात की और इस दौरान तय किया गया कि बजट सत्र के दूसरे हिस्से में इस विधेयक पर विचार किया जा सकता है। लोकपाल विधेयक से लोकायुक्त के प्रावधान को हटाने को लेकर संप्रग के सहयोगियों और विपक्ष के बीच लगभग सहमति बन गयी है।
प्रधानमंत्री द्वारा अपने आवास पर शुक्रवार को राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्यों की बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में तय किया गया कि सरकार लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं की व्याख्या को लेकर बजट सत्र के मध्य अंतराल के दौरान आम सहमति बनाने की दिशा में काम करेगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि हम ऐसे चरण में आ चुके हैं, जब विभिन्न राजनीतिक दलों के विचार सुने गये, अब सरकार फैसला करेगी कि कैसे सभी राजनीतिक दलों की आम सहमति से विधेयक को पारित कराना है।
सर्वदलीय बैठक के तुरंत बाद संवाददाताओं से अलग से बातचीत में उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से 147 संशोधन दिये गये हैं और प्रधानमंत्री ने उनका नजरिया सुना है। समाजवादी पार्टी के महासचिव मोहन सिंह ने मांग की कि सरकार को विभिन्न दलों की ओर से की गयी तीन महत्वपूर्ण संशोधन संबंधी मांगों को संसद की प्रवर समिति के पास भेजना चाहिए। ये मांगें लोकपाल विधेयक से लोकायुक्त को अलग करना, भ्रष्टाचार के मामलों की लोकपाल के तहत जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी बनाने और लोकपाल की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव से संबंधित हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि सरकार इन मुद्दों को विचार के लिए बजट सत्र के अंतराल के दौरान प्रवर समिति को भेजेगी। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि सरकार प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ मिलकर आम सहमति कायम करेगी। सरकार इसी सत्र में विधेयक लाने के लिए प्रतिबद्ध है। लोकपाल विधेयक की वास्तविक शब्दावली को लेकर बजट सत्र के अंतराल वाले समय में सहमति बनाने का प्रयास होगा।
उन्होंने कहा कि लोकपाल विधेयक 30 मार्च को समाप्त हो रहे बजट सत्र के पहले चरण में विचारार्थ नहीं रखा जा सकता है, क्योंकि चालू वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले बजट पारित करना आवश्यक है। भाजपा नेता प्रकाश जावडेकर ने कहा कि सरकार, सरकारी लोकपाल बनाना चाहती है जो अच्छा संकेत नहीं है। विधेयक में संशोधन को लेकर हमारी मांगों को यदि सरकार मानती है तो विधेयक आगे बढ़ेगा अन्यथा अटका रहेगा।