आईपीएल-5 में नहीं चल पाया भारतीय स्पिनरों का जलवा
वेस्टइंडीज के सुनील नारायण की रहस्यमयी गेंदबाजी और अनुभवी मुथैया मुरलीधरन के करिश्मे को छोड़ दिया जाए तो पांचवें इंडियन प्रीमियर लीग में स्पिन गेंदबाज विशेषकर भारतीय स्पिनर अपना जलवा दिखाने में नाकाम...
वेस्टइंडीज के सुनील नारायण की रहस्यमयी गेंदबाजी और अनुभवी मुथैया मुरलीधरन के करिश्मे को छोड़ दिया जाए तो पांचवें इंडियन प्रीमियर लीग में स्पिन गेंदबाज विशेषकर भारतीय स्पिनर अपना जलवा दिखाने में नाकाम रहे।
आईपीएल के लिए इस बार कुछ हद तक जीवंत विकेट बनाए गए थे जिसमें बल्लेबाजों के साथ गेंदबाजों को भी कुछ मदद मिल रही थी। भारतीय पिचें फिर भी स्पिनरों के मददगार होती हैं लेकिन पिछले सत्रों की तरह इस बार भारतीय स्पिन गेंदबाज प्रभावित नहीं कर पाये।
आईपीएल में अभी सर्वाधिक विकेट लेने वाले शीर्ष 30 गेंदबाजों में केवल सात स्पिनर शामिल हैं। भारत से पीयूष चावला, अमित मिश्रा और रविंदर जडेजा ही इनमें अपने लिए जगह बना पाए। इसके विपरीत 2011 में चोटी के दस गेंदबाजों में पांच स्पिनर (सभी भारतीय) शामिल थे। आईपीएल 2010 में तो चोटी के चार गेंदबाज स्पिनर थे और ये सभी भारतीय (प्रज्ञान ओझा, मिश्रा, हरभजन सिंह और अनिल कुंबले) थे।
अब तक आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करने वाले हरभजन, आर अश्विन, प्रज्ञान ओझा, राहुल शर्मा, शादाब जकाती और मुरली कार्तिक ने 2012 में निराशाजनक प्रदर्शन किया। हरभजन ने 2010 और 2011 में क्रमश: 17 और 14 विकेट लिए थे लेकिन इस बार वह लीग चरण के 16 मैच में 60.66 की औसत से केवल छह विकेट ले पाये।
अश्विन, मिश्रा, चावला, राहुल शर्मा और इकबाल अब्दुल्ला पिछले साल शीर्ष दस गेंदबाजों में शामिल थे। इस बार अश्विन, राहुल और अब्दुल्ला तो चोटी के 30 में भी जगह नहीं बना पाये। चावला 16 मैच में 16 विकेट के साथ नौवें और मिश्रा 14 मैच में 13 विकेट लेकर 15वें स्थान पर है।
ऑफ स्पिनर अश्विन के नाम पर लीग चरण के 16 मैच में 38.77 की औसत से नौ विकेट दर्ज हैं जबकि चेन्नई सुपरकिंग्स के उनके साथी शादाब जकाती 12 मैच में छह विकेट ही ले पाये। चेन्नई ने जडेजा को मोटी कीमत देकर खरीदा लेकिन अभी तक वह अपनी कीमत के साथ खास न्याय नहीं कर पाये। उनके नाम पर 16 मैच में 11 विकेट दर्ज हैं। इनमें से पांच विकेट तो उन्होंने एक मैच में ही ले लिए थे।
लेग स्पिनर राहुल शर्मा ने पिछले साल पुणे वॉरियर्स के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करके 14 मैच में 16 विकेट लिए थे। इस दम पर वह भारतीय टीम में भी जगह बनाने में सफल रहे लेकिन इस बार वह 11 मैच में 33.33 की औसत से कवेल नौ विकेट ले पाये। क्रिस गेल ने राहुल पर लगातार पांच छक्के जड़कर उनका आत्मविश्वास डिगा दिया। राहुल बाद में मुंबई में रेव पार्टी में शामिल रहने के कारण चर्चा में रहे।
पुणे वॉरियर्स के लिए बायें हाथ के स्पिनर मुरली कार्तिक भी कुछ जलवा नहीं दिखा पाये। उन्होंने 11 मैच में चार विकेट लिए। कैरेबियाई ऑफ स्पिनर सुनील नारायण ने जरूर स्पिनरों की लाज रखी है। उनकी रहस्यमयी गेंदबाजी अब भी बल्लेबाजों के लिए अबूझ पहेली बनी हुई है। नारायण ने अब तक 14 मैच में 24 विकेट लिए हैं और कोलकाता नाइटराइडर्स को फाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी है।
नारायण के बेहतरीन प्रदर्शन के कारण गौतम गंभीर ने अपनी टीम के अन्य स्पिनरों इकबाल अब्दुल्ला और यूसुफ पठान का अधिक उपयोग नहीं कर पाये। अब्दुल्ला ने पिछले सत्र में 15 मैच में 16 और पठान ने इतने ही मैचों में 13 विकेट लिए थे। इस बार इन दोनों के नाम पर क्रमश: आठ मैच में चार और 16 मैच में तीन विकेट दर्ज हैं। केकेआर के लिए शाकिब अल हसन ने दूसरे स्पिनर की कमी पूरी की। उन्होंने अब तक सात मैच में 11 विकेट लिए हैं।
नारायण की तरह अनुभवी मुरलीधरन भी अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर प्ले ऑफ में नहीं पहुंच पाया और इसका बड़ा कारण उसके गेंदबाजों की असफलता माना जा रहा है। इन गेंदबाजों में हालांकि मुरलीधरन को शामिल नहीं किया जा सकता जिन्होंने दस मैच में 15 विकेट हासिल किए। ऑस्ट्रेलियाई बिग बैश में शानदार प्रदर्शन करके अपनी राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने वाले चाइनामैन गेंदबाज ब्रैड हॉग भी राजस्थान रॉयल्स की तरफ से नौ मैच में दस विकेट लेने में सफल रहे थे।