फोटो गैलरी

Hindi Newsअंधेरे में भारतीय एनिमेशन उद्योग

अंधेरे में भारतीय एनिमेशन उद्योग

भारतीय फिल्म उद्योग दो अरब डॉलर का है और यह दुनिया के सबसे बड़े मनोरंजन उद्योगों में से एक है, इसके बावजूद यहां एनिमेशन का भविष्य अधर में...

अंधेरे में भारतीय एनिमेशन उद्योग
Thu, 24 Jan 2013 11:37 AM
ऐप पर पढ़ें

भारतीय फिल्म उद्योग दो अरब डॉलर का है और यह दुनिया के सबसे बड़े मनोरंजन उद्योगों में से एक है, इसके बावजूद यहां एनिमेशन का भविष्य अधर में है।
 
लिट्ल पांडव, बाबा, और गरूड़ जैसी एनिमेशन फिल्में बनाने वाले आरएमई कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूद्र मस्त के अनुसार, भले ही भारतीय एनिमेशन उद्योग का कुल कारोबार 35 करोड़ डॉलर का हो, लेकिन अच्छी कंपनी, बढ़िया लेखक और क्रिएटिव आइडिया के अभाव में आज भी यहां एनिमेशन का भविष्य अंधेरे में है।

रूद्र ने कहा कि किसी भी उद्योग के लिए 35 करोड़ डॉलर का होना कम नहीं है, लेकिन स्थिति देखकर मुझे नहीं लगता कि 2014 तक यह एक अरब डॉलर का हो जाएगा। खासकर तब जब अधिकांश सफल एनिमेशन कंपनियां करीब-करीब 300 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है।

एनिमेशन के भविष्य के बारे में रुद्र का कहना है कि जब तक भारतीय एनिमेशन इंडस्ट्री में जॉन लेसेटर जैसे कथाकार, निर्माता और बाजार की समझ वाले लोग नहीं होंगे, तब तक इस उद्योग के लिए एक मुकाम पाना बेहद कठिन है।

एनिमेशन फिल्मों की हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि निखिल आडवाणी की फिल्म ‘दिल्ली सफारी’ पिछले साल अपने वर्ग की एकमात्र फिल्म मानी जाती है।

‘द ग्रीन चिक-फाइंडिंग डैड’ हिंदी एनीमेटेड फिल्म के लेखक, एसोसिएट निर्देशक और क्रिएटिव प्रमुख ऋषि बाधवा का कहना है कि भारत में गुणवत्तापूर्ण एनिमेशन फिल्में बनाने के अलावा ऐसे पात्र तैयार करने पर जोर देना होगा, जो भारतीय दर्शकों को पसंद हो।

बाधवा ने कहा कि हमें वैसी फिल्में बनानी होंगी, जैसी पिक्सन और डिज्नी बनाते हैं। भारतीय बच्चे 'माई फ्रेंड गणेशा' जैसी फिल्म उसकी गुणवत्ता के कारण टीवी पर देखते हैं, लेकिन विदेशी एनीमेशन फिल्म सिनेमा हॉल में देखना पसंद करते हैं। इसलिए हमें विदेशी सुपरहीरो को अपने देश में लाने की जगह अपने सुपर हीरो तैयार करने होंगे।

फिक्की डिलायटी 2012 रिपोर्ट के अनुसार भारतीय एनिमेशन और वीएफएक्स उद्योग घटिया प्री-प्रॉडक्शन, स्किल की कमी, तकनीक और पूंजी समेत कई चुनौतियों से जूझ रहा है।

इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल इंडिया के निदेशक शंकर मोहन का कहना है कि हमें एनीमेशन फिल्म दिखाने और उस पर विचार करने के लिए एक मंच की जरूरत है।

शंकर ने कहा कि एनिमेशन फिल्मों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 42वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल इंडिया में एनिमेशन और थ्रीडी सिनेमा को जोड़ा गया है।

बॉलीवुड निर्देशक निखिल आडवाणी ने कहा कि जब तक स्टूडियो और डिस्ट्रीब्यूटर एनीमेशन पर भरोसा नहीं करेंगे, तब तक एनिमेशन उद्योग सफलता की राह पर अग्रसर नहीं होगा। हम तकनीकी तौर पर भले ही आज काफी आगे हैं, हमारे पास अच्छे लेखक भी हैं, फिर भी हम पौराणिक विषयों में ही फंसे हुए हैं।

यह खुशी की बात है कि पिछले सालों में एनिमेशन उद्योग ने लगातार तरक्की की है। देश में कई जगहों पर एनिमेशन फिल्म फेस्टिवल हुए हैं, जिससे हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है। अगर ऐसे ही हम आगे बढ़ते रहे, मुझे आशा है कि हम जल्द ही सफलता के नए मुकाम पर पहुंचेंगे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें