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भारत ने किया आकाश प्रक्षेपास्त्र का प्रायोगिक परीक्षण

वायु सुरक्षा कवच को और अधिक मजबूत बनाते हुए भारत ने अपने स्वदेश में निर्मित, सतह से हवा में मार करने वाले आकाश प्रक्षेपास्त्र का गुरुवार को चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज से सफल प्रायोगिक परीक्षण...

भारत ने किया आकाश प्रक्षेपास्त्र का प्रायोगिक परीक्षण
Thu, 24 May 2012 01:16 PM
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वायु सुरक्षा कवच को और अधिक मजबूत बनाते हुए और संचालन दक्षता को एक बार फिर आंकते हुए भारत ने अपने स्वदेश में निर्मित, सतह से हवा में मार करने वाले आकाश प्रक्षेपास्त्र का गुरुवार को यहां से करीब 15 किमी दूर स्थित चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज से सफल प्रायोगिक परीक्षण किया।
   
आकाश प्रक्षेपास्त्र परियोजना से जुड़े रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने बताया यह परीक्षण देश के नियमित हवाई सुरक्षा अभ्यास का हिस्सा था जो सफल रहा। अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों ने यह परीक्षण आईटीआर द्वारा मुहैया कराए गए साजोसामान के साथ किया।
   
सशस्त्र बलों में आकाश प्रणाली को वर्ष 2008 में शामिल किया गया था। 60 किग्रा आयुध के साथ 25 किमी की मारक क्षमता वाला यह प्रक्षेपास्त्र सुबह 11 बज कर करीब आठ मिनट पर आईटीआर के परिसर संख्या तीन से एक सचल प्रक्षेपक से दागा गया।
   
सूत्रों ने बताया परीक्षण के दौरान प्रक्षेपास्त्र से पायलट रहित लक्षित विमान की सहायता से हवा में हिलते लक्ष्य को निशाना बनाया गया। आकाश एक विमान रोधी रक्षा प्रणाली है जो राजेंद्र रडार के साथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। राजेंद्र रडार को बेंगलूर स्थित डीआरडीओ की प्रयोगशाला इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डवलपमेंट स्टैब्लिशमेंट (एलआरडीई) ने विकसित किया है।
   
यह रडार लक्ष्य पर नजर रखते हुए उसका पीछा करता है और प्रक्षेपास्त्र को उसकी ओर निर्देशित करता है। आकाश का विकास देश के एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत 1990 के दशक में किया गया। इसके बाद कई परीक्षणों से गुजर कर यह सैन्य बलों में शामिल हुआ है।
   
डीआरडीओ ने आकाश का हवाई संस्करण भी विकसित किया है। राजेंद्र एक बहुददेशीय रडार है जो एक ही समय में 64 लक्ष्यों का पीछा कर सकता है और 12 प्रक्षेपास्त्रों को नियंमित कर सकता है।
   
रक्षा विशेषज्ञों ने आकाश की तुलना अमेरिका की सतह से हवा में मार करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रणाली एमआईएम 104 से की है। उनका कहना है कि एमआईएम 104 की तरह ही आकाश भी मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी), लड़ाकू जेट, क्रूज प्रक्षेपास्त्रों और हवा से सतह पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों को बेअसर करने में सक्षम है।

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