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वॉटसन को तोड़ना होगा मिथक

ऑस्ट्रेलिया के 44वें टेस्ट कप्तान बने शेन वॉटसन के लिये परिस्थितियां ही नहीं, बल्कि पिछले रिकॉर्ड भी निराश करने वाले...

वॉटसन को तोड़ना होगा मिथक
Fri, 22 Mar 2013 01:37 PM
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ऑस्ट्रेलिया के 44वें टेस्ट कप्तान बने शेन वॉटसन के लिये परिस्थितियां ही नहीं, बल्कि पिछले रिकॉर्ड भी निराश करने वाले हैं, क्योंकि पिछले तीन दशक से अधिक समय से भारतीय सरजमीं पर टेस्ट कप्तानी में पदार्पण करने वाले विदेशी कप्तानों को जीत नहीं मिली है।

माइकल क्लार्क पीठ दर्द के कारण भारत के खिलाफ चौथे और आखिरी टेस्ट मैच में नहीं खेल पा रहे हैं और उनकी जगह वॉटसन को टीम की कमान सौंपी गयी है। वह बिल लारी और रे लिंडवाल के बाद पहले ऑस्ट्रेलियाई कप्तान हैं जिन्होंने भारत में अपनी कप्तानी का आगाज किया है।

वाटसन वैसे भारत में कप्तानी का आगाज करने वाले कुल 14वें विदेशी खिलाड़ी हैं, लेकिन इनमें से अब तक केवल दो ही कप्तानों को अपने पदार्पण टेस्ट मैच में जीत मिली है। इंग्लैंड के टोनी लुईस ने कप्तान के रूप में अपना पहला टेस्ट मैच 1972 में दिल्ली में ही खेला था और इसमें उनकी टीम छह विकेट से जीती थी।

इसके दो साल बाद दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक क्लाइव लायड ने भी भारतीय सरजमीं पर पहली बार टेस्ट मैचों में कप्तानी की थी। बेंगलूर में 1974 में खेले गये इस मैच में वेस्टइंडीज ने 267 रन से जीत दर्ज की थी। भारत में जिन पिछले पांच कप्तानों ने अपनी कप्तानी पारी की शुरुआत की उन्हें अपने पहले टेस्ट मैच में सफलता नहीं मिली।

इंग्लैंड के कीथ फ्लैचर (1981) और एलेक स्टीवर्ट (1993) तथा न्यूजीलैंड के ली जर्मोन (1995) को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि इस बीच पाकिस्तान के जहीर अब्बास (1983) और इंग्लैंड के एंड्रयू फ्लिन्टाफ (2006) ने मैच ड्रॉ कराये थे। वॉटसन हालांकि कप्तान के रूप में अपने पहले मैच में ही टॉस जीतने में सफल रहे। उन्होंने इस तरह से फिरोजशाह कोटला मैदान की परंपरा भी बनाये रखी। कोटला पर अब तक 32 मैचों में जब भी कप्तान ने टॉस जीता तब उसने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया।

महेंद्र सिंह धौनी ने सीरीज के चौथे मैच में टॉस गंवाया। यदि भारत इस मैच में जीत दर्ज करता है तो यह टेस्ट इतिहास में केवल दूसरा अवसर होगा, जबकि किसी कप्तान ने सभी मैचों में टॉस गंवाने के बाद सभी मैच जीते। इससे पहले दोनों अवसरों पर ऑस्ट्रेलिया ने यह कारनामा किया। उसने 2004-05 में पाकिस्तान और 2005-06 में वेस्टइंडीज को सीरीज के सभी मैचों में टॉस गंवाने के बावजूद क्लीन स्वीप किया था।

धौनी ने 29वें टेस्ट मैच में टॉस गंवाया। टॉस गंवाने का हालांकि उन पर ज्यादा असर नहीं पड़ा क्योंकि इससे पहले के 28 मैचों में से 15 में भारत को जीत और सात में हार मिली। बाकी छह मैच ड्रॉ रहे। धौनी ने जिन 18 मैचों में टॉस जीता है उनमें से आठ में भारत को जीत और पांच में हार मिली है।

 

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