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विनिर्माण क्षेत्र: वृद्धि दर 16 माह के निचले स्तर पर

एचएसबीसी के एक सर्वेक्षण के अनुसार बिजली संकट की वजह से उत्पादन गतिविधियों पर असर तथा नए ऑर्डरों में कमी से विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर नीचे आई...

विनिर्माण क्षेत्र: वृद्धि दर 16 माह के निचले स्तर पर
Mon, 01 Apr 2013 12:18 PM
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देश की विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मार्च में 16 माह के निचले स्तर पर आ गई है। एचएसबीसी के एक सर्वेक्षण के अनुसार बिजली संकट की वजह से उत्पादन गतिविधियों पर असर तथा नए ऑर्डरों में कमी से विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर नीचे आई है।
    
मार्च में एचएसबीसी का विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) 52 रह गया, जो फरवरी में 54.2 पर था। यह सूचकांक कारखाना उत्पादन का संकेतक है।
     
एचएसबीसी ने कहा कि लगातार बिजली कटौती से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। यही नहीं नए ऑर्डरों या काम की संख्या की वृद्धि पिछले 16 माह के निचले स्तर पर आ गई। इसके अलावा निर्यात ऑर्डरों की वृद्धि की रफ्तार भी पिछले सात माह के निचले स्तर पर रही।
     
हालांकि, यह सूचकांक 50 से ऊपर बना हुआ है। इसके 50 से नीचे जाने का मतलब होगा कि उत्पादन में गिरावट आई है। यह पिछले तीन साल से 50 से ऊपर बना हुआ है। पीएमआई से पता चलता है कि विनिर्माण परिचालन परिस्थितियों में सुधार की रफ्तार नवंबर, 2011 के बाद सबसे कम रही है।
    
भारत तथा आसियान के लिए एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री लीफ एस्केसेन ने कहा कि मार्च में विनिर्माण गतिविधियां प्रभावित हुईं। विशेष रूप से बिजली संकट तथा नए ऑर्डरों में कमी से इस क्षेत्र पर असर पड़ा।
     
पिछले महीने आए आंकड़ों के अनुसार दिसंबर तिमाही में देश का चालू खाते का घाटा (सीएडी) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के रिकार्ड स्तर 6.7 फीसदी यानी 32 अरब डॉलर पर पहुंच गया। तेल और सोने का आयात बढ़ने तथा निर्यात में गिरावट से चालू खाते का घाटा बढ़ा है।

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