फोटो गैलरी

Hindi Newsहिमाचल चुनाव: कुल्लू में स्थानीय परंपरा भारी

हिमाचल चुनाव: कुल्लू में स्थानीय परंपरा भारी

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए प्रत्याशी पूरे दमखम से प्रचार कर रहे हैं, लेकिन राज्य की आध्यात्मिक राजधानी कुल्लू में कुछ प्रत्याशियों के लिए चुनाव आयोग की आचार संहिता की तुलना में स्थानीय...

हिमाचल चुनाव: कुल्लू में स्थानीय परंपरा भारी
Tue, 30 Oct 2012 12:14 PM
ऐप पर पढ़ें

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए प्रत्याशी पूरे दमखम से प्रचार कर रहे हैं, लेकिन राज्य की आध्यात्मिक राजधानी कुल्लू में कुछ प्रत्याशियों के लिए चुनाव आयोग की आचार संहिता की तुलना में स्थानीय परंपरा अधिक महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कुल्लू विधानसभा सीट में मंदिरों की बहुतायत है और यहां करीब 350 से अधिक देवताओं को पूजा जाता है। यहां धारणा है कि देवताओं की मर्जी के बिना कुछ नहीं होता। निर्वाचन आयोग ने किसी भी धार्मिक आयोजन के दौरान प्रत्याशियों की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा रखी है।

कुल्लू में निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देश की तुलना में लोग परंपराओं को महत्व देते हैं। परंपरा के अनुसार, यहां एक पखवाड़े तक चलने वाले दशहरा उत्सव में स्थानीय शासक भाग लेता है। राजा दशहरे के जुलूस की अगुवाई करने वाले, क्षेत्र के मुख्य देवता भगवान रघुनाथ की मेजबानी करता है और उनका संरक्षक होता है।

कुल्लू के राजा महेश्वर सिंह कभी भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष थे। वह भाजपा के बागियों द्वारा हाल ही में गठित हिमाचल लोकहित पार्टी के टिकट पर कुल्लू विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां के मुख्य देवता भगवान रघुनाथ के मुख्य संरक्षक होने के नाते सिंह दशहरा आयोजन में व्यस्त हो गए। यह आयोजन हिमाचल प्रदेश में चुनाव की तारीख की घोषणा होने के ठीक बाद में 24 अक्टूबर से शुरू हुआ और मंगलवार को इसका समापन हुआ।

सिंह ने कहा कि शाही परंपरा के अनुसार, मुझे सात दिन तक चलने वाले इस उत्सव में शामिल होना था। मुझे चुनाव आयोग के नियम मालूम हैं, लेकिन इस मामले में मैं कुछ नहीं कर सकता।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें