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आइटम नंबर से परहेज नहीं: हृषिता भट्ट

लारा दत्ता, दीया मिर्जा के बाद अब हृषिता भट्ट भी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रख चुकी हैं। बतौर निर्माता उनकी पहली फिल्म ‘शकल पे मत जा’ पिछले हफ्ते रिलीज...

आइटम नंबर से परहेज नहीं: हृषिता भट्ट
Sat, 26 Nov 2011 01:12 PM
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लारा दत्ता, दीया मिर्जा के बाद अब हृषिता भट्ट भी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रख चुकी हैं। बतौर निर्माता उनकी पहली फिल्म ‘शकल पे मत जा’ पिछले हफ्ते रिलीज हुई। हृषिता का करियर कभी भी सही राह नहीं पकड़ पाया, जबकि वह हिन्दी के अलावा मराठी की फिल्में भी कर चुकी हैं।

लगता है अपने अभिनय करियर को डांवाडोल होते देख आपने भी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रख दिया?
मेरे फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतरने का यह अर्थ लगाना कदापि सही नही होगा। यह जरूरी नहीं है कि एक अभिनेत्री तभी फिल्म निर्माता बनती है, जब उसे उसकी पसंद के किरदार या सब्जेक्ट या पटकथा वाली फिल्में न मिल रही हों या उसका करियर डांवाडोल हो रहा हो। यह भी जरूरी नहीं है कि आप जिस फिल्म का निर्माण करें, उसमें आप अभिनय भी करें।

सच यह है कि जब मैंने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा था, तभी से मेरे दिमाग में था कि मुझे एक दिन निर्माता बनना है। मॉडलिंग से अभिनय, फिर अभिनय से निर्माण या निर्देशन की तरफ कदम रखना तो ग्रोथ का ही हिस्सा है। हर कलाकार एक न एक दिन निर्माण या निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखता ही है। तो फिर मैंने कौन सा गुनाह कर दिया। यदि आप मेरे करियर ग्राफ को देखेंगे तो आपको एहसास होगा कि मैंने कभी
भी एक साथ बहुत ज्यादा फिल्में नहीं की हैं।

अब तक फिल्म निर्माण के क्षेत्र में पुरुष कलाकार ही उतर रहे थे। पर जब लारा दत्ता और दीया मिर्जा जैसी अभिनेत्रियों ने इस क्षेत्र में कदम रखा, तो आपका हौसला बढ़ गया?
मैं ऐसा नहीं मानती। आज से लगभग 10-12 साल पहले हेमा मालिनी ने भी फिल्म का निर्माण व निर्देशन किया था। सच यह है कि अब महिलाओं के अंदर व्यापार का सेंस आ गया है। अब महिलाएं हर क्षेत्र में कदम रख रही हैं। परिणामस्वरूप अब अभिनेत्रियां भी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में पैर पसार रही हैं। 

इस फिल्म से आपको क्या उम्मीदे हैं?
मेरी फिल्म जिस तरह से बनी है, उससे मैं काफी खुश हूं। मेरी फिल्म अभी न्यूयॉर्क में संपन्न ‘साउथ एशियन अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल’ में भी प्रदर्शित की गयी और वहां पर इस फिल्म को काफी सराहा गया।

अपनी पहली ही फिल्म के लिए शुभ जैसे नए निर्देशक को लेने की वजह?
बतौर निर्देशक शुभ की यह पहली फिल्म है, पर जब आप फिल्म देखेंगे तो आपको इस बात का एहसास ही नहीं होगा कि वह नए हैं। सच यह है कि जब शुभ ने मुझे इस फिल्म की कहानी व पटकथा सुनायी तो मुझे लगा कि वही इस विषय के साथ न्याय कर सकते हैं, क्योंकि वह कहानी व चरित्रों में पूरी तरह से रमे हुए थे। और सही मायनो में उन्होंने बहुत ही अच्छी फिल्म बनायी है।

इस फिल्म में नए चेहरों को शामिल करने की वजह?
मेरी फिल्म का असली हीरो तो पटकथा और इसके पात्र हैं, इसलिए हमने व शुभ ने बहुत सोच समझकर चरित्रों के अनुरूप कलाकारों का चयन किया। हम नहीं चाहते थे कि हमारी फिल्म के पात्र व कहानी महज नामी-गिरामी कलाकारों के चहरे के कारण कहीं खो जाएं। इस फिल्म में सौरभ शुक्ला, आमना शरीफ, रघुबीर यादव, जाकिर हुसेन, चत्रिक, उमंग जैन ने अभिनय किया है।

पर आमना शरीफ की जगह आप स्वयं अभिनय कर सकती थीं?
मैंने पहले ही कहा कि फिल्म का निर्माण करने का अर्थ यह नहीं होता कि हम स्वयं उसमें अभिनय करें।

आपने एक मराठी भाषा की फिल्म ‘मणि मंगलसूत्र’ में अभिनय किया था। उसके बाद किसी अन्य फिल्म में भी अभिनय किया क्या?
एक कलाकार के रूप में मेरे लिए भाषा की कोई बंदिश नहीं है। मैं तो हर भाषा की फिल्में करना चाहती हूं, बशर्ते फिल्म की पटकथा व चरित्र मेरे दिल को छू जाए। ‘मणि मंगलसूत्र’ बहुत ही बेहतरीन कथा वाली फिल्म थी। इस फिल्म में मुझे बहुत सराहा गया। यह एक सत्यकथा पर आधारित विचारोत्तेजक फिल्म थी।

क्या आप फिल्मों में आइटम सॉन्ग करना चाहेंगी?
जरूर, मुझे आइटम सॉन्ग करने से कभी कोई परहेज नहीं रहा। मैंने तिग्मांशु धूलिया की फिल्म ‘शागिर्द’ में आइटम सॉन्ग किया है। आगे भी जब भी मुझे कोई अच्छा ऑफर मिलेगा तो मैं आइटम सॉन्ग करूंगी।

भविष्य की योजना?
इसके प्रदर्शन के बाद ही कुछ और सोचूंगी।

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