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ईवेंट मैनेजमेंट: धूम मचा दे रंग जमा दे

लगातार हो रहे आयोजनों के मद्देनजर ईवेंट इंडस्ट्री की स्थिति न सिर्फ संतोषप्रद है, बल्कि संभावनाओं से भरपूर नजर आती है। छात्र भी इसकी तरफ आकर्षित हो रहे...

ईवेंट मैनेजमेंट: धूम मचा दे रंग जमा दे
Tue, 11 Dec 2012 04:13 PM
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लगातार हो रहे आयोजनों के मद्देनजर ईवेंट इंडस्ट्री की स्थिति न सिर्फ संतोषप्रद है, बल्कि संभावनाओं से भरपूर नजर आती है। छात्र भी इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इसमें करियर एवं रोजगार के बारे में बता रहे हैं संजीव कुमार सिंह

किसी भी ईवेंट के दौरान स्टेज पर कलाकारों की जुगलबंदी, उसकी साज-सज्जा तथा मेहमानों का स्वागत करने का अंदाज हर किसी के मन को भाता है। यह कार्यक्रम अचानक से ही दर्शनीय नहीं बन जाते, बल्कि इसके पीछे एक खास ग्रुप की हफ्ते-महीने की मेहनत छिपी होती है। खेलकूद, शादी-विवाह, फैशन शो, थीम पार्टी, प्रोडक्ट लांचिंग, सेमिनार, प्रदर्शनी तथा प्रीमियर जैसे कार्यक्रम भी इनकी अनुपस्थिति के बगैर नहीं हो सकते। यह सारा कुछ संभव हो पाता है ‘ईवेंट मैनेजरों’ द्वारा। और इस पूरे प्रोफेशन को ईवेंट मैनेजमेंट का नाम दिया गया। एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन, नोएडा के डायरेक्टर प्रो. आर.के. डार्गन के अनुसार भारत में ईवेंट मैनेजमेंट एक प्रोफेशन के रूप में अपनी गहरी जड़ें जमा चुका है। आज स्थिति यह है कि लोग मामूली आयोजनों में अपना सिर खपाने की बजाय किसी ईवेंट मैनेजमेंट कंपनी की सेवा लेना ज्यादा लाभप्रद समझ रहे हैं। इसके पीछे एक अन्य पहलू लोगों की व्यस्त जीवनशैली भी है। थोड़े से खर्च में आयोजन का यादगार बन जाना हर किसी को आकर्षित करने लगा है। यही कारण है कि यह प्रोफेशन तेजी से फल-फूल रहा है। इसमें थ्योरी व प्रैक्टिकल नॉलेज दोनों की जरूरत पडम्ती है, क्योंकि 90 प्रतिशत काम प्रैक्टिकल व 10 प्रतिशत थ्योरी पर आधारित होता है। सिलेब्रिटी मैनेजमेंट, स्टेज मैनेजमेंट, ब्रांड मैनेजमेंट, क्राउड मैनेजमेंट, लॉजिस्टिक, फूड फेस्टिवल आदि कई नए टॉपिक इसके सिलेबस में जुडम्ते जा रहे हैं। ये सभी इंडस्ट्री की मांग के मुताबिक इसमें जोड़े गए हैं। कोर्स के दौरान छात्रों को फील्ड में भेज कर या किसी ईवेंट कंपनी के साथ जोड़ कर काम की बारीकियां सिखाई जाती हैं। कोर्स समाप्त होने के बाद रोजगार की कोई कमी नहीं है। डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं हो पा रही। छात्रों को यह सलाह दी जाती है कि वे जॉब के लिए सिर्फ कॉलेज के भरोसे न रह कर अपना खुद का नेटवर्क तलाशें।

सिलेब्रिटी मैनेजमेंट का चलन
आज सिलेब्रिटी मैंनेजमेंट का कॉन्सेप्ट प्रचलन में है। कहना गलत न होगा कि प्रमुख सिलेब्रिटी जैसे अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय, महेंद्र सिंह धौनी, कैटरीना कैफ, आमिर खान, करीना कपूर आदि की मांग समाज के हर तबके में है। प्रमुख विज्ञापन कंपनियां भी इनकी चमक को भुनाने के लिए विज्ञापन एवं अन्य प्रायोजक कार्यक्रमों में इनकी उपस्थिति चाहती हैं। यह सारा काम एक एजेंसी एवं प्रक्रिया के तहत होता है। इसे ‘सिलेब्रिटी मैनेजमेंट’ की संज्ञा दी जाती है। इसके एवज में कंपनियां इन सिलेब्रिटीज को पैसा देती हैं। अकेले इस इंडस्ट्री का कारोबार 1000 करोड़ तक पहुंच चुका है तथा कुल विज्ञापन का 80 फीसदी सिर्फ टॉप 50  सिलेब्रिटीज ही एकत्र कर रहे हैं।

हर साल बढ़ रहा है दायरा
ईवेंट इंडस्ट्री दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है। प्राइसवाटरहाउस कूपर्स के अध्ययन के मुताबिक वर्तमान समय में यह इंडस्ट्री 18 फीसदी की दर से ग्रोथ कर रही है। आने वाले वर्षों में यह वृद्धि दर 20 फीसदी तक पहुंचने की संभावना है। यह भी उम्मीद है कि 2015 तक यह दर 25 फीसदी तक पहुंच जाए। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार 2008 से 2012 तक यह इंडस्ट्री 1800 करोड़ से बढ़ कर 2000 करोड़ तक पहुंच गई, जबकि 2015 तक इसके 5000 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। इसका सकारात्मक पहलू यह भी है कि सरकारी व निजी क्षेत्र दोनों में ही विस्तार देखने को मिल रहा है।

अधिकांश विशेषज्ञ भारत में ईवेंट इंडस्ट्री की शुरुआत 80 के दशक से मानते हैं, जब मल्टीनेशनल कंपनियों का आगमन हुआ था। उनका यह भी कहना है कि यह दौर छोटी व मध्यम आकार की ईवेंट कंपनी खोलने का सही समय है, क्योंकि बदलते परिदृश्य के मद्देनजर प्रतिदिन मेगा शो, विवाह, बर्थडे पार्टी, सेमिनार, एग्जीबिशन, कांफ्रेंस, स्टेज शो आदि का आयोजन किया जा रहा है। बढ़ते चलन का ही असर है कि आज भारत में 500 बड़ी तथा 1800 के करीब छोटी ईवेंट कंपनियां चल रही हैं।

सब कुछ समेटे है ईवेंट इंडस्ट्री

सोशल ईवेंट: शादी, बर्थडे पार्टी, सालगिरह
एजुकेशनल ईवेंट: एजुकेशन फेयर, कॉलेज ईवेंट, पिकनिक, एनुअल स्पोर्ट्स
कॉरपोरेट ईवेंट: मीटिंग, सेमिनार, कांफ्रेंस, ट्रेनिंग प्रोग्राम, अवॉर्ड फंक्शन
एग्जीबिशन एवं फेयर: प्रॉपर्टी एग्जीबिशन, एक्सपोर्ट एग्जीबिशन, जॉब फेयर
इंटरटेनमेंट ईवेंट: मूवी प्रमोशन, सिलेब्रिटी नाइट, म्यूजिक/वीडियो रिलीज, अवॉर्ड नाइट, फैशन शो, स्टेज शो, ब्यूटी कांस्टेस्ट, ड्रामा
मार्केटिंग एवं प्रमोशन: एड कंपनी, प्रोडक्ट लांचिंग, रोड शो, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स

कई तरह के कोर्स हैं प्रचलन में
कुछ वर्ष पूर्व तक ईवेंट मैनेजमेंट के लिए कोई कोर्स जरूरी नहीं था, लेकिन इंडस्ट्री की ग्रोथ व संभावनाओं को देखते हुए योग्य प्रोफेशनल्स की मांग होने लगी है और धीरे-धीरे कई तरह के डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा, एमबीए तथा सर्टिफिकेट कोर्स प्रचलन में आ गए। इस क्षेत्र में मूल रूप से दो शाखाएं होती हैं। पहला लॉजिस्टिक मैनेजमेंट तथा दूसरा मार्केटिंग। इसके पीजी कोर्स में ईवेंट मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशन तथा स्पॉन्सरशिप, ईवेंट कोऑर्डिनेशन, ईवेंट प्लानिंग, ईवेंट टीम रिलेशनशिप, ईवेंट अकाउंटिंग की सैद्धांतिक व व्यावहारिक ट्रेनिंग दी जाती है। कोर्स के बाद छात्र किसी ईवेंट मैनेजमेंट कंपनी से जुडम् कर प्रैक्टिकल नॉलेज (इंटर्नशिप) हासिल कर सकते हैं।

संभावनाएं

एड एजेंसी
मूवी/सीरियल प्रोडक्शन हाउस
न्यूजपेपर/रेडियो/टीवी चैनल/पब्लिकेशन हाउस
म्यूजिक/ट्रेवल एवं टूरिज्म कंपनी
ईवेंट/सिलेब्रिटी मैनेजमेंट कंपनी

परिश्रम अधिक है इस फील्ड में
अमन मित्तल, डिप्टी डायरेक्टर, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी

ईवेंट मैनेजमेंट एक ग्लैमरस एवं आकर्षक प्रोफेशन है। यह इंडस्ट्री हर साल नए-नए बदलावों को जन्म दे रही है। दस साल पहले तक ईवेंट मैनेजमेंट का दायरा सिर्फ सिलेब्रिटी परफॉर्मेस तक ही सीमित रहता था, लेकिन अब यह व्यापक रूप अख्तियार कर चुका है। छोटी-सी पार्टी को भी लोग ईवेंट कंपनियों के जरिए कराना चाहते हैं। लड़कियों ने भी इस इंडस्ट्री को हाथोंहाथ लिया है। कहना गलत न होगा कि लड़कियां इसमें और बेहतर कर सकती हैं। ईवेंट मैनेजमेंट में सबसे जरूरी है कि किस काम को पहले खत्म करना है। क्लाइंट की चार बातों के 20 अर्थ निकालने होते हैं। कोर्स के दौरान भी इस चीज को फोकस किया जाता है। कोर्स के दौरान बजटिंग और फाइनेंस के टॉपिक को विस्तार के साथ समझाया जाता है। इस इंडस्ट्री की सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि इसमें लगभग सभी काम थर्ड पार्टी से कराने होते हैं, जो कई बार आपकी अपेक्षा पर खरे नहीं उतरते और क्लाइंट पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पाते। अब तो क्लाइंट्स की डिमांड भी काफी बढ़ गई है। इस चक्कर में ट्रेवलिंग अधिक करनी पड़ती है। यदि प्रोफेशनल्स के अंदर त्वरित निर्णय लेने की क्षमता, हमेशा नया करने का जज्बा, क्रिएटिविटी, टाइम मैनेजमेंट तथा कठिन परिश्रम करने का सामथ्र्य है तो उसे लंबी रेस का घोडम बनने से कोई नहीं रोक सकता।

फैक्ट फाइल

प्रमुख संस्थान
नेशनल एकेडमी ऑफ ईवेंट मैनेजमेंट एंड डेवलपमेंट (कई शाखाएं मौजूद)
वेबसाइट: www.naemd.com
एमिटी स्कूल ऑफ ईवेंट मैनेजमेंट, नोएडा
वेबसाइट: www.amity.edu
इंटरनेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ ईवेंट मैनेजमेंट, मुंबई
वेबसाइट: www.iemindia.com
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ ईवेंट मैनेजमेंट, पुणे
वेबसाइट: www.niemindia.com
इंटरनेशनल सेंटर फॉर ईवेंट मार्केटिंग, नई दिल्ली
वेबसाइट: www.iceem.net
एनआरएआई स्कूल ऑफ मास कॉम एंड ईवेंट मैनेजमेट
वेबसाइट:  www.nraismc.com
इंटरनेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन एंड टेक्नोलॉजी, दिल्ली
वेबसाइट: www.iiftindia.net

योग्यता
इस इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए किसी स्पेशलाइज्ड कोर्स की बजाय प्रबंधन क्षमता, नेटवर्किंग स्किल्स एवं क्रिएटिविटी की जरूरत होती है। ऐसे छात्र जिन्होंने ग्रेजुएशन किया हो तथा जिनमें जनसंपर्क एवं संयोजन का हुनर हो, वे आसानी से इस प्रोफेशन से जुड़ सकते हैं। डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स बारहवीं के बाद किए जा सकते हैं।

स्किल्स
मजबूत कम्युनिकेशन एवं नेटवर्किंग स्किल्स
परिस्थितियों को संभालने का गुण
टीम वर्क एवं लीडरशिप का गुण
मेहनती एवं धर्यवान

एजुकेशन लोन
इस कोर्स को करने के लिए कई राष्ट्रीयकृत बैंक देश में अधिकतम 10 लाख तथा विदेशों में अध्ययन के लिए 20 लाख तक लोन प्रदान करते हैं। इसमें तीन लाख रुपए तक कोई सिक्योरिटी नहीं ली जाती। इसके ऊपर लोन के हिसाब से सिक्योरिटी देनी आवश्यक है।

वेतन
यह ऐसी फील्ड है, जिसमें वेतन की कोई निश्चित सीमा तय नहीं की जा सकती। आयोजन समारोह की संरचना ही वेतन का आधार बनती है। कैंपस प्लेसमेंट के जरिए नौकरी क्षेत्र में आने वाले प्रोफेशनल्स को 10,000-12,000 रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। अनुभवी ईवेंट मैनेजर अपनी काबिलियत के दम पर 50-80 हजार प्रतिमाह कमा रहे हैं। अधिकांशत: ईवेंट एवं प्रतिदिन के हिसाब से चार्ज किया जाता है।

पॉजिटिव/निगेटिव

क्रिएटिविटी दिखाने का अवसर
सफलता मिलने पर प्रसिद्धि
परिश्रम अधिक (95 परसेंट हार्ड वर्क)
रिस्क से भरा प्रोफेशन

काम के घंटे
इसमें काम करने का कोई निश्चित स्वरूप एवं घंटे निर्धारित नहीं होते। ईवेंट दिन का है या रात का, कितने घंटे का, उस हिसाब से ईवेंट मैनेजर को काम करना पडम्ता है। यहां तक कि एक दिन में लगातार कई घंटे तक अलग-अलग ईवेंट संभालने पडते हैं।

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