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पाक सरकार-चुनाव आयोग में ठनी, सेना आयोग के साथ

पाकिस्तान में आने वाले चुनाव को लेकर सरकार और चुनाव आयोग के बीच ठन गई है।

पाक सरकार-चुनाव आयोग में ठनी, सेना आयोग के साथ
Wed, 13 Mar 2013 06:14 PM
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पाकिस्तान में आने वाले चुनाव को लेकर सरकार और चुनाव आयोग के बीच ठन गई है। उधर, पाक सेना ने चुनाव आयोग को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। इस संबंध में आयोग और सेना के बीच एक अहम बैठक भी हुई।

चुनाव आयोग ने सरकार के विरोध की परवाह न करते हुए संशोधित नामांकन पत्रों की छपाई के फैसले पर आगे बढ़ने का निश्चय किया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी मई में होने वाले आम चुनाव को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से कराने के लिए आयोग के इस कदम का समर्थन किया है।

कानून निर्माताओं ने नामांकन पत्रों में होने वाले बदलावों पर आपत्ति जताई थी। ये बदलाव प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता, कर अदायगी और दोहरी नागरिकता से संबंधित हैं।

चुनाव आयोग ने चुनाव के लिए मतपत्रों में बदलावों को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा किए बिना ही संशोधित नामांकन पत्र प्रकाशित करने के फैसले पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।

सरकार ने इस कदम का विरोध किया है। कानून मंत्री फारूक नाईक ने कहा है कि इस तरह के संशोधनों को पहले राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी चाहिए। चुनाव आयोग को सशक्त बनाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी के नेतृत्व में शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने कल सरकार से औपचारिक मंजूरी के बिना ही नियमों में संशोधन के चुनाव आयोग के प्रयासों का समर्थन किया।

प्रधान न्यायाधीश के हवाले से मीडिया में कहा गया कि चुनाव आयोग स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आवश्यक नियमों में बदलाव करने में इतना कमजोर महसूस क्यों करता है, खासकर तब जब पिछले साल जून में शीर्ष अदालत यह स्पष्ट कर चुकी है कि चुनावों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए सभी कदम उठाए जाने चाहिए।

पीठ ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग नामांकन पत्रों में बदलाव करने के लिए अधिकृत है। अदालत ने चुनाव आयोग को कानून मंत्रालय से स्वीकृति मांगे बिना अपने नियमों में बदलावों पर आगे बढ़ने का निर्देश दिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व के फैसले में इसकी अनुमति दी गई थी।

इस पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 190 को लागू करते हुए सरकार को निर्देश दिए कि वह संवैधानिक प्रावधानों के पालन में किसी तरह की देरी न करे। साथ ही पीठ ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के अपने पूर्व फैसले के पालन के भी निर्देश दिए। अनुच्छेद 190 उच्चतम न्यायालय को यह अधिकार देता है कि वह किसी कार्यकारी प्राधिकरण की मदद ले सकता है।

विश्लेषकों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले ने राष्ट्रपति की मंजूरी लिए बिना ही संशोधित मतपत्र छापने के चुनाव आयोग के फैसले को कानूनी चुनौती दिए जाने के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं।

पाकिस्तानी सेना और चुनाव आयोग मई में होने वाले आम चुनावों को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने के लिए जल्दी ही एक बैठक करेंगे। इस बैठक में आगामी चुनावों में सैनिकों की तैनाती के बारे में फैसला किया जाएगा।

इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के मेजर जनरल असीम सलीम बाजवा ने कहा कि हमने सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के चुनाव आयोग को हर संभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।

चुनाव आयोग ने सैन्य अधिकारियों के साथ इस संबंध में एक बैठक भी की है और सुरक्षा के लिए जवानों की तैनाती के मसले पर शीघ्र ही एक और बैठक आयोजित की जाएगी। बाजवा ने द न्यूज डेली को बताया कि चुनाव आयोग सेना को उन मतदान केंद्रों की जानकारी देगा जो संवेदनशील और अति संवेदनशील हैं तथा जहां शांतिपूर्ण ढंग से मतदान सुनिश्चित करने के लिए विशेष सुरक्षा इंतजामों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके बाद सेना के लिए जरूरी सुरक्षा की योजना बनाना आसान हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग को जरूरत हुई तो मतपत्रों को विभिन्न इलाकों तक ले जाने के लिए जरूरी सुरक्षा मुहैया कराने के लिए भी सैनिकों से कहा जाएगा।

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