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Hindi Newsगिरफ्त में आतंकी: हत्या समेत 75 केस में थी खालिस्तान कमांडो की तलाश

गिरफ्त में आतंकी: हत्या समेत 75 केस में थी खालिस्तान कमांडो की तलाश

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लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 21 Mar 2017 08:47 PM

 

आतंकी गतिविधयों, पुलिसकर्मियों की हत्याएं, डकैतियों और लूट की 50 से अधिक वारदातों में शामिल रहे खालिस्तान कमांडो फोर्स के एक आतंकी को अपराध शाखा ने महिपालपुर से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने गुरसेवक उर्फ बबला के पास से एक पिस्तौल और चार जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। वह 1984 के आपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले का साथी रहा है। 

संयुक्त आयुक्त प्रवीर रंजन के अनुसार बीते 20 मार्च को अपराध शाखा के पास सूचना आई कि खालिस्तान कमांडो फोर्स का आतंकी गुरसेवक सिंह महिपालपुर इलाके में आएगा। पटियाला अदालत ने उसे एक मामले में भगोड़ा घोषित कर रखा है। उसके पास  हथियार भी हो सकते हैं। इस जानकारी पर एसीपी जसबीर सिंह की देखरेख में इंस्पेक्टर पीसी खंडूरी और एसआई दाता राम की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। 

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तलाशी में उसके पास से एक पिस्तौल और चार जिंदा कारतूस मिले। उसके खिलाफ अपराध शाखा ने आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज किया है। आरोपी गुरसेवक मूल रूप से लुधियाना का रहने वाला है। वह दसवीं कक्षा तक पढ़ा है। पंजाब में वर्ष 1980 के दौरान उसका बड़ा भाई स्वर्ण सिंह जरनैल सिंह भिंडरावाले का साथी था। उसी समय वह भिंडरावाले के भतीजे दर्शन सिंह के संपर्क में आया और वर्ष 1982 में उनका साथी बन गया। 

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आईएसआई की मदद से बना संगठन

वर्ष 1984 में भारतीय सेना ने जब आपरेशन ब्लू स्टार में भिंडरावाले को मार दिया तो उसके अधिकांश साथी पाकिस्तान भाग गए, जहां उन्हें आईएसआई ने संरक्षण दिया। आईएसआई की मदद से बाद में इन आतंकियों ने खालिस्तान कमांडो फोर्स, बब्बर खालसा और भिंडरावाले टाइगर फोर्स आदि संगठन बनाए। गुरसेवक सिंह कुख्यात आतंकी मनवीर सिंह छेदू के साथ मिलकर खालिस्तान कमांडो फोर्स का सदस्य बन गया। इसके बाद वह राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहा। उसने दर्जनों ऐसे लोगों की हत्या की जिनके भारतीय सुरक्षा एजेंसी के मुखबिर होने का शक था। इसके अलावा पंजाब, दिल्ली और राजस्थान में उसने कई डकैती की वारदातों को अंजाम दिया। 

आरोपी ने पुलिस को बताया कि उसके संगठन को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की तरफ से मदद मिल रही थी। वह उन्हें भारी मात्रा में मादक पदार्थ और जाली भारतीय नोट मुहैया करवा रहे थे। जिसकी मदद से वह भारत को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे थे। 

इस समय खालिस्तान कमांडो फोर्स का सरगना परमजीत सिंह पंजवाड़ है, जो पाकिस्तान में मौजूद है। गुरसेवक सिंह परमजीत सिंह, पूर्व सरगना जगतार सिंह हवारा एवं अन्य आतंकियों के संपर्क में था। परमजीत के कहने पर वह एक बार फिर अपने संगठन को जोड़ने में जुटा हुआ था। 

संपादक की कर दी थी हत्या

मई 1984 में गुरसेवक सिंह ने अपने साथियों लाभ सिंह, गुरिन्द्र सिंह और स्वर्णजीत सिंह के साथ मिलकर एक समाचार पत्र के संपादक रमेश चंद्र की जालंधर में हत्या कर दी थी। संपादक द्वारा भिंडरेवाले की आलोचना करने के चलते उन्होंने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था। लुधियाना पुलिस ने उसी वर्ष उसे एक मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार कर लिया था। 

अगली स्लाइड में पढ़ें कैसे पुलिस हिरासत से भागा था गुरसेवक

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गिरफ्त में आतंकी: हत्या समेत 75 केस में थी खालिस्तान कमांडो की तलाश

 

पुलिस हिरासत से भाग गया

वर्ष 1985 में राजस्थान स्थित भिलवाड़ा रेलवे स्टेशन पर वह पुलिस हिरासत से भाग गया था। वर्ष 1986 में उसने अपने साथियों सहित पंजाब के पूर्व डीजीपी जुलिओ रिबेरियों के जालंधर स्थित घर पर हमला किया था। आतंकियों के खिलाफ की गई कार्यवाही का बदला लेने के मकसद से उन्होंने यह हमला किया था। 


आठ पुलिसकर्मियों की हत्या

वर्ष 1986 में खालिस्तान कमांडो फोर्स के सरगना जरनल लाभ सिंह, गुरिंदर पाल सिंह और स्वर्णजीत सिंह को पुलिस हिरासत से मुक्त करवाने के लिए उसने अपने साथियों सहित पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। इस हमले में उन्होंने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। यह वारदात उन्होंने जालंधर की अदालत परिसर में की थी।


थाने से लूटे थे हथियार

 इसके बाद उसने पंजाब के एक पुलिस थाने पर हमला कर 16 राइफल, छह कारबाइन, गोलिया, दो रिवाल्वर, पुलिस जीप और कार लूट ली थी। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर एक ही परिवार के 9 लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद से वह जेल में ही रहा। 1986 से लेकर वर्ष 2004 तक अधिकांश समय उसे तिहाड़ जेल के हाईरिस्क वार्ड में रखा गया। 

जेल में रहकर आकाओं से किया संपर्क

तिहाड़ जेल में रहने के दौरान ही उसने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से संपर्क किया था। दिल्ली में वारदात करने के लिए उसने एके47 सहित भारी मात्रा में हथियार एवं विस्फोटक मंगवाए थे। इसका पता चलने पर वर्ष 1998 में पुलिस ने पंजाबी बाग इलाके से दो आतंकियों को गिरफ्तार कर उनके पास से 18 किलो आरडीएक्स, एक एके47, 100 गोलियां, दो पिस्तौल, पांच मैगजीन, 8 हैंडग्रेनेड, चार टाइमर और डेटोनेटर बरामद किए थे। इस मामले में भी गुरसेवक को गिरफ्तार किया गया था। 

वर्ष 2004 में दोबारा हिरासत से भागा

पंजाब पुलिस वर्ष 2004 में उसे पेश करने के लिए तीस हजारी अदालत ले गई थी, जहां से वह फरार हो गयाथा। इस बाबत सब्जी मंडी थाने में मामला दर्ज कर इसकी जांच स्पेशल सेल को सौंपी गई थी। पुलिस को उसके खौफनाक इरादे पता करने थे क्योंकि वह सजा पूरी करने से कुछ समय पहले ही भाग गया था। हालांकि एक सप्ताह बाद ही उसे लुधियाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। वर्ष 2004 से लेकर 2010 तक वह जेल में रहा। 


बेल पर आने के बाद बदला घर

वर्ष 2010 में वह जब बेल लेकर आया तो सबसे पहले उसने पंजाब स्थित अपना घर बदल लिया। उसने अदालत में लंबित मामलों में पेश होना बंद कर दिया। पटियाला हाउस अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। उधर वह लगातार लूटपाट की वारदातों में लिप्त हो गया। तीन बार उसे वर्ष 2014, 2015 और 2016 में लुधियाना पुलिस ने गिरफ्तार किया। 

चोरी के वाहनों की खरीद-फरोख्त करता था

आरोपी ने पुलिस को बताया कि फिलहाल वह राजधानी से चोरी होने वाली गाड़ियों को खरीदता था। वह कई वाहन चोरों से संपर्क बनाए हुए था। उनसे चोरी की गाड़ियां लेकर वह आगे बेचता था। उसके पास मौजूद पिस्तौल भी उसे एक वाहन चोर ने दी है। पुलिस उससे मिली जानकारी पर हथियार देने वाले बदमाश की तलाश कर रही है। 

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