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अलग कोयला नियामक की जरूरत नहीं: विशेषज्ञ

कोयला क्षेत्र के लिये अलग नियामक गठित करने के प्रस्ताव के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि शुष्क ईंधन क्षेत्र के नियमन के लिये अलग प्राधिकरण की जरूरत नहीं...

अलग कोयला नियामक की जरूरत नहीं: विशेषज्ञ
Mon, 11 Jun 2012 03:39 PM
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कोयला क्षेत्र के लिये अलग नियामक गठित करने के प्रस्ताव के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि शुष्क ईंधन क्षेत्र के नियमन के लिये अलग प्राधिकरण की जरूरत नहीं है और केंद्रीय विद्युत विनयामक आयोग (सीईआरसी) को अधिकार देकर यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। 

कोयला क्षेत्र के लिये अलग नियामक गठित करने की केंद्र सरकार की कोशिश के बीच बाजार प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता अधिकार संरक्षण के लिये काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन कटस इंटरनेशनल ने कटस इंटरनेशनल ने कहा है कि बिजली नियामक को यह जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है। 
  
कोयला नियामकीय प्राधिकरण विधेयक, 2012 में एक ऐसे प्राधिकार के गठन का प्रस्ताव है जो इस क्षेत्र में संसाधनों के नियमन तथा संरक्षण करने के साथ कोयला उपभोक्ताओं एवं उत्पादकों के हितों की रक्षा करेगा।

फिलहाल विधेयक के मसौदे पर मंत्रियों का समूह विचार कर रहा है। प्रस्तावित नियामक उर्जा क्षेत्र में चौथा नियामक होगा। इस क्षेत्र में पहले से सीईआरसी, पीएनजीआरबी, परमाणु उर्जा आयोग तथा डीजीएच काम कर रहा है।
   
इस बारे में कटस इंटरनेशनल के महासचिव प्रदीप एस मेहता ने बयान जारी कर कहा, कोयला क्षेत्र के नियमन के लिये अलग नियामक की जरूरत नहीं है और इस उद्देश्य के लिये सीईआरसी को अधिकार दिया जा सकता है।
  
उन्होंने कहा कि इससे न केवल उर्जा क्षेत्र के नियमन के लिये समन्वित रूख प्रभावित होगा बल्कि राजकोषीय समस्या की इस घड़ी में संसाधनों की बर्बादी भी होगी।
  
उल्लेखनीय है कि योजना आयोग ने भी यह कह चुका है कि एक उर्जा नियामक आयोग होना चाहिए जो बिजली, परमाणु उर्जा, पेट्रोलियम, गैस तथा कोयला जैसे उर्जा से संबद्ध क्षेत्रों को देखे। इस प्रकार का नियामक ज्यादा कुशल और लागत प्रभावी होगा।
  
दिलचस्प बात यह है कि मौसदा विधेयक में बिजली कानून, 2003 के तहत गठित अपीलीय न्यायाधिकरण को प्रस्तावित कोयला प्राधिकरण के निर्णयों के खिलाफ अपील की सुनवाई का अधिकार होगा।
  
इस बारे में सवाल उठाते हुए सीईआरसी के पूर्व चेयरमैन डाक्टर एस एल राव ने कहा, अगर बिजली कानून के तहत गठित अपीलीय न्यायाधिकरण को अपीलीय अधिकार क्षेत्र दिया जा सकता है तो केंद्रीय विद्युत नियामक प्राधिकरण को कोयला क्षेत्र के नियमन की जिम्मेदारी क्यों नहीं दी जा सकती।
  
राव ने यह भी कहा कि अलग कोयला नियामक प्राधिकरण के उपर सरकार को पहले व्यापक बहस करानी चाहिए तभी इस मामले को आगे बढ़ना चाहिए।

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