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राठौड़ की सिफारिश पर राजवीर बने द्रोणाचार्य के प्रबल दावेदार

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की सिफारिश पर द्रोणाचार्य पुरस्कार की दौड़ में शामिल हुए वूशू कोच राजवीर सिंह ने कहा कि यदि उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलता है तो इससे देश में इस खेल को आगे बढ़ाने में मदद...

राठौड़ की सिफारिश पर राजवीर बने द्रोणाचार्य के प्रबल दावेदार
Mon, 05 Aug 2013 04:56 PM
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एथेंस ओलंपिक खेलों के रजत पदक विजेता निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की सिफारिश पर द्रोणाचार्य पुरस्कार की दौड़ में शामिल हुए वूशू कोच राजवीर सिंह ने कहा कि यदि उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलता है तो इससे देश में इस खेल को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित राठौड़ ने इस साल अप्रैल में तमाम दस्तावेजों की जांच के बाद राजवीर को प्रशिक्षकों को दिए जाने वाले इस सर्वोच्च सम्मान के योग्य पाया था। राजवीर 2001 से वुशू खिलाड़ी और कोच रहे लेकिन 2005 से उन्होंने पूरी तरह से कोचिंग का जिम्मा संभाल लिया। इसके बाद उनकी मार्गदर्शन में विमोलजीत सिंह ने पिछले दो एशियाई खेलों में कांस्य पदक जबकि संध्यारानी ने ग्वांग्झू 2010 में रजत पदक जीता था। इन दोनों को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

राजवीर ने पत्रकारों से कहा कि पिछले छह से आठ वर्षों में हमारे प्रदर्शन में बहुत अधिक सुधार हुआ है। एशियाई खेल, एशियाई चैंपियनशि, विश्व चैंपियनशिप में लगातार पदक आ रहे हैं। ऐसे खेल में जिसके बारे में कोई नहीं जानता, उसमें मेरे दो शिष्यों को अर्जुन पुरस्कार मिला है। बीजिंग स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी से वुशू में कोचिंग का डिप्लोमा हासिल करने वाले पहले भारतीय कोच राजवीर ने कहा कि द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामांकन होने से मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं समझता हूं भारत में वुशू के लिए काफी संभावनाएं हैं और यदि सही मौके मिलें तो इस क्षेत्र में कई खिलाड़ी आगे आ सकते हैं। यदि मुझे यह पुरस्कार मिलता है तो इससे देश में मार्शल आर्ट से जुड़े सभी लोगों का उत्साह बढ़ेगा।

दिल्ली वुशू संघ ने भी राजवीर को द्रोणाचार्य पुरस्कार देने की सिफारिश की है। संघ के अध्यख डा प्रभात कुमार ने कहा कि द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए राजवीर के नाम का नामांकन देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। इससे देश के अन्य वुशू खिलाड़ियों और कोचों का उत्साह बढ़ेगा।

सीआरपीएफ में इंस्पेक्टर के पदक कार्यरत राजवीर ने कहा कि मैं 2005 से उन्हें (विमोलजीत और संध्या) को लगातार प्रशिक्षण दे रहा हूं। नरेंद्र ग्रेवाल ने पिछले साल जूनियर विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इनके अलावा संतोष कुमार से भी काफी उम्मीद है जो विश्व वुशू चैंपियनशिप में शीर्ष आठ में रहा था। हमारी तैयारियां अच्छी चल रही हैं और मुझे विश्वास है कि अगले साल होने वाले इंचियोन एशियाई खेलों में हमें कम से चार पांच पदक मिलेंगे।

राजवीर ने कहा कि उनके वुशू अपनाने के बाद कई अन्य ने एनआईएस पटियाला से इस खेल की कोचिंग हासिल की। उन्होंने कहा कि अभी देश में वुशू के 60 या 70 कोच हैं और इस खेल में हमारी प्रगति अच्छी है। वुशू एक तरह का मार्शल आर्ट है। यह चीनी खेल है और 1990 से एशियाई खेलों का हिस्सा बना हुआ है।

 

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