भागलपुर की नेहा चमक रही है बॉलीवुड में
भागलपुर की रहने वाली नेहा शर्मा को बॉलीवुड में कामयाबी इतनी आसानी से नहीं मिली। उन्होंने महेश भट्ट कैंप की फिल्म से शुरुआत तो की, लेकिन उन्हें दूसरी फिल्म के लिए लंबा इंतजार करना...
बिहार के भागलपुर की रहने वाली नेहा शर्मा को बॉलीवुड में कामयाबी इतनी आसानी से नहीं मिली। उन्होंने महेश भट्ट कैंप की फिल्म से शुरुआत तो की, लेकिन उन्हें दूसरी फिल्म के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। अब वह चोटी के सितारों के साथ फिल्मों में आ रही हैं।
क्या सुपर कूल हैं हम से आपको कितना फायदा मिला?
बहुत फायदा मिला। सबसे खास बात तो ये है कि इस फिल्म से बतौर एक्ट्रेस मुझे नई पहचान मिली। एक एक्ट्रेस के तौर पर मुझे लोगों ने पसंद किया और मुझे कई सारी फिल्मों के ऑफर भी मिले हैं।
क्या आपको फिल्मों में जमने के लिये कई जतन करने पड़े?
हां बहुत.. फिल्मों में स्थापित होना आसान नहीं है और वो भी उसके लिये जिसका फिल्मों से दूर-दूर तक कोई वास्ता ना हो। मैं बिहार की रहने वाली हूं और भागलपुर के माउंट कारमल स्कूल से मैंने पढ़ाई की है। लिहाजा फिल्मों में अपने कदम जमाना मेरे लिये बहुत कठिन था।
क्या आप बतौर हीरोइन स्थापित होने का सपना लेकर ही मुंबई आई थीं?
हां, लेकिन इससे पहले मैंने नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स भी किया था, ताकि अगर एक्टिंग में सफल ना हो पाऊं तो दूसरी लाइन भी मेरे पास हो।
तो फिर आपकी शुरुआत कैसे हुई?
मैंने पहली फिल्म 2007 में तेलगु में ‘चीरूथा’ की थी, जिसमें मेरे हीरो चिरंजीवी के बेटे रामचरण तेजा थे। ये फिल्म अच्छी चली थी, लेकिन बाद में मुझे उसी तरह के रोल ऑफर होने लगे थे, इसलिये मैंने हिन्दी फिल्मों की तरफ रुख कर लिया। हिन्दी फिल्मों में मेरी शुरुआत मोहित सूरी की इमरान हाशमी के साथ फिल्म ‘क्रूक’ से हुई जो 2010 में रिलीज हुई थी। उसके बाद मैंने ‘तेरी मेरी कहानी’ में भी एक रोल किया था। लेकिन असल पहचान मुझे ‘क्या सुपर कूल हैं हम’ से मिली।
क्या सुपर कूल हैं हम कुछ खास नहीं चली, इससे आपको कोई नुकसान तो नहीं हुआ?
कौन कहता है कि इस फिल्म ने अच्छा कारोबार नहीं किया। फिल्म की सफलता और असफलता से कलाकार के करियर पर असर तो पड़ता ही है लेकिन चूंकि ये फिल्म कॉमेडी पर आधारित थी, इसलिये फिल्म ने औसत व्यवसाय कर लिया है।
अब आप जंयतभाई की लव स्टोरी कर रही हैं। विवेक ओबराय के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
बहुत ही अच्छा। विवेक बहुत ही अच्छे इंसान हैं, साथ ही बहुत मजाकिया भी हैं। मेरी तो उन्होंने शूटिंग के दौरान कुछ ज्यादा ही खिंचाई की है। लेकिन साथ ही शूटिंग के दौरान मदद भी बहुत की है। विवेक के साथ काम करने का अनुभव काफी अच्छा रहा।
आपके परिवार में कौन-कौन है?
मेरी दो बहनें और एक भाई है। मां घरेलू हैं, साथ ही बहुत ज्यादा पंरपरागत भी हैं, लिहाजा मुझे हमेशा इस बात का ध्यान रखना है कि मेरे किसी भी काम से घरवालों को दुख न पहुंचे।