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मोटापा दिमाग के लिये भी नुकसानदेह

विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर का बढ़ता वजन और इस पर नियंत्रण नहीं करने की प्रवृत्ति से मानिसक क्षमता भी प्रभावित हो सकती...

मोटापा दिमाग के लिये भी नुकसानदेह
Wed, 22 Aug 2012 06:05 PM
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विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर का बढ़ता वजन और इस पर नियंत्रण नहीं करने की प्रवृत्ति से मानिसक क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।

न्यूरोलॉजी पर प्रकाशित पुस्तक द वर्क में विशेषज्ञों ने एक सर्वेक्षण पर आधारित शोध के जरिये निष्कर्ष निकाला है कि शरीर का बढ़ता वजन न केवल हमको आकार में भद्दा बनाता है बल्कि यह व्यक्ति की मस्तिष्कीय क्षमता की गिरावट का कारक होता है।

इसके तहत पिछले एक दशक में 6000 से अधिक ब्रिटिश लोगों को इस सर्वेक्षण के दायरे में लाया गया। हालांकि विशेषज्ञों ने इन तथ्यों पर सुनिश्चतता भी जाहिर नहीं की है, लेकिन कहा कि उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल बढने से होने वाले मेटाबोलिक बदलाव से मोटापा बढ़ने लगता है। यह शरीर के लिये हानिकारक ही होता है।

मोटापा के परिणामस्वरूप मनुष्य में धीरे-धीरे मानिसक बीमारियां भी घर करने लगती है। सर्वेक्षण के अनुसार जो लोग मोटे थे और उनमें मेटाबोलिक बदलाव भी ज्यादा थे उनकी मानिसक क्षमता ज्यादा प्रभावित हुईं।

शोध के मुताबिक संबिंधत तथ्यों के परीक्षण के तहत 35 और 55 वर्ष की आयुवर्ग के लोगों का 10 वर्षों के अंतराल में तीन बार स्मृति एवं अन्य मस्तष्कीय क्षमताओं का परीक्षण किया गया।

मोटे और दुबले पतले दोनों वर्ग के लोगों के परीक्षण से जो निष्कर्ष सामने आये उससे इन तथ्यों की पुष्टि ही होती है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि इस पूरे शोध पर आगे भी काम करने की जरुरत है।

पुस्तक में पौष्टिक आहार, नियिमत कसरत और धूम्रपान का निषेध सहित रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण का भी सुझाव दिया गया है। जिससे मध्य आयु में किसी प्रकार की मानिसक बीमारी के खतरों से जीवन को बचाया जा सके।

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