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बीसीसीआई RTI के दायरे में आए या भारत शब्द छोड़े

भारतीय क्रिकेट बोर्ड समेत सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों के लिए आरटीआई के दायरे में आना अनिवार्य होगा और ऐसा नहीं करने पर सरकार के पास अधिकार होंगे कि वह भारत शब्द का प्रयोग करने से उसे रोक...

बीसीसीआई RTI के दायरे में आए या भारत शब्द छोड़े
Mon, 29 Jul 2013 04:57 PM
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भारतीय क्रिकेट बोर्ड समेत सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों के लिए आरटीआई के दायरे में आना अनिवार्य होगा और ऐसा नहीं करने पर सरकार के पास अधिकार होंगे कि वह टीम के साथ भारत शब्द का प्रयोग करने से उसे रोक दे। राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक 2013 का मसौदा तैयार करने वाले कार्यसमूह ने आज इसके प्रावधानों पर मीडिया से चर्चा की। कार्यसमूह के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मुकुल मुदगल ने कहा कि सभी खेल महासंघों को इस विधेयक के जरिये सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत आना होगा जिसमें बीसीसीआई भी शामिल है।
 
मुदगल ने कहा कि यदि यह विधेयक अधिनियम का रूप लेता है तो सभी खेल महासंघों को आरटीआई के दायरे में आना होगा हालांकि इसमें कुछ अपवाद शामिल होंगे जिनमें खिलाड़ियों के ठिकाने, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी, चयन मसलों, व्यावसायिक रूप से गोपनीय सूचना शामिल है। उन्होंने कहा कि यदि कोई खेल महासंघ इसके दायरे में आने से इनकार करता है तो धारा चार के तहत सरकार को यह अधिकार होगा कि वह अपीली ट्रिब्यूनल में जाकर उसे टीम के साथ भारत शब्द का इस्तेमाल करने से रोक दे।

विधेयक के नए प्रावधानों के बारे में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने कहा कि इसमें नैतिक आयोग, एथलीट आयोग और स्वतंत्र चुनाव आयोग जैसे नए प्रावधान हैं। बिंद्रा ने कहा कि कार्यसमूह ने हर राष्ट्रीय महासंघ के प्रशासन में खिलाड़ियों की 25 प्रतिशत भागीदारी अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें से दो सदस्य महासंघ की कार्यकारी ईकाई में होंगे और उन्हें मतदान अधिकार भी होगा। उप समितियों में भी एथलीट आयोग के सदस्य होंगे।

उन्होंने बताया कि इसी तरह आईओसी की आचार संहिता का अनुपालन कराने के लिए एक नैतिक आयोग का गठन किया जाएगा। इसके नौ सदस्य होंगे जिनमें से तीन न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रीय ओलंपिक समिति भारत के मुख्य न्यायाधीश या उसके द्वारा नामांकित न्यायाधीश की सलाह पर करेगी।

बिंद्रा ने आगे कहा कि इसके अलावा तीन सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रीय ओलंपिक समिति करेगी और बाकी समिति के अध्यक्ष द्वारा मनोनीत होंगे। आयोग का कार्यकाल चार साल तक होगा। नए मसौदे में भी उम्र और कार्यकाल के दिशानिर्देश को बरकरार रखा गया है जिसके तहत राष्ट्रीय खेल महासंघ के किसी भी पदाधिकारी के लिए अधिकतम आयुसीमा 70 वर्ष होगी और अध्यक्ष पद के लिए वह लगातार चार चार साल के तीन कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव नहीं लड़ सकता।

मुदगल ने कहा कि इसके अलावा ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसके खिलाफ किसी आपराधिक मामले में अदालत में आरोप तय हो गए हों, चुनाव नहीं लड़ सकता। मुदगल ने बताया कि राष्ट्रीय खेल महासंघों की चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए खेलों के स्वतंत्र चुनाव आयोग के गठन का प्रस्ताव रखा गया है।

उन्होंने बताया कि खेलों के लिए अलग चुनाव आयोग का गठन किया जाएगा जिसके चुनाव आयुक्त और दो सदस्यों की नियुक्ति तीन सदस्यीय समिति करेगी। इस समिति में राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का अध्यक्ष, खेलमंत्री और एथलीट आयोग का अध्यक्ष शामिल होगा। आईपीएल समेत घरेलू टूर्नामेंटों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर नकेल कसने के लिये विधेयक में क्या प्रावधान होंगे, यह पूछने पर मुदगल ने कहा कि नैतिक आयोग इस पर नजर रखेगा और अगर मसला राष्ट्रहित का है तो कार्रवाई की जाएगी।

यह पूछने पर कि विधेयक का मसौदा तैयार करते समय क्या खेल महासंघों की राय ली गई, देब ने कहा कि सभी को मसौदे की प्रति भेजी गई है और उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार है। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई समेत सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों को मसौदे की प्रति भेज दी गई है और हमें उनकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार है। अभी तक किसी महासंघ से जवाब नहीं आया है।

देब ने बताया कि विधेयक को संसद के मानसून सत्र में लाने की योजना थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा भारत पर लगाए गए निलंबन के कारण इसमें देरी हुई और अब इसे शीतकालीन सत्र में ही लाया जा सकेगा।

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