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भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों को सुरक्षा नहीं देती सरकार

असम के एक दूरस्थ गांव में रहने वाले 40 वर्षीय नंदी सिंह को दो सितम्बर को मौत के घाट उतार दिया गया। उनका अपराध केवल इतना था कि उन्होंने स्थानीय सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों को उजागर...

भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों को सुरक्षा नहीं देती सरकार
Wed, 19 Sep 2012 12:30 PM
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असम के एक दूरस्थ गांव में रहने वाले 40 वर्षीय नंदी सिंह को दो सितम्बर को मौत के घाट उतार दिया गया। उनका अपराध केवल इतना था कि उन्होंने स्थानीय सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों को उजागर किया।

असम के धेमाजी गांव में इस हत्या को ऐसे समय अंजाम दिया गया, जब राज्यसभा में बजट व मानसून दोनों सत्रों में इस तरह की खामियों व अपराधों को उजागर करने वालों की सुरक्षा के लिए विधेयक लाए जाने की बात उठी। लेकिन संसद के दोनों सत्रों में व्यवधान के चलते ऐसा नहीं हो सका।

नंदी सिंह ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की एक दुकान में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्हें उनके घर पर उनकी पत्नी के सामने मौत की नींद सुला दिया गया।

यह इस तरह की घटनाओं का केवल एक उदाहरण है। इसी तरह 7 जुलाई को पश्चिम बंगाल के 24 परगना में एक स्कूल शिक्षक बारुन बिस्वास की हत्या कर दी गई। बिस्वास ने सामूहिक बलात्कार के मामले के अभियुक्तों के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने साल 2000 में एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई। उनके प्रयासों से छह अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा मिली, लेकिन बाकी भगोड़े साबित हुए।

एक अन्य घटना में तमिलनाडु के तिरूवनंतपुरम में कई राजनेताओं व व्यवसायियों के खिलाफ कई मामले दर्ज कराने वाले के. राजमोहन चंद्रा की जुलाई में हत्या कर दी गई।

अपराधों और खामियों को उजागर करने वालों पर इस तरह के हमलों से सामाजिक कार्यकर्ता महसूस करते हैं कि सरकार भ्रष्टाचार को सामने लाने वाले लोगों की सुरक्षा के प्रति गम्भीर नहीं है।

नेशनल इलेक्शन वॉच व एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के राष्ट्रीय संयोजक अनिल बेरवाल ने बताया कि आप उम्मीद करते हैं कि सरकार इस तरह के मामलों में तत्काल प्रभाव से काम करे लेकिन उसकी ओर से उदासीनता ही दिखाई देती है।

आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल दिल्ली में काम करते हैं। वह मानते हैं कि वह इसलिए सुरक्षित हैं क्योंकि वह राष्ट्रीय राजधानी में रहते हैं। अग्रवाल ने कहा कि भ्रष्टाचार को सामने लाने वाले लोगों की हत्या ज्यादातर दूर-दराज के इलाकों में होती। शायद इसके लिए दिल्ली में रहना सुरक्षित है।

इस तरह से भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए लम्बे समय से कानून बनाए जाने की मांग की जा रही है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के परियोजना निदेशक सत्येंद्र दुबे की हत्या के बाद से इस तरह के कानून की मांग ने जोर पकड़ा है।

दुबे ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पत्र लिखकर स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग निर्माण परियोजना में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। पीएमओ ने उनके नाम का खुलासा कर दिया और फिर उनकी हत्या हो गई।

बरसों बाद दिसम्बर 2011 में भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों की सुरक्षा से सम्बंधित विधेयक लोकसभा में पारित हो गया। अब यह राज्यसभा में स्वीकृति के लिए लम्बित है।

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