फोटो गैलरी

Hindi Newsएशिया प्रशांत में चीन को अलग-थलग करना नहीं चाहता भारत

एशिया प्रशांत में चीन को अलग-थलग करना नहीं चाहता भारत

अमेरिका में भारतीय राजदूत निरुपमा राव ने कहा है कि भारत ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका को एक शक्ति माना है, लेकिन इस क्षेत्र में चीन को अलग-थलग करने का उसका कोई मकसद नहीं...

एशिया प्रशांत में चीन को अलग-थलग करना नहीं चाहता भारत
Wed, 28 Nov 2012 11:25 AM
ऐप पर पढ़ें

अमेरिका में भारतीय राजदूत निरुपमा राव ने कहा है कि भारत ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका को एक शक्ति माना है, लेकिन इस क्षेत्र में चीन को अलग-थलग करने का उसका कोई मकसद नहीं है।
   
वाशिंगटन स्थित विचार समूह फॉरेन पॉलिसी इनीशिएटिव की ओर से आयोजित एक परिचर्चा में निरुपमा ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की पूरी प्रक्रिया में हमारा मकसद चीन को अलग थलग करने का नहीं है।
   
उन्होंने कहा कि जहां तक एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए सुरक्षा ढांचे का सवाल है, तो हम मानते हैं कि इसे खुला, समग्र और नियम आधारित होना चाहिए। हमें किसी भी कारण  को लेकर टकराव के बजाय संवाद की प्रक्रिया को मजबूत करना चाहिए।
   
इस परिचर्चा में अमेरिका में ऑस्ट्रेलियाई राजूदत किम बेजले, फिलीपीनी दूतावास की वरिष्ठ अधिकारी मारिया आस्ट्रिया भी मौजूद थे।
    
निरुपमा ने कहा कि शक्ति का केंद्र अब एशिया प्रशांत क्षेत्र की ओर स्थानांतरित हो रहा है। भारत हमेशा से इस क्षेत्र का हिस्सा रहा है। एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रिश्तों का हमारा इतिहास रहा है।
    
भारत-अमेरिका रिश्ते से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, भारत और अमेरिका के बीच रिश्ता आज रणनीतिक साझेदारी के रूप में परिभाषित हुआ है। राष्ट्रपति ओबामा इसे अद्वितीय साझेदारी करार देते हैं। मेरा मानना है कि उनका यह कथन काफी उचित है।
    
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों की बात आती है तो हम सैद्धांतिक और व्यवहारिक दोनों तरह से जुड़ते हैं। हमारा इतिहास रहा है। यह बात सही है कि शीत युद्ध और उसके कुछ बाद तक हमारे बीच दूरियां रही हैं, लेकिन पिछले कई वर्षों से रिश्ते में बहुत सुधार हुआ है। आज दोनों देशों के बीच में बहुआयामी साझेदारी है।
   
भारतीय राजनयिक ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच न केवल राजनीतिक वार्ता होती है, बल्कि दोनों देशों के बीच बहुत अच्छे और मजबूत व्यापार तथा कारोबारी रिश्ते हैं। निरुपमा ने कहा कि अमेरिका में 30 लाख भारतीय-अमेरिकी हैं। हमारे रक्षा प्रतिष्ठानों का एक दूसरे के साथ के साथ नजदीकी संपर्क है। हम किसी और देश के मुकाबले अमेरिका के साथ कहीं ज्यादा युद्धाभ्यास करते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उर्जा तथा कई अन्य मुद्दों पर संवाद चल रहा है।
    
उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा से माना है कि अमेरिका प्रशांत क्षेत्र में शक्ति रहा है और आगे भी रहेगा। चीन के बारे में भारतीय राजदूत ने कहा कि दोनों देशों ने एक रिश्ते का निर्माण किया है जिसमें वे अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम हुए हैं।
    
उन्होंने कहा कि सीमा विवाद के निपटारे के लिए हमारे पास बातचीत की प्रणाली है। दोनों देशों के नेताओं ने इस संदर्भ में विशेष प्रतिनिधियों की नियुक्ति की है।
    
निरुपमा ने कहा कि चीन के साथ हमारी व्यापक व्यापारिक साझेदारी है। आज चीन हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। बीजिंग में अभी चौथे दौरे की रणनीतिक आर्थिक वार्ता संपन्न हुई है। हमने निवेश को लेकर 5.3 अरब डॉलर के समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें