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जाटलैंड में अजित सिंह की होगी अग्निपरीक्षा

बृज भूमि मथुरा और ताज नगरी आगरा से लेकर गन्ना बेल्ट यानी मुजफ्फरनगर-सहारनपुर और रुहेलखंड यानी अमरोहा-बरेली तक फैले जाटलैंड में अजित सिंह के सामने महती चुनौती...

जाटलैंड में अजित सिंह की होगी अग्निपरीक्षा
Mon, 27 Feb 2012 05:45 PM
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बृज भूमि मथुरा और ताज नगरी आगरा से लेकर गन्ना बेल्ट यानी मुजफ्फरनगर-सहारनपुर और रुहेलखंड यानी अमरोहा-बरेली तक फैले जाटलैंड में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख अजित सिंह के सामने खुद का गढ़ बचाने की चुनौती ही नहीं होगी बल्कि कांग्रेस को अपनी ताकत दिखाकर छोटे चौधरी को यह बताना होगा रालोद से गठबंधन का उसका फैसला गलत नहीं था।

जाट, जाटव और मुसलमान बाहुल्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा असर रखने वाले छोटे चौधरी यानी अजित सिंह को कांग्रेस ने जिस लाभ के लिए केंद्र में मंत्री बनाकर रालोद के साथ गठबंधन किया उस परीक्षा की घड़ी का समय आखिरी के इन चरणों में आ गया है।

छठे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिन 68 सीटों पर चुनाव होना है उसमें 35 सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा), 12 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), 10 सीटों पर रालोद, तीन सीटों पर सपा और दो सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी जबकि पांच सीटें अन्य के खाते में गईं थी।

जानकारों का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक से अधिक सीटें जीतकर अपना जनाधार बढ़ाने के लिए कांग्रेस की रणनीति है कि मुस्लिम वोटों को हथियाने का काम वह खुद करे और जाट वोट खींचने का काम रालोद पर छोड़ दिया जाए ताकि गठबंधन को लाभ मिल सके।

इसी रणनीति के तहत कांग्रेस मुस्लिम वोटों को हथियाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के मुस्लिम चेहरे रहे रशीद मसूद को अपने पाले में करके पार्टी महासचिव राहुल गांधी के साथ उन्हें पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में घुमाकर प्रचार कराया तो जाटों को लुभाने के लिए राहुल और रालोद के युवराज जयंत चौधरी की संयुक्त रैलियां कराईं।
 
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी जनसभाएं कर गठबंधन और पार्टी को मजबूती देने की कोशिश की।

रालोद इस चुनाव में कुल 46 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहा है जिसमें से करीब चालीस इसी क्षेत्र में हैं। चुनाव से ऐन वक्त पहले अजित सिंह की करीबी अनुराधा चौधरी सपा में शामिल होकर पूरे इलाके में रालोद के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।

रालोद के प्रभाव वाली कई जाट बाहुल्य सीटों पर भाजपा, बसपा और सपा द्वारा भी जाट समुदाय का उम्मीदवार उतारने से अजित सिंह को काफी चुनौतियां भी मिल रहा है। ऐसे में अजित के लिए खुद का गढ़ बचाते हुए कांग्रेस को लाभ पहुंचाना आसान नहीं होगा।

रालोद प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा, ''पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा के खिलाफ लहर है। वहां के लोग रालोद-कांग्रेस गठबंधन ही बसपा का सबसे मजबूत विकल्प मान रहे हैं। इस चुनाव में जहां रालोद पश्चिम में अकेले करीब 35 जीत रही है और गठबंधन को करीब 80 सीटें मिल रही हैं।''

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