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कंक्रीट का जंगल बनती दिल्ली में प्रकृति से दोस्ती का आनन्द

दिल्ली की आपाधापी वाली जिंदगी में ऐसी जगह की तलाश हर किसी को रहती है, जहां सुकून के दो पल बिताए जा...

कंक्रीट का जंगल बनती दिल्ली में प्रकृति से दोस्ती का आनन्द
Fri, 21 Sep 2012 02:13 PM
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दिल्ली की आपाधापी वाली जिंदगी में ऐसी जगह की तलाश हर किसी को रहती है, जहां सुकून के दो पल बिताए जा सकें। अगर आप भी किसी ऐसी जगह की तलाश में हैं तो क्यों नहीं अपनी ही दिल्ली में मौजूद एक से बढ़ कर एक खास पार्क का लाभ उठाते। पार्कों में जीवन की विविधताओं को तो देख ही सकते हैं, मनमोहक प्राकृतिक माहौल का भी आनन्द उठा सकते हैं। इस अनोखी दुनिया को इस बार पर्यटन दिवस का थीम भी बनाया गया है। नाम रखा गया है जैव विविधता और पर्यटन। सत्य सिंधु की रिपोर्ट।

तरह-तरह के पक्षियों, जानवरों और पेड़-पौधों को उनकी अपनी दुनिया में देखना किसी रोमांचक अनुभव से कम नहीं होता। तरह-तरह की चिड़ियां, उनका उदकना-फुदकना और खुले आकाश में उड़ान भर देना, रंग-बिरंगी तितलियां, गिलहरी, सांप और नील गाय जैसे कुछ बड़े जीव भी यहां आपका मन मोह लेते हैं। यह सब देखना मन को बेहद सुकून देने वाला तो साबित होगा ही, उनके बारे में जानने के बाद प्रकृति के प्रति आपके मन में आदर का भाव भी पैदा होगा।

दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में यूं तो दजर्नों पार्क हैं, लेकिन जहां पहुंच कर पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और फूल-पत्तियों से दोस्ती करने का मन करे, उनसे बातें करने का मन करे, ऐसे भी अनेक पार्क हैं।

खासकर दिल्ली डेवलपमेंट ऑथोरिटी (डीडीए) के विशेष प्रयास से विकसित यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क व अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क तो काफी महत्त्वपूर्ण हैं ही, ओखला में स्थित पक्षी विहार, सुल्तानपुर में स्थित पक्षी विहार और भलस्वा डेयरी के पास स्थित भलस्वा लेक कॉम्प्लेक्स भी विशेष महत्त्व के हैं। इन जगहों पर जाने के लिए सर्दियों का मौसम सबसे बढ़िया है, क्योंकि इस दौरान काफी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आते हैं और हमारे अतिथि बनते हैं।

यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क
कश्मीरी गेट आईएसबीटी से महज 6 किमी. की दूरी पर वजीराबाद में (नजदीक जगतपुर गांव) में स्थित इस पार्क को डीडीए द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से विकसित किया गया है। बस अड्डे से बाहरी रिंग रोड पर बुराड़ी की ओर जाते हुए सीएनजी पंप के पास इस पार्क का मार्गदर्शक बोर्ड भी दिख जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व पर्यावरणविद् प्रो. सी. आर. बाबू की देखरेख में वर्ष 2002 में शुरू हुआ यह पार्क लगभग 157 एकड़ क्षेत्र में फैला है और अब दिल्ली वालों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र भी है।

बायोडायवर्सिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष (उपराज्यपाल, दिल्ली) के विशेष प्रयास से शुरू हुए यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क और अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क के उद्देश्यों में राजधानी के ईको सिस्टम को बेहतर बनाना और लोगों में इसके प्रति जागरुकता फैलाना भी प्रमुख है। यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क के साइंटिस्ट इंचार्ज डॉ. फैयाज ए. खुदसर के अनुसार, इस पार्क के कई उद्देश्य हैं, जिनमें से एक पर्यावरण शिक्षा भी है। यहां औषधीय पौधे हैं, तितलियां हैं, कई प्रजाति के सांप हैं और दो दर्जन से भी अधिक तरह के प्रवासी पक्षी आते हैं। इसलिए यहां ग्रुप में ही आना लाभप्रद है, ताकि गाइड या विशेषज्ञ यहां के जीवन की विविधताओं के बारे में जानकारी भी दे सके।

अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क
वसंत विहार में लगभग 700 एकड़ में फैले इस पार्क को भी डीडीए द्वारा विकसित किया गया है। अरावली की पहाड़ियों में विकसित इस पार्क में पहुंच कर आपको अद्भुत दुनिया में पहुंच जाने का अहसास होगा, लेकिन यहां यह सोच कर पहुंचें कि इस दुनिया में आपसे दोस्ती निभाने वाले हजारों-लाखों छोटे-बड़े जीव-जंतु रहते हैं। सांप आपसे रास्ता मांग लें तो डरें नहीं, उन्हें रास्ता दे दें। वैसे आपके साथ चल रहे गाइड आपको यह सब बताते चलेंगे और ये सारी बातें भी बताते चलेंगे कि कोई तितली अपनी अल्पायु में अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए किसी खास पत्ते का चयन कैसे करती है या प्रवासी पक्षी कैसे प्रारम्भ में कुछ वरिष्ठ सदस्यों के समूह में आते हैं और उसके बाद माहौल को उपयुक्त पाने पर वे अपने बच्चों को लाते हैं।

यहां के विशेषज्ञ डॉ. एम. शाह हुसैन बताते हैं कि यह जगह हर किसी को भाती तो है, लेकिन उन्हें ज्यादा भाती है, जिनकी पशु-पक्षियों और प्रकृति के बारे में जानने में विशेष रुचि होती है। कनॉट प्लेस से यहां की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है। नजदीकी मेट्रो स्टेशन छतरपुर है, जहां से यह पार्क 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सुल्तानपुर पक्षी विहार
दिल्ली से सिर्फ 46 किलोमीटर व गुड़गांव रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर की दूरी पर सुल्तानपुर गांव में स्थित सुल्तानपुर पक्षी विहार ऐसी ही एक जगह है, जहां तरह-तरह के पक्षी पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं। 1972 में शुरू हुए हुआ यह पक्षी विहार पर्यटकों में तो लोकप्रिय है ही, प्रवासी पक्षियों में भी काफी लोकप्रिय है और सीजन में 100 से भी अधिक प्रजाति के प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। यूं तो यहां का सीजन अक्तूबर से मार्च के बीच होता है, लेकिन अन्य दिनों में भी भारतीय पक्षियों को यहां उन्मुक्त वातावरण में विचरण करते देखना पर्यटकों के लिए एक सुकून का पल बन जाता है। इन दिनों आप यहां नील गाय, खरगोश, गीदड़, लोमरी, गिलहरी, जंगली बिल्ली आदि भी देख सकते हैं, जिसके लिए आवश्यकतानुसार मचान भी बनाए गए हैं।
हरियाणा के गुड़गांव जिले में 359 एकड़ में फैले इस पक्षी विहार में आप पिकनिक भी मना सकते हैं, लेकिन जरा सावधानी से। सुल्तानपुर लेक में पिकनिक मनाने का अनुभव खास होता है और पर्यटक इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में भी एन्जॉय करते रहते हैं, लेकिन यहां जाकर अगर आपने गाइड के सहयोग से पशु-पक्षियों की दुनिया के बारे में कुछ जानकारी हासिल नहीं की तो समझिए यहां आने का पूरा लाभ नहीं उठा पाए। आप रात में यहां ठहरना चाहें तो इसकी भी व्यवस्था की गई है। कुछ ट्रैवल एजेंट नई दिल्ली-सुल्तानपुर का टूर भी कराते हैं।

ओखला पक्षी विहार
400 हेक्टेयर में फैले ओखला पक्षी विहार में आप अकेले भी जा सकते हैं और परिवार के साथ भी। ओखला बराज के पास से भी आप इस पार्क में प्रवेश कर सकते हैं और नोएडा के शनि मंदिर की तरफ से भी। यहां 300 से अधिक तरह के पक्षियों के अलावा गोह भी काफी संख्या में हैं, लेकिन घबराएं नहीं। ये आपको मुश्किल से ही नजर आएंगे। कनॉट प्लेस से 12 किलोमीटर और कालिंदी कुंज से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह पार्क।

भलस्वा लेक कॉम्प्लेक्स
डीडीए ने द्वारा जीटी करनाल रोड पर भलस्वा डेयरी के पास स्थापित भलस्वा लेक कॉम्प्लेक्स में आप बोटिंग तो कर ही सकते हैं, यहां के 18 होल वाले गोल्ड कोर्स को देखना भी आनन्ददायक साबित होगा। दिल्ली वाले पिकनिक मनाने के उद्देश्य से भी यहां खूब आते हैं।

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