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कहीं दर्द तो कहीं जाति ही समीकरण

खीरी में चुनावी माहौल अब पूरे शबाब पर है। आखिरी चरण में चुनाव होने के कारण यहां चुनाव प्रचार खरामा-खरामा चल रहा था पर अब वोटिंग को महज चंद दिन बाकी होने से चुनाव प्रचार फुल स्पीड पर...

कहीं दर्द तो कहीं जाति ही समीकरण
Tue, 28 Feb 2012 04:16 PM
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खीरी में चुनावी माहौल अब पूरे शबाब पर है। आखिरी चरण में चुनाव होने के कारण यहां चुनाव प्रचार खरामा-खरामा चल रहा था पर अब वोटिंग को महज चंद दिन बाकी होने से चुनाव प्रचार फुल स्पीड पर है। एक ओर स्टार प्रचारकों के उड़नखटोले हैं तो वहीं प्रत्याशी गांव-गलियारों की खाक छानने में जुटे हैं।

गोलागोकर्णनाथ: सुबह 7 बजे
गोला कस्बे में सिनेमा चौराहा ही इन दिनों चुनावी चौपाल बना है। कुछ नौजवान बैठे मिल गए। ग्रेजुएशन के छात्र हैं। चाय की चुस्कियों के बीच चुनावी माहौल पर भी चुटकियां ली जा रही हैं। गोला गोकर्णनाथ नई सीट है। पिछले चुनाव में इसका नाम हैदराबाद था। इस बार सिर्फ नाम ही नहीं बदला, नए इलाके जुड़े हैं और नई चुनौतियां भी। हैदराबाद में सपा तीन चुनावों से जीत रही है। सपा से विधायक रहे अरविंद गिरि इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं तो सपा से विनय तिवारी मैदान में हैं। बसपा ने पिहानी हरदोई के विधायक दाउद अहमद की पत्नी सिम्मी बानो प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा ने ईश्वरदीन वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है।

लखीमपुर सदर: शाम 4 बजे
शहर के हमदर्द चौराहे और हीरालाल धर्मशाला चौराहे पर चर्चा चुनाव से ज्यादा उसके माहौल पर है। पहले के चुनाव में जो इलाके विधानसभा श्रीनगर थे, उनमें से कुछ इलाके सदर सीट में जुड़ गए और कुछ अलग होकर श्रीनगर में चले गए। सपा ने मौजूदा विधायक उत्कर्ष वर्मा को टिकट दिया है। बसपा ने पहले भी विस चुनाव लड़ चुके नगर पालिका अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश वाजपेयी को उतारा है तो भाजपा ने विस चुनाव, सदर का उपचुनाव लड़ चुके विनोद मिश्र को टिकट दिया है। क ांग्रेस ने राघवेंद्र बहादुर सिंह को मैदान में भेजा है ।

श्रीनगर: दूसरा दिन, सुबह 8 बजे
श्रीनगर सीट पर मुकाबला दिलचस्प है। पिछली बार सपा के खाते में रही  यह सीट इस बार  सुरक्षित  हो गई। तो खिलाड़ी  भी बदल गए हैं। पुरानी पैला सीट के उम्मीदवारों की दावेदारी ज्यादा है। यहां के बसपा विधायक राजेश गौतम खुद को पीस पार्टी का उम्मीदवार बता रहे हैं और एक दूसरे प्रत्याशी राजाराम का भी यही दावा है। सपा ने पूर्व विधायक रामसरन को टिकट दिया है। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री माया प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। बसपा से श्रीपाल वर्मा मैदान में हैं तो भाजपा के पास नया चेहरा मंजू त्यागी हैं।

मोहम्मदी: सुबह 10 बजे
मोहम्मदी कस्बा शाहजहांपुर जिले की सीमा से लगा हुआ है। पहले यह सुरक्षित सीट थी पर इस बार यह सामान्य सीट है। उसका असर भी यहां खूब दिखता है। मोहम्मदी में नया मिजाज है तो खिलाड़ी भी एकदम नए हैं। बसपा विधायक बाला प्रसाद अवस्थी पार्टी के उम्मीदवार हैं तो भाजपा ने लोकेंद्र प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने  अशफाकउल्ला खां को उम्मीदवार बनाया है तो सपा ने मो. इमरान को  टिकट दिया है। मोहम्मदी सीट पर भी परिसीमन ने राजनीतिक दलों के माथे पर बल डाल रखे हैं। बातें यहां भी बदहाली, सड़कों, शिक्षा की की जा रही हैं, लेकिन नेताओं की निगाह जाति के समीकरणों पर हैं।

कस्ता: दोपहर 2 बजे
सबसे ज्यादा चुनावी रस्साकशी नई बनी कस्ता सीट पर है। बसपा कोआर्डिनेटर जुगल किशोर के पुत्र सौरभ की उम्मीदवारी और कांग्रेस सांसद जितिन प्रसाद का चुनाव क्षेत्र होने से यह सीट बसपा, कांग्रेस के अलावा सपा और भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न है। पुरानी हैदराबाद, पैला, मोहम्मदी और लखीमपुर के कई हिस्से काटकर ये सीट बनाई गई है।  कांग्रेस ने पूर्व मंत्री वंशीधर राज को उम्मीदवार बनाया है जो मोहम्मदी सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। भाजपा ने मोहम्मदी की विधायक कृष्णा राज, बसपा ने सौरभ सिंह सोनू और सपा ने सुनील भार्गव को प्रत्याशी बनाया है। मुद्दे यहां भी कम नहीं हैं, लेकिन चुनावी गणित उलझी हुई है।

निघासन: सुबह 8 बजे
निघासन विस क्षेत्र का गांव ब्रहमपुर। सुबह करीब आठ बजे ही कुछ स्कूली बच्चों हाथ में कुछ राजनीतिक दलों के परचे थामे मिल गए। गांव में प्रत्याशियों के समर्थक आए थे। कुछ परचे छोड़कर चले गए। निघासन में लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए मैदान इतना आसान नहीं है। यहां बाढ़ और कटान की मार जनता ङोलती है। सपा ने विधायक आरए उस्मानी को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने अजय मिश्र टैनी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अजय वर्मा को टिकट दिया है तो बसपा ने दरोगा सिंह को मैदान में उतारा है। कई ‘बागी’ उम्मीदवार भी वोटों में सेंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रचार, शोर और सभा के बीच भी जनता अपने मुद्दों की बात कर रही है। जाति से ज्यादा यहां दर्द के समीकरण हैं।

पलिया: सुबह 11 बजे
पलिया नई सीट है। अब तक पलिया तहसील क्षेत्र के लोग निघासन सीट के लिए वोट डालते थे और चुनाव के बाद विधायक निघासन का कहा जाता था। बहरहाल, पलिया सीट पर मुकाबला पेचीदा है। भाजपा ने पूर्व मंत्री रामकुमार वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने भी पूर्व मंत्री डॉ. विनोद तिवारी को। सपा से निघासन के विधायक केजी पटेल चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा से रोमी साहनी तो तृणमूल कांग्रेस से वीएम सिंह मैदान में हैं। यहां भी सियासी दफ्तरों से उठकर चुनाव की बात मोहल्लों और चौपालों तक आ गई है। नेता बोल रहे हैं और जनता खामोश है।

धौरहरा: दोपहर 2 बजे
धौरहरा की चर्चा बरसात के महीने में सबसे ज्यादा होती है, जब यहां बाढ़ और कटान लोगों के आशियाने निगलती है। यहां ईसानगर गांव  में  किसी सभा का ऐलान हो रहा है। बीच में एक नौजवान बोला-इस बार कोई फिल्मी हीरो तो आ नहीं रहा। दूसरे ने कहा-कौन आएगा यहां। बाढ़ के टाइम चुनाव होता तो इतने नेता भी नहीं आते। इस बार नेता आ रहे हैं तो बाढ़ दूर करने का भी वादा कर रहे हैं। बाढ़, कटान और बदहाली की मार ङोल  रहे ‘बेहाल’ मतदाता भी खामोश हैं। इस बार यहां सपा ने पूर्व विधायक यशपाल चौधरी को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने समर प्रताप सिंह, भाजपा ने विनोद अवस्थी को प्रत्याशी बनाया है तो बसपा ने शमशेर बहादुर को।

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