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NGO को विदेशों से मिला अरबों रुपये का अनुदान

देश में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को विदेशों से हर साल अरबों रुपये की डोनेशन मिल रही है। यह पैसा समाज सेवा के नाम पर यहां भेजा जा रहा...

NGO को विदेशों से मिला अरबों रुपये का अनुदान
Sun, 11 Mar 2012 08:54 PM
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ऐसे समय में जब भारत में विरोध-प्रदर्शनों को बढ़ावा देने के लिए कुछ एनजीओ को कथित तौर पर विदेशी धन मिलने की निगरानी हो रही है सरकार के रिकार्ड से पता चलता है कि करीब 22,000 स्वयंसेवी समूहों को समाज सेवा के लिए वर्ष 2009-10 के दौरान विदेशों से 10,000 करोड़ रुपये का अनुदान मिला। इसमें से 3218 एनजीओ तमिलनाडु से संबंधित है जिन्हें 1663.31 करोड़ रुपये की सहायता खासकर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और नीदरलैंड जैसे देशों से मिली।

यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस बयान के बाद आयी है कि तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के लिए विरोध-प्रदर्शन को भड़काने में एनजीओ को विदेशी धन मिला है। गृह मंत्रालय द्वारा तैयार इस रिपोर्ट की 11 जनवरी को केंद्रीय गृह सचिव आर.के. सिंह द्वारा जांच की गयी।

गृह मंत्रालय ने कथित तौर पर कोष का दुरूपयोग करने के आरोप में 12 एनजीओ को निगरानी दायरे में रखा है वहीं चार अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, 21508 समूहों को कुल 10337.59 करोड़ रुपये विदेशी मदद मिलने की जानकारी है। राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच सबसे ज्यादा विदेशी सहायता दिल्ली (1815.91 करोड़ रुपये) को इसके बाद तमिलनाडु (1663.31 करोड़ रुपये) और आंध्रप्रदेश (1324.87 करोड़ रुपये) को मिला।

जिन जिलों को सबसे ज्यादा विदेशी मदद प्राप्त हुआ उसमें चेन्नई (871.60 करोड़ रुपये) और इसके बाद बेंगलूर (702.43 करोड़ रुपये) और मुंबई (606.63 करोड़ रुपये) शामिल है। पिछले तीन साल 2007-08 से 2009-10 के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सबसे ज्यादा अनुदान अमेरिका से प्राप्त हुआ।

सबसे ज्यादा विदेशी अनुदान तमिलनाडु के वर्ल्ड विजन इंडिया (2009-10 में 208.94 करोड़) को मिला। एरल डेवलपमेंट ट्रस्ट, अनंतपुर, आंध्रप्रदेश को 151.31 करोड़ तमिलनाडु के सेवासुब्रमण्य नाडर एडुकेशनल चेरिटेबल ट्रस्ट को 2009-10 के दौरान 94.28 करोड़ रुपये की विदेशी सहायता प्राप्त हुयी।

रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी अनुदान की सबसे ज्यादा राशि कार्यालयीन खर्चे (1482.58 करोड़ रुपये) पर खर्च की गयी, जबकि ग्रामीण विकास के लिए 944.13 करोड़ रुपये और बच्चों के कल्याण के लिए 742.42 करोड़ राशि खर्च किया गया।

विदेशी अनुदान देने वालों में सबसे ऊपर गोस्पेल फोर एशिया इंक (232.71 करोड़ रुपये) इसके बाद फंडाकिओन विसेंटे फेरेर, बर्सिलोना, स्पेन (228.60 करोड़ रुपये) और अमेरिका का वर्ल्ड विजन ग्लोबल सेंटर (197.62 करोड़ रुपये) है। रिपोर्ट के अनुसार विदेशी अनुदानों में जहां बढो़तरी हो रही है वहीं बड़ी संख्या में पंजीकृत संगठनों ने सालाना रिटर्न जमा नहीं कराया है।

हालांकि, देश में एनजीओ की संख्या और उनके अभियान में खर्च होने वाली राशि के बारे में कोई केंद्रीकृत डाटाबेस नहीं है लेकिन गैर आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, ट्रस्ट एक्ट आदि के तहत 20 लाख से ज्यादा एनजीओ पंजीकत हैं।

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