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भारत का पलटवार, सबूतों का हो सकता था इस्तेमाल

भारत ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान के न्यायिक आयोग द्वारा एकत्र किये गये साक्ष्य का आतंकी हमले में शामिल लोगों को दंडित करने के लिए सबूत के रूप में इस्तेमाल हो सकता...

भारत का पलटवार, सबूतों का हो सकता था इस्तेमाल
Tue, 17 Jul 2012 03:47 PM
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मुंबई में 2008 के आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान की एक अदालत के फैसले से खफा भारत ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान के न्यायिक आयोग द्वारा एकत्र किये गये साक्ष्य का आतंकी हमले में शामिल लोगों को दंडित करने के लिए सबूत के रूप में इस्तेमाल हो सकता था।
   
केन्द्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने कहा कि हमारा मानना है कि पाकिस्तानी आयोग द्वारा एकत्र साक्ष्यों का सबूत के रुप में इस्तेमाल हो सकता था।
   
वह रावलपिंडी की एक अदालत के उस फैसले पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें कहा गया है कि भारत की यात्रा करने वाले न्यायिक आयोग के सभी निष्कर्ष गैर कानूनी हैं और उन्हें मुंबई में 2008 के आतंकी हमलों के आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता।
   
रावलपिंडी की यह अदालत लश्कर-ए-तैयबा कमांडर जकी उर रहमान लखवी सहित मुंबई आतंकी हमले के सात आरोपियों के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही है।
   
सिंह ने कहा कि भारत को पाकिस्तान की अदालत के फैसले की जानकारी है और हम इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के जरिए पाकिस्तान के अधिकारियों से अदालत के फैसले की प्रति मांगेंगे।
   
उन्होंने कहा कि आदेश का अध्ययन करने के बाद हम पाकिस्तान सरकार के साथ चर्चा करेंगे कि वे इस आदेश को लेकर क्या करना चाहते हैं। अभियोजन पक्ष को क्षटका देते हुए रावलपिंडी स्थित आतंकवाद रोधी अदालत के न्यायाधीश चौधरी हबीब उर रहमान ने कहा कि मार्च में मुंबई जाने वाले पाकिस्तानी न्यायिक आयोग की सभी कार्यवाही और रपट गैर कानूनी है।
   
आरोपियों का बचाव कर रहे वकीलों ने पाकिस्तानी न्यायिक आयोग की रपट का यह कहते हुए विरोध किया था कि रपट का कोई कानूनी महत्व नहीं है, क्योंकि आयोग को मुंबई यात्रा के दौरान गवाहों से पूछताछ की अनुमति नहीं दी गई।
   
आठ सदस्यीय आयोग में अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के वकील शामिल थे। आयोग के सदस्यों ने मुंबई यात्रा की थी और एक न्यायाधीश, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तथा दो डॉक्टरों से बातचीत की थी। इन दो डॉक्टरों ने ही हमले में मारे गये आतंकवादियों के शवों का पोस्टमार्टम किया था।
   
भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि गवाहों से पूछताछ की इजाजत नहीं दिया जाना भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के अनुरूप ही था।

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