फेडरेशन और कोचों पर जमकर बरसे साई महानिदेशक
साई के महानिदेशक जीजी थॉमसन ने भारतीय खेल महासंघों और कोचों पर कड़ा प्रहार करते हुए गुरुवार को कहा कि देश में प्रतिभाएं होने के बावजूद वे पदक विजेता खिलाड़ी तैयार नहीं कर पा रहे...
भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के महानिदेशक जीजी थॉमसन ने भारतीय खेल महासंघों और कोचों पर कड़ा प्रहार करते हुए गुरुवार को कहा कि देश में प्रतिभाएं होने के बावजूद वे पदक विजेता खिलाड़ी तैयार नहीं कर पा रहे हैं।
थॉमसन ने गुरुवार को यहां स्पोर्ट्स मेंटर की राष्ट्रीय स्कूल चैंपियनशिप को लॉन्च किए जाने के अवसर पर कहा कि हमारे यहां तमाम फेडरेशनों में जूनियर खिलाड़ियों के लिए कोई सही नीति नहीं है। हम फेडरेशनों को 160 करोड़ रुपए देते हैं लेकिन किसी भी फेडरेशन के पास एथलीटों के विकास के लिए दीर्घकालीन नीति नहीं है।
साई महानिदेशक ने फेडरेशनों के साथ-साथ कोचों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कोच जब एक बार सरकारी नौकरी में आ जाते हैं तो वे खेल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे कोचों में प्रतिबद्धता का सख्त अभाव है जबकि दूसरे देशों में ऐसा नहीं है।
थॉमसन ने कहा कि ब्रिटेन में 35000 कोच हैं और इनमें से 80 प्रतिशत स्वैच्छिक हैं जिन्हें कोई भुगतान नहीं मिलता है। साई में हमारे पास सिर्फ 1500 कोच हैं और इनमें भी 300 पद अभी खाली पड़े हुए हैं। एक बार सरकारी नौकरी पर आ जाने के बाद हमारे कोच अपनी जिम्मेदारी भूल जाते हैं। क्याकिंग का कोच पटियाला में ट्रांसफर मांगता है जबकि मुक्केबाजी का कोच त्रिवेन्द्रम में। यह स्थिति बिल्कुल उलट होती है क्योंकि दोनों ही जगह उनके खेल की ट्रेनिंग नहीं होती है।
थॉमसन ने कहा कि हम अबसे चार साल बाद अंडर-17 विश्वकप फुटबॉल की मेजबानी का दावा कर रहे हैं लेकिन हमारे पास इस स्तर पर ऐसी टीम नहीं है जो प्रारंभिक स्तर पर भी खेल सके। हम यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप की बात करते हैं लेकिन हम स्कूल स्तर की चैंपियनशिप पर ध्यान नहीं दे पाते।
उन्होंने कहा कि मैं खुद केरल से हूं जहां स्कूल स्तर पर वार्षिक चैंपियनशिप कराई जाती है। हमें प्रतिभाओं को आगे लाना है तो इसके लिए स्कूल स्तर पर पहल करनी होगी। हमारी दीर्घकालीन एथलेटिक्स विकास कार्यक्रम शुरु करने की योजना है।
फेडरेशनों को आडे हाथों लेते हुए थॉमसन ने कहा कि मैं हॉलैंड गया था तो वहां हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की प्रतिमा लगी हुई थी और हमसे पूछते थे कि हमने आपसे हॉकी सीखी है और अब हमारा एक व्यकित आपको हॉकी सिखा रहा है। आखिर आपकी हॉकी को हुआ क्या है। यह इशारा हॉकी इंडिया के परफॉरमेंस मैनेजर रोलेंट ओल्टमैंस की तरफ था।