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गुर्दे का कैंसर: यहां जानें इसके बारे में सब कुछ

कई बीमारियां आमतौर पर इसलिए जानलेवा साबित होती हैं, क्योंकि उनके बारे में मौजूद आधुनिक तकनीकों के प्रति जागरूकता कम है। ऐसी ही एक बीमारी है गुर्दे का कैंसर। अगर समय पर ध्यान दिया जाए तो गुर्दे के...

गुर्दे का कैंसर: यहां जानें इसके बारे में सब कुछ
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 09 May 2017 08:30 PM
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कई बीमारियां आमतौर पर इसलिए जानलेवा साबित होती हैं, क्योंकि उनके बारे में मौजूद आधुनिक तकनीकों के प्रति जागरूकता कम है। ऐसी ही एक बीमारी है गुर्दे का कैंसर। अगर समय पर ध्यान दिया जाए तो गुर्दे के कैंसर से पूरी तरह मुक्ति पाई जा सकती है।

क्या है गुर्दे का कैंसर
गुर्दे के कैंसर में गुर्दे की कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होती है, जिससे वास्तव में गुर्दे के ऊतक में एक ट्यूमर बन जाता है। गुर्दे के कैंसर के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें से सबसे साधारण बच्चों में विल्म ट्यूमर और वयस्कों में गुर्दे के सेल का कार्सिनोमा (इसे हाइपरनेफ्रोमा भी कहा जाता है) होता है।

क्या हैं लक्षण
फोर्टिस हॉस्पिटल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विकास गोस्वामी बताते हैं कि अकसर मूत्र के साथ खून आना या मूत्र का रंग गाढ़ा लाल हो जाना इसका लक्षण है। यदि आपके पेट में दोनों तरफ लगातार टीस के साथ दर्द हो रहा है तो आपको बिना देर किये अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए, क्योंकि यह आपके शरीर में छिपा हुआ कैंसर हो सकता है, जो खतरनाक ढंग से आपके गुदार्ें को अपनी चपेट में ले रहा हो। हल्का बुखार आना, लगातार वजन कम होना, हमेशा थकान महसूस करना और मितली आना बताता है कि आपके गुर्दे के साथ सब कुछ ठीक नहीं है।

ठीक हो सकती है यह बीमारी
एक शोध के अनुसार देर से डॉक्टरी परामर्श लेने के कारण दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष 7 करोड़ 36 लाख लोगों की पेट के कैंसर से मृत्यु हो जाती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि पेट के कैंसर से लोगों की मृत्यु होती है, जबकि समय रहते डॉक्टर की सलाह से वे पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
डॉ. गोस्वामी कहते हैं कि शुरुआती लक्षणों को गंभीरता से लिया जाना बेहद आवश्यक होता है। कई रोगी इन लक्षणों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते और इलाज में देर हो जाती है। इलाज में ज्यादा देर हो तो विकल्प काफी सीमित हो जाते हैं और समस्या गंभीर हो जाती है।

गुर्दे के कैंसर से रहेंगे दूर, इन बातों का रखें ध्यान
 

धूम्रपान
अगर आप धूम्रपान करते हैं तो किडनी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। धूम्रपान करने वालों में औसतन 50 प्रतिशत किडनी कैंसर होने का खतरा होता है। अगर आपके धूम्रपान की लत बढ़ती जा रही है तो यह प्रतिशत बढ़ भी सकता है। जो लोग सिगरेट पीते हैं, उनमें किडनी कैंसर की आशंका धूम्रपान न करने वालों से दोगुनी होती है।

आनुवंशिक कारण
कुछ लोगों में खराब जीन्स के कारण किडनी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। डीएनए में किसी भी तरह के बदलाव करने से जीन्स असामान्य ढंग से काम करने लगती है। इन कारणों से होने वाले कैंसर को आनुवंशिक कहा जाता है। वैज्ञानिक इस तरह की जीन की खोज में लगे हैं, जो किडनी कैंसर के लिए जिम्मेदार होती है, ताकि भविष्य में डॉक्टरों को इस तरह के मामलों को सुलझाने में मदद मिल सके। जिन लोगों को आनुवंशिक कारणों से किडनी कैंसर होता है, उनमें अकसर दोनों किडनी में कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं। उनकी प्रत्येक किडनी में कई ट्यूमर हो सकते हैं। आनुवंशिक कैंसर से ग्रस्त व्यक्ति में अकसर कम उम्र में ही इसके लक्षण दिखने लगते हैं।

उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप से भी किडनी की समस्या हो सकती है। किडनी हमारे शरीर से दूषित पदाथार्ें को बाहर निकालती है। उच्च रक्तचाप के कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी या मोटी हो जाती हैं। इस  कारण किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती और खून में दूषित पदार्थ जमा होने लगते हैं। और कुछ समय बाद किडनी कैंसर के लक्षण दिखायी देने लगते हैं।

एल्कोहल का अधिक सेवन   
एल्कोहल का सेवन करने वाले लोगों में किडनी कैंसर की समस्या हो सकती है। एल्कोहल की लत से किडनी पर बुरा असर पड़ता है, जिससे किडनी कैंसर के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। एल्कोहल न पीने वाले लोगों में एल्कोहल पीने वाले लोगों की अपेक्षा इसका खतरा बहुत कम होता है।

मोटापा
विशेषज्ञों का मानना है कि किडनी कैंसर के बढ़ते मामलों की एक प्रमुख वजह मोटापा है। एक शोध के अनुसार, मोटापे की वजह से किडनी कैंसर का खतरा लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाता है। बहुत कम लोग इस बात को समझ पाते हैं कि वजन ज्यादा होने से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। 

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