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मथुरा जितनी बड़ी उपलब्धि, उतना छोटा जश्न

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के लिए क्वालीफाई करने वाली प्रेरणा शर्मा का जश्न फीका रहा। खुद की सफलता पर खुद झूमने के सिवा उसके पास कुछ नहीं था। थी, तो बस वह मां जिसने उसे बचपन किराए की कोठरी में पाला...

मथुरा जितनी बड़ी उपलब्धि, उतना छोटा जश्न
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 18 Jan 2017 10:20 PM
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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के लिए क्वालीफाई करने वाली प्रेरणा शर्मा का जश्न फीका रहा। खुद की सफलता पर खुद झूमने के सिवा उसके पास कुछ नहीं था। थी, तो बस वह मां जिसने उसे बचपन किराए की कोठरी में पाला है। हां, इतना जरूर था कि प्रेरणा की उपलब्धि से अनजान मोहल्ले के दो-तीन बच्चे जरूर ढोल नगाड़े की धुन पर थिरकने जरूर आ गए।

गुरुवार की सायं सौंख रोड स्थित पदमपुरी कॉलोनी में कुछ प्रेरणा के घर के दरवाजे पर कुछ ऐसा ही नजारा था। जीएलए कालेज में इतिहास रचकर अपनी मां के साथ घर पहुंची प्रेरणा और उसकी मां को जरूर पता था कि उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत सपना आज पूरा हुआ है। खुशी से फूली नहीं समां रही प्रेरणा के गले में दो गेंदे के फूलों की माला थीं, जो उसे जीएलए में गिनीज बुक के लिए क्वालीफाई करने पर पहनाई गई थीं। यही माला घर की दहलीज तक उसके साथ चली आईं। मां तो मां है। उससे न रहा गया तो वह दौड़ कर दो ढोल वालों को बुला लाई।

कुछ पटाखे भी खरीद लिए। बस, फिर क्या था मां बेटी दोनों घर के दरवाजे पर अकेले थिरकती रहीं। ढोल की आवाज सुन आसपास के लोग घर के दरवाजों पर आ गए। तभी कुछ बच्चे दौड़कर आए और ढोल धुन पर पर नाचने लगे। घर के दरवाजे पर स्टील की प्लेट में चावल के चंद दाने, रोली और मिठाई का एक टुकड़ा लेकर प्रेरणा की दादी खड़ी फूले नहीं समां रही थी।

तभी कुछ बच्चों ने पटाखे चला दिए तो प्रेरणा बोली एक मैं भी चलाऊंगी। बस, प्रेरणा के पटाखे चलाने के साथ ही उपलब्धि का यह जश्न थम गया। क्वालीफाई करने से पहले प्रेरणा ने हर किसी से कहा जरूर था कि जीएलए आना। परंतु, सिर्फ इसके मोहल्ले से छगन लाल पहुंचे। शायद, उनको पता था कि प्रेरणा सफलता की किस दहलीज पर कदम रखने जा रही है।

मां बनी सफलता की धुरी

अपनी इस उपलब्धि से बेहद खुश प्रेरणा इसका श्रेय अपनी मां को देती है। बेहद तंगहाल जिंद्गी व ट्यूशन करके घर व अपना गुजारा करने वाली प्रेरणा के सिर पर पिता का भी हाथ नहीं है। न ही नाते-रिश्तेदारों का कोई सपोर्ट है।

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