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सरकारी विभागों और बिल्डरों की साठगांठ-एनजीटी

यमुना के डूब क्षेत्र को लेकर एनजीटी का कड़ा रुख बरकरार है। पिछली सुनवाई के दौरान जहां ट्रिब्यूनल ने पुरानी सभी रिपोर्टों को खारिज कर दिया था तो बुधवार को नई कमेटी के गठन का आदेश दिया। कहा कि बिल्डरों...

सरकारी विभागों और बिल्डरों की साठगांठ-एनजीटी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 30 Nov 2016 07:40 PM
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यमुना के डूब क्षेत्र को लेकर एनजीटी का कड़ा रुख बरकरार है। पिछली सुनवाई के दौरान जहां ट्रिब्यूनल ने पुरानी सभी रिपोर्टों को खारिज कर दिया था तो बुधवार को नई कमेटी के गठन का आदेश दिया। कहा कि बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए रिपोर्ट पेश नहीं की जा रही है। बिल्डरों की सरकारी विभागों से साठगांठ है। सुनवाई की अगली तिथि 22 दिसंबर नियत की गई है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पिछली तारीख पर डूब क्षेत्र का फिर से चिन्हांकन करने के आदेश जारी कर दिए। जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बेंच द्वारा कोर्ट रजिस्ट्रार व अन्य विभागों की पुरानी सभी रिपोर्टों को खारिज कर दिया गया था। आदेश दिया था कि एक एडवाइजरी कमेटी बने और नए सिरे से फ्लड जोन की पैमाइश कराई जाए। 30 नवंबर तक रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए गए थे। बुधवार को सुनवाई के दौरान रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं की गई। ट्रिब्यूनल ने कहा कि बिल्डरों के साथ सरकारी विभागों की सांठगांठ है। कोर्ट ने एक नई कमेटी बनाने का आदेश दिया और फिर से डूब क्षेत्र की पैमाइश कराने को कहा। इस कमेटी के समन्वयक मुख्य अभियंता सिंचाई होंगे। कमेटी में रुड़की की वॉटर रिसोर्स डिपार्टमेंट को भी शामिल किया गया है, जो डूब क्षेत्र का सही पता लगाने में कमेटी की मदद करेगा।

राजस्व विभाग भी करेगा मदद

एनजीटी ने राजस्व विभाग को भी इस नई कमेटी में शामिल किया है। कमेटी में राजस्व विभाग के अफसर शामिल रहेंगे। राजस्व विभाग के पुराने नक्शों व डूब क्षेत्र के अभिलेखों को भी कमेटी की रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। बाढ़ आने पर प्रभावित लोगों को राजस्व विभाग द्वारा ही मुआवजा राशि वितरित की जाती है।

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