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ई-टिकट पर टैक्स खत्म होने से सिमटी विंडो की भीड़, जानिये कैसे

रेलवे के ई-टिकट पर लगने वाले सर्विस टैक्स को खत्म करने के फैसले का अब असर दिखने लगा है। यात्रियों का रुझान जहां ई-टिकट की तरफ अधिक हुआ है, वहीं रेलवे की विंडो पर भीड़ सिमटने लगी है। स्टेशनों पर बनने...

ई-टिकट पर टैक्स खत्म होने से सिमटी विंडो की भीड़, जानिये कैसे
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 20 Apr 2017 12:00 PM
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रेलवे के ई-टिकट पर लगने वाले सर्विस टैक्स को खत्म करने के फैसले का अब असर दिखने लगा है। यात्रियों का रुझान जहां ई-टिकट की तरफ अधिक हुआ है, वहीं रेलवे की विंडो पर भीड़ सिमटने लगी है। स्टेशनों पर बनने वाली विंडो टिकट पर 15 से 20 फीसदी की कमी आई है। हालांकि कैशलेस व्यवस्था होने से विंडो टिकट बनाने में लगने वाला समय बढ़ गया है।

देश में नोट बंदी के बाद केंद्र सरकार ने कैशलेस पर जोर दिया था। इसी के तहत रेलवे में भी कई नए नियम लागू किए गए थे। स्टेशनों पर टिकट बनवाए जाने के लिए स्वैपिंग मशीन सिस्टम स्थापित किया था, वहीं रेलवे की सहयोगी इकाई आईआरसीटीसी ने ई-टिकट पर लगने वाले सर्विस चार्ज को खत्म कर दिया। यानि वेबसाइट से बनवाई जाने वाली ई-टिकट और विंडो टिकट के दाम एक समान किए गए। इससे धीरे-धीरे लोगों का रुझान ई-टिकट की तरफ बढ़ा, जिसका असर अब जाकर दिखने लगा है।

इस तरह सिमट रही भीड़

आगरा रेल मंडल के कैंट, राजामंडी, फोर्ट और मथुरा स्टेशन पर हर दिन बनने वाले विंडो टिकट में लगभग 20 फीसदी तक की कमी आई है। कैंट स्टेशन पर पहले चार विंडो खुलती थी। यहां हर विंडो पर दिन भर में 400 टिकट बनते थे। चारों विंडो पर 1500 से अधिक टिकट बन जाते थे, मगर अब यह आंकड़ा 1200 के आसपास रह गया है। राजामंडी स्टेशन पर एक बार में दो विंडो चलती हैं। यहां दिन भर में करीब 800 टिकट बनते थे जो अब करीब 600-650 रह गए हैं। फोर्ट, मथुरा, ईदगाह पर भी यही स्थिति है।

स्टेशनों पर कम की जा रहीं विंडो

स्टेशनों की विंडो पर भीड़ कम होने से अब विंडो कम की जा रही हैं। कैंट स्टेशन पर चार की जगह तीन विंडो संचालित होती है। राजामंडी स्टेशन पर भीड़ के चलते एक अतिरिक्त विंडो खोली जाती थी, जिसे पूरी तरह बंद कर दिया है। मथुरा, ईदगाह और फोर्ट पर भी भीड़ के हिसाब से विंडो कम करने के निर्देश किए हैं।

कैशलेस ने बढ़ा दिया समय

दूसरी ओर कैशलेस व्यवस्था होने से स्टेशनों पर टिकट बनने में लगने वाला समय बढ़ गया है। स्वैपिंग मशीन के जरिये टिकट कराने से पहले डेबिट/क्रेडिट कार्ड की डिटेल बुकिंग क्लर्क को देनी होती है। टिकट जारी करने से पहले साफ्टवेयर में कार्ड की डिटेल भरी जाती है। इसके बाद टिकट बनती है। ऐसी टिकट का रिफंड भी कैश में नहीं किया जाता, बल्कि खाते में ट्रांसफर होता है। इस प्रक्रिया में पहले की अपेक्षा लगभग दोगुना समय लग रहा है।

- ई-टिकट के लिए कई माध्यम होने और टैक्स खत्म होने से निश्चित ही लोगों का रुझान बढ़ा है। उम्मीद है आने वाले समय में भीड़ को काफी कम किया जा सकेगा।

- नीरज भटनागर, डीसीएम।

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ऐसे कर सकते हैं ई-टिकट

- आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर ई-टिकट बुकिंग ऑप्शन चुनकर टिकट बुक करा सकते हैं।

- आईआरसीटीसी ने ई-टिकट बुकिंग को आईआरसीटीसी टिकट बुकिंग के नाम से एक एप भी बनवाया है।

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