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एसएन में पोस्टमार्टम की बारीकियां सीखेंगे डॉक्टर-पुलिस

मर्डर मिस्ट्री या फिर ऐसी वारदातों में जिनमें पोस्टमार्टम के बाद भी कारण स्पष्ट नहीं हो पाते हैं। उसमें बिसरा प्रिजर्व कर रख दिया जाता है और महीनों तक फोरेंसिक जांच के लिए फाइलें घूमती रहती हैं, मगर...

एसएन में पोस्टमार्टम की बारीकियां सीखेंगे डॉक्टर-पुलिस
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 22 Nov 2016 07:30 PM
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मर्डर मिस्ट्री या फिर ऐसी वारदातों में जिनमें पोस्टमार्टम के बाद भी कारण स्पष्ट नहीं हो पाते हैं। उसमें बिसरा प्रिजर्व कर रख दिया जाता है और महीनों तक फोरेंसिक जांच के लिए फाइलें घूमती रहती हैं, मगर अब ऐसे ही कारणों का पता लगाने के लिए एसएन में यूपी का पहला प्रदेश स्तरीय फोरेंसिक ट्रेनिंग सेंटर खुलने जा रहा है, जिसमें प्रदेश के डॉक्टर ही नहीं बल्कि पुलिस भी प्रशिक्षण लेगी।

एसएन मेडिकल कॉलेज में पिछले दो साल से चल रही फोरेंसिक ट्रेनिंग सेंटर की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। कॉलेज को सरकार ने फोरेंसिक ट्रेनिंग सेंटर के लिए नोडल सेंटर के रूप में चुना था। इसके तहत दो करोड़ रुपये की धनराशि भी स्वीकृत की गई है। इस धनराशि से कॉलेज प्रशासन ने उपकरणों की खरीद शुरू कर दी है। आगे की किश्त की डिमांड की गई है।

ऐसे संचालित होगा ट्रेनिंग सेंटर

कॉलेज के फोरेंसिक विभाग के अधीन संचालित होने वाले ट्रेनिंग सेंटर में प्रदेश भर से पीएम ड‌्यूटी करने वाले डॉक्टरों के बैच तैयार किए जाएंगे। इन्हें बैच के हिसाब से दो से तीन माह की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसी तरह पुलिस विभाग से भी सब इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर और सीओ ग्रेड के अधिकारियों को बैच के आधार पर ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाएगा। इन्हें बाकायदा ट्रेनिंग के सर्टीफिकेट जारी होंगे।

फोरेंसिक में दो डिप्लोमा पाठयक्रम भी होंगे

सेंटर के नोडल अधिकारी बनाए गए एसएन फोरेंसिक डिपार्टमेंट हेड डॉ. अजय अग्रवाल बताते हैं कि फोरेंसिक में दो डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे। इस पाठयक्रम के लिए अभी मंथन चल रहा है कि किस ग्रेड के छात्रों को पाठ्यक्रम देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

पुलिस को ट्रेनिंग इसलिए जरूरी

डॉ. अजय अग्रवाल कहते हैं कि किसी भी वारदात या घटना होने पर पुलिस पहुंचती है। घटना स्थल पर कई ऐसे साक्ष्य होते हैं, जिन्हें सही तरह इकट्ठा किया जाए तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ उन्हें मैच कर सही कारण आसानी से पता कर सकते हैं, मगर कई बार उस स्तर पर भी गलती हो जाती है, इसलिए पुलिस महकमे को भी ट्रेनिंग की खास जरूरत है।

जहर के केसों की जांच को खुलेगी टॉक्सीकोलॉजी लैब

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक कई बार पॉयजन के केस में स्पष्ट नहीं हो पाता कि सामने वाले ने कौना सा और किस मात्रा में पॉयजन लिया है। इसके लिए सेंटर के अधीन ही टॉक्सीकोलॉजी लैब भी खोली जा रही है। इस लैब से ये सभी कारण स्पष्ट हो सकेंगे।

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