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दूसरे खेलों की सोचें

हमारे देश में क्रिकेट को जिस तरह समर्थन मिलता है, वैसा अन्य खेलों को क्यों नहीं मिलता? प्रधानमंत्री ने भी अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि क्रिकेट की तरह ही बाकी खेलों में भी भारत का...

दूसरे खेलों की सोचें
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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हमारे देश में क्रिकेट को जिस तरह समर्थन मिलता है, वैसा अन्य खेलों को क्यों नहीं मिलता? प्रधानमंत्री ने भी अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि क्रिकेट की तरह ही बाकी खेलों में भी भारत का डंका दुनिया में बजना चाहिए। लेकिन जब तक दूसरे खेलों के प्रति आम आदमी की रुचि नहीं बढ़ेगी, तब तक वे लोकप्रिय कैसे होंगे? देखा जाए, तो क्रिकेट के प्रति रुझान की वजह उसमें अकूत पैसा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड काफी  अमीर और ताकतवर संगठन है। यह ताकत दूसरे खेल-बोर्डों के पास नहीं है। एक दिक्कत मीडिया के स्तर पर भी है, जो दूसरे खेलों को कम तवज्जो देता है। अगर लोग और सरकार मिलकर अन्य खेलों के लिए भी प्रेम और जज्बा दिखाएं, तो तस्वीर आसानी से बदली जा सकती है।
विवेकानंद विमल

बेवजह का आंदोलन
स्वर्णकारों का आंदोलन बिना वजह का लगता है। मुझे लगता है कि उनका विरोध एक फीसदी उत्पाद शुल्क पर नहीं, बल्कि काली कमाई पर रोक की वजह से है। इन्हें भला ग्राहकों की फिक्र कब से होने लगी? बिना बिल के गहने बेचना, बिना हॉल मार्क वाली धातुएं बेचना ,औने-पोने दर पर ग्राहक का माल खरीदना और अपना माल ऊंचे दर पर बेचना, जैसे काम अधिकतर स्वर्णकार करते हैं। इसलिए संभव है कि अब इनके ऐसे कामों पर कुछ हद तक रोक लग जाए, जिस कारण ये विरोध का बिगुल बजा रहे हैं। राजनीति के जो धुरंधर इनके समर्थन में धरना-प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं, क्या उन्होंने कभी इन विषयों पर सोचा है कि ये ग्राहक को कितना लूटते हैं? बेशक हम ग्राहकों का कोई यूनियन नहीं है, लेकिन हमारे हितों का ध्यान भी देश के राजनेताओं को रखना ही चाहिए।
सतीश त्यागी 'काकड़ा', गाजियाबाद

दिखावे की जांच
यह जगजाहिर सच है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकी संगठनों को मदद करके भारत में आतंकी गतिविधियां चलाती है। सवाल यह है कि जो आईएसआई खुद आतंकियों का पोषण करती है, वह या उससे जुड़े लोग क्या भारत में हुए किसी आतंकी हमले की निष्पक्षता से जांच कर सकते हैं? ऐसे में, पठानकोट हमले की जांच करने आए दल की निष्पक्षता पर सवाल उठना लाजिमी है, क्योंकि उस दल में एक आईएसआई अधिकारी भी शामिल था। लिहाजा पाकिस्तान या उसके जांच दल से अपेक्षा रखना व्यर्थ है। यह कुछ ऐसा ही है कि दूध की रखवाली बिल्ली को सौंप दी गई हो।
तारीक खान

विरोध का ड्रामा
जिस तरह एक मां बच्चे को जन्म देती है और बहुत कुछ सहकर भी उसका बेहतर पालन-पोषण करती है, उसी तरह यह धरती भी एक मां की तरह हमारी सेवा करती है, हमारा ध्यान रखती है। इसका शुक्रिया अदा करने के लिए ही हम इसे मां का दर्जा देते हैं और इसकी 'जयकार' करते हैं। इसमें मजहब की बात करना औचित्यहीन है। 'भारत माता की जय' का विरोध सिर्फ अपनी अहमियत बरकरार रखने का ड्रामा है।
हंसराज भट, मुंबई

जीत के मायने
एक ऐसे देश के खिलाडि़यों ने इस बार ट्वंटी-20 विश्व कप जीता है, जिन्हें सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिलता! यह बात अपने आप में यकीन करने लायक नहीं है, पर सच यही है। पहले अंडर-19 वर्ल्ड कप, फिर महिला और पुरुष ट्वंटी-20 वर्ल्ड कप जीतकर वेस्ट इंडीज ने खुद को साबित किया है, और दुनिया को दिखा दिया है कि अगर खुद पर यकीन हो, तो कुछ भी असंभव नहीं। वेस्ट इंडीज के कप्तान ने खिताब लेते समय जो कुछ बातें कहीं, उनमें से कई दिल को छू गईं। ऐसे देश के खिताब जीतने पर वाकई बहुत खुशी होती है, जिसने संघर्ष करके यह मुकाम हासिल  किया हो। वेस्ट इंडीज टीम वाकई सराहना योग्य है।
राणा चेतन प्रताप, झारखंड

 

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