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बांग्लादेश को जवाब

बांग्लादेश के कुछ शरारती लोगों ने टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की सिर कटी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। उस तस्वीर में धौनी का सिर बांग्लादेश के कप्तान पकड़े हुए थे, मानो उन्होंने धौनी...

बांग्लादेश को जवाब
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 07 Mar 2016 10:01 PM
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बांग्लादेश के कुछ शरारती लोगों ने टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की सिर कटी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। उस तस्वीर में धौनी का सिर बांग्लादेश के कप्तान पकड़े हुए थे, मानो उन्होंने धौनी का शिकार कर लिया हो। मगर फाइनल मैच में धौनी ने छह बॉल में विजयी 20 रन बनाकर ऐसे तत्वों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। एशिया का सिरमौर बनने पर भारतीय टीम को बधाई। उसने काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया।
कजरी मानसी ऐश्वर्यम
गुडगांव, हरियाणा

आत्मविश्वास बढ़ाती जीत
शानदार प्रदर्शन करके भारतीय क्रिकेट टीम ने सबसे ज्यादा छठी बार एशिया कप पर अपना कब्जा कर लिया है। जिस तरह से टीम इंडिया पिछले दो महीनों से खेल रही है, खासकर टी-20 के फॉर्मेट में, वह प्रशंसनीय होने के साथ ही अद्भुत भी है। बहुत समय बाद टीम इंडिया की तरफ से ऐसा आक्रामक खेल खेला जा रहा है। एशिया कप जैसी बड़ी शृंखला में यह जीत आत्मविश्वास तो देती ही है, साथ ही टी-20 विश्व कप के लिए हमें मनोवैज्ञानिक बढ़त भी देती है। हमारे देश में क्रिकेट को लोग जुनून की हद तक पसंद करते हैं। इसलिए भारतीय टीम का मौजूदा खेल देखकर उम्मीद यही है कि इस बार भी टी-20 विश्व विजेता हम ही बनेंगे। सभी क्रिकेट प्रेमियों को इस मौके का बेसब्री से इंतजार है।
मनीष पाण्डेय
दिलशाद गार्डन, दिल्ली

मुद्दों से भटका मीडिया
लोकतंत्र है, तो प्रश्न भी होंगे और प्रश्न होंगे, तो उनके उत्तर भी ढूंढ़े जाएंगे। साढ़े छह दशक पुराने हमारे लोकतंत्र के सामने कुछ शाश्वत प्रश्न हैं, जैसे कि गरीबी और बेरोजगारी आखिर कब खत्म होगी? महंगाई कब काबू में आएगी? सबको शिक्षा और स्वास्थ्य का हक कब तक मिलेगा? लेकिन इन सवालों के सही जवाब अब तक नहीं मिल सके हैं। देश में समस्याएं इतनी हैं कि टीवी चैनलों पर प्रवक्ता किसी भी प्रश्न का कैसा भी उत्तर देकर निकल जाते हैं। लेकिन जब समाज को आईना दिखाने वाले माध्यम इन शाश्वत प्रश्नों को भूलकर राजनीतिक पक्षपात करते हैं, तो एक ईमानदार पत्रकार को उसी तरह के कदम उठाने पड़ते हैं, जैसा हाल ही में एक टीवी पत्रकार ने इस्तीफा देकर उठाया। उनके इस्तीफे की कहानी उन्हीं के पत्र को पढ़कर समझी जा सकती है। सवालों से घिरे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इससे सबक लेना चाहिए। अगर हमारे देश का मीडिया राजनीति के हवाले हो गया, तो लोकतंत्र कुछ धूर्त व ताकतवर लोगों की कठपुतली बनकर रह जाएगा। यह मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी मांग है कि लोगों को आईना दिखाने वाले खुद अपना चेहरा उसी आईने में देखें और अपने लिए सही रास्ते का चुनाव करें।
साकेत आनंद
बेगूसराय, बिहार

औरतों के हक में
महिलाओं के उत्थान के बिना देश का विकास संभव नहीं है। और यह तभी संभव है, जब सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा अन्य क्षेत्रों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़े। आज देश के पिछडे़पन का एक अहम कारण स्त्रियों का समाज में उचित स्थान न मिल पाना है। महिलाएं अगर सबल होंगी, तो आने वाली कई पीढ़ियां सबल, शिक्षित व आत्मनिर्भर बन पाएंगी। लैंगिक समानता आज भी वैश्विक समाज के लिए एक चुनौती बनी हुई है। घटता लिंगानुपात, न्यून साक्षरता दर, ग्रामीण महिलाओं में स्वास्थ्य का गिरता स्तर जैसे कई संकेतक हैं, जो हमारे समाज में स्त्रियों की स्थिति को अच्छा नहीं दर्शाते। आज भी अधिकांश भारतीय घरों में लड़कियों के साथ लैंगिक आधार पर भेदभाव किया जाता है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने इस संदर्भ में आशा जरूर व्यक्त की है कि इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा, लेकिन इसकी शुरुआत हर घर से होनी चाहिए। यदि हर घर में बेटियों का पालन बेटों की तरह हो और उन्हें आगे बढ़ने के लिए एक खुला आसमान दिया जाए, तो हमारी बेटियां नित नया इतिहास रचेंगी।
सुधीर कुमार, राजाभीठा, गोड्डा

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