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कमजोर विपक्ष

उधर मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार का महागठबंधन सपा में चल रही फूट के कारण खटाई में पड़ा हुआ है, और इधर ‘नोटबंदी’ के खिलाफ आवाज उठाने के लिए 16 दलों को साथ जोड़ने का...

कमजोर विपक्ष
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 28 Dec 2016 12:48 AM
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उधर मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार का महागठबंधन सपा में चल रही फूट के कारण खटाई में पड़ा हुआ है, और इधर ‘नोटबंदी’ के खिलाफ आवाज उठाने के लिए 16 दलों को साथ जोड़ने का कांग्रेस का प्रयास भी दम तोड़ता नजर आ रहा है। सत्ता को सही दिशा देने के लिए मजबूत विपक्ष का होना लोकतंत्र में जरूरी है, मगर अभी पूरा विपक्ष बिखरा पड़ा है। तार-तार होता विपक्ष कैसे आने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव में अपनी सशक्त भूमिका निभा पाएगा? वैसे भी काले धन के खिलाफ ‘नोटबंदी’ के मामले में मोदी सरकार को अच्छा जन-समर्थन मिला है। मगर सशक्त विपक्ष का अभाव जनता को जरूर खल रहा है, जो जनहित में जरूरी होता है।
महेश नेनावा, इंदौर, मध्य प्रदेश

नाम में क्या रखा है
किसी भी बच्चे का नाम उसके परिवार द्वारा रखा जाता है। यह परिवार का निजी मामला है, फिर चाहे वह नाम तैमूर हो, तस्लीम या फिर तरुण। यह तो समाज की सोच है कि कुछ नामों को नकारात्मक मान लिया गया है, वरना लोग ही नकारात्मक होते हैं। जब रावण या तैमूरलंग का नाम उनके परिवार ने रखा होगा, तो यह सोचकर नहीं रखा होगा कि ये आगे जाकर खलनायक बनेंगे और इस नाम को ही बदनाम कर देंगे। एक बच्चा आगे क्या बनेगा, यह बात उसे मिलने वाली परवरिश, शिक्षा, संगति से निर्धारित होती है, नाम से नहीं। इसलिए तो कहा गया है कि नाम में क्या रखा है? मनुष्य का कर्म ही उसके नाम की नियति तय करता है। इसलिए सैफ अली खान व करिश्मा कपूर के इस निजी मामले को इतना बड़ा नहीं बनाना चाहिए, बल्कि उस बच्चे को एक इंसान बनने का मौका देना चाहिए।
शोभित गुप्ता, रामपुर

बेनामी संपत्ति पर चोट
नोटबंदी के बाद सरकार अब बेनामी संपत्ति पर शिकंजा कसने की बात कह रही है। देखना होगा कि उसे जनता का वैसा ही साथ मिलता है अथवा नहीं, जैसा नोटबंदी अभियान को मिला है। हालांकि नोटबंदी के दौरान नियम बार-बार बदलने से जनता में थोड़ी निराशा आई है, मगर उसमें खुशी यह है कि अगर बेनामी संपत्ति को निशाना बनाया जाता है, तो गरीबों का भी शायद रहने का कोई अपना ठिकाना होगा।
प्रदीप कुमार तिवारी, ग्रेटर नोएडा

बेघर गरीब
दिल्ली में पुरानी बस्ती को तोड़ा जा रहा है। इसमें करीब दो से तीन हजार गरीब लोग रहते थे और अपना जीवन-यापन करते थे। अब उन्हें दूसरी जगह पर रहने को कहा जा रहा है, और वहां पर उन्हें केवल एक कमरा ही दिया जा रहा है। इस भयानक ठंड में क्या यह गरीबों के साथ अन्याय नहीं हो रहा है? इनमें से कई गरीबों का परिवार इतना बड़ा है, जो एक कमरे में नहीं सिमट सकता। इसलिए जरूरी है कि सरकार इनके साथ न्याय करे।
श्रीराम, रावता मोड़, नई दिल्ली

सुधरेगी गुणवत्ता
बीते सोमवार को अखबार के आमुख पेज पर प्रकाशित समाचार ‘8वीं की बजाय 5वीं के बाद फेल करने की नीति मंजूर’ पढ़ा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का यह प्रस्ताव स्वागतयोग्य है। ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ अनेक खामियों को समेटे थी। अनुतीर्ण न होने की नीति से विद्यार्थियों पर अनुशासनहीनता हावी हो रही थी। वहीं शिक्षण कार्य के प्रति शिक्षकों का रवैया भी रुचिपूर्ण नहीं था। बच्चों के शैक्षणिक स्तर में साल-दर-साल गिरावट आना भी चिंताजनक था। जब विद्यार्थी ककहरा, जोड़-घटाव-गुणा-भाग व भाषा के सामान्य पठन-लेखन से ही अनभिज्ञ रहेंगे, तो वे 8वीं कक्षा के पश्चात विषय पर कैसे पकड़ बना पाएंगे? सतही तौर पर ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ में बदलाव से शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी। अब अध्यापकों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए।
नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा

 


 

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