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कश्मीर का दर्द

उधर दो साल से विदेशों में ड्रम बजाया जा रहा है, और इधर, फिर से कश्मीर सुलग रहा है। मैं किसी की बुराई नहीं, आलोचना कर रहा हूं, क्योंकि आलोचना प्यार करने की अच्छी विधाओं में एक है। मगर मुश्किल यह है कि...

कश्मीर का दर्द
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 18 Jul 2016 09:05 PM
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उधर दो साल से विदेशों में ड्रम बजाया जा रहा है, और इधर, फिर से कश्मीर सुलग रहा है। मैं किसी की बुराई नहीं, आलोचना कर रहा हूं, क्योंकि आलोचना प्यार करने की अच्छी विधाओं में एक है। मगर मुश्किल यह है कि आजकल आलोचना और बुराई का अंतर लोग भूलने लगे हैं। हालांकि यहां मुद्दा यह है कि कुछ लोग असहिष्णुता के नाम पर खूब हो-हल्ला मचा रहे थे, पर आज न पक्ष वाले दिखाई दे रहे हैं, और न विपक्ष वाले। चुनाव के समय हिन्दुस्तान के सबसे बड़े विस्थापित समूह के पुनर्वास का किया गया वादा तो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है, कम से कम उन लोगों की सुरक्षा का तो प्रबंध होना चाहिए, जो वहां बचे हुए हैं। इस समय केंद्र और राज्य दोनों में तो एक ही पार्टी की सरकार है। ऐसे में कोई बहाना नहीं चलने वाला।
सर्वेश मिश्र, मोती नगर, नई दिल्ली
ramjialld@gmail.com

और कितनी मौतें
उत्तराखंड में हर वर्ष बारिश अपना कहर बरपाती है, फिर भी राज्य सरकार इससे होने वाली मुश्किलों को थामने में नाकाम है। इस मसले पर राज्य सरकार की कोई पूर्व-तैयारी नहीं रहती। इस बार भी जुलाई शुरू होते ही नैनीताल में करीब आधा दर्जन लोगों की मौतें हो चुकी हैं। पहाड़ पर जगह-जगह भूस्खलन हो रहे हैं। सारे रास्ते बंद पड़े हैं। पौड़ी और रूद्रप्रयाग में सरकारी और निजी स्कूलों में छुट्टियां घोषित की जा चुकी हैं। लोग घरों में रहने को मजबूर हैं। क्या हम इसे राज्य सरकार की बारिश जैसे संवेदनशील मुद्दे पर हार न मानें?
राजीव शर्मा
 पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड
raajive33@gmail.com

जनता की भी सुनें
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' की तरह 'टॉक टु एके' नाम से एक नई पहल की है। इसके पीछे उनकी मंशा जनता से दो-तरफा संवाद कायम करना है। देखना वाकई दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री की यह योजना कितनी कारगर सिद्ध होती है? मगर सवाल यह है कि इस संवाद के माध्यम से केजरीवाल क्या वाकई जनता की दिल की बात सुनेंगे या सिर्फ अपनी सुनाएंगे? पहले दिन उन्होंने शुरुआती समय अपनी सरकार की सफलता गिनाने और केंद्र पर निशाना साधने को दिया। उन्होंने अपनी हर दूसरी-तीसरी बात में केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। यहां तक कि उन्होंने दिल्ली और केंद्र सरकार के रिश्तों की तुलना भारत-पाकिस्तान से कर दी। क्या इसी के लिए 'टॉक टु एके' शुरू किया गया है? मुख्यमंत्री साहब को चाहिए कि इस कार्यक्रम में लोगों से ज्यादा से ज्यादा सवाल लिए जाएं और उनके जवाब दिए जाएं। दिल्ली की जनता इस कार्यक्रम के जरिये अपनी समस्याएं सरकार तक पहुंचाएंगी, तो जाहिर है कि वे उनका समाधान भी चाहेंगी। आज भी दिल्ली के कई इलाकों में बिजली, पानी की समस्या दूर नहीं हुई है। जरूरत इस कार्यक्रम के बहाने इन दुश्वारियों को पहचानने की होनी चाहिए।
तौहिद आलम
रामगढ़वा, बिहार
mdtauhid.diamond@gmail.com

ठुल्ला का मतलब
एक गाने में 'ठुल्ले' शब्द का प्रयोग हुआ, पर कोई आपत्ति नहीं हुई। इसी तरह, एक कॉमेडी शो में 'ठुल्लु' शब्द का प्रयोग हुआ, तब भी आपत्ति दर्ज नहीं हुई। ऐसा इसलिए, क्योंकि वर्षों से हम 'ठुल्ला' शब्द सुनते आए हैं और इसे एक मजाकिया पर्यायवाची शब्द समझते थे। मगर अब 'ठुल्ला' शब्द का अर्थ माननीय न्यायालय ने केजरीवाल से पूछा है। शब्दकोश में इस शब्द का अर्थ नहीं है। उसमें 'ठिल्ला' और 'ठिल्ली' जैसे शब्द जरूर हैं, जिनका अर्थ क्रमश: मिट्टी का बड़ा बर्तन और मिट्टी का छोटा बर्तन है। ऐसे में, केजरीवाल जी को बधाई कि उन्हें अब इस शब्द का अर्थ बताना है। जो अर्थ वह बताएं, उसे शब्दकोश में जरूर स्थान दिया जाना चाहिए, ताकि एक नए शब्द का ज्ञान तो बढ़े ही, यह विवाद भी सदा के लिए समाप्त हो जाए।
एस पी सिंह
 राजोरी गार्डन, नई दिल्ली

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