उड़ता मध्य वर्ग
महंगाई जैसे मुद्दे को भुनाकर केंद्र में भाजपा की सरकार तो बन गई, लेकिन सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने में विफल रही है। इस सरकार के बनने के बाद दाल, चीनी तथा कुछ अन्य चीजों को छोड़कर खाने-पीने के समान आम...
महंगाई जैसे मुद्दे को भुनाकर केंद्र में भाजपा की सरकार तो बन गई, लेकिन सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने में विफल रही है। इस सरकार के बनने के बाद दाल, चीनी तथा कुछ अन्य चीजों को छोड़कर खाने-पीने के समान आम आदमी की पहुंच में थे, लेकिन बीते कुछ दिनों से फिर से महंगाई रुला रही है। गरीबों की थाली में हरी सब्जी तो पहले भी नहीं थी, मगर अब मध्य वर्ग की थाली से भी हरी सब्जी गायब हो रही है। टमाटर, आलू आदि के दाम आसमान छू रहे हैं। जमाखोरों की वजह से दलहन और तिलहन भी महंगी हो गई है। जनता को नई सरकार से बहुत उम्मीद थी, मगर उस पर पानी फिरता दिख रहा है। सरकार को जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए विशेष नीति बनाने की जरूरत है। इसी तरह, पेट्रो उत्पादों पर भी निगरानी जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत जब कम हुई, तो उसकी तुलना में तेल कंपनियों ने मामूली राहत दी, मगर जब दाम बढ़े, तो भार आम जनता पर डाल दिया गया। एक तरफ, खाद्य पदार्थ और सब्जी महंगी हो गई, तो दूसरी तरफ यात्रा भी महंगी हो गई है। सरकार को कुछ करना चाहिए।
प्रताप तिवारी, देवघर
नशे का जाल
हाल ही में आई फिल्म 'उड़ता पंजाब' ने ड्रग्स माफिया व राजनेताओं के संबंध को अच्छी तरह उजागर किया है। मगर हकीकत यह है कि पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरा देश नशे के जाल में उलझा हुआ है। चुनावों में ही किस तरह शराब पानी की तरह बहाई जाती है, क्या यह लोगों को पता नहीं है? मगर सभी आंखें मूंदे हुए हैं। सरकार को चाहिए कि नशे के इस कारोबार को तुरंत बंद करके एक स्वस्थ समाज का निर्माण करे।
सुनील प्रेमी बौद्ध
सूरजपुर, ग्रेटर नोएडा
शांति का योग
आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में किसी के पास अपने लिए भी समय नहीं बचा है। नतीजतन जिंदगी बहुत छोटी हो गई है। मिलावटी खानों ने भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में, रोगों को दूर करने का एकमात्र उपाय है योग करना। इससे मन को शांत रखने में भी मदद मिलती है, और हम अपने कार्य को और अधिक बेहतर ढंग से कर पाते हैं। आज जब हम दूसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मानाने जा रहे हैं, तो जरूरी यह है कि योग केवल एक दिन तक ही सिमटा न रह जाए। रोजाना योगाभ्यास की ओर हमें बढ़ना चाहिए।
सौरभ कंडवाल, ऋषिकेश
कैराना की सच्चाई
कैराना की हकीकत पर अब भी संशय बना हुआ है, पर मीडिया के माध्यम से जो खबरें आ रही हैं, उनसे साफ पता चलता है कि सारे विवाद की जड़ में है रोजगार! कुछ शरारती तत्व देश का माहौल खराब करने की गंदी साजिश रच रहे हैं। हमारे संविधान में कहा गया है कि हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का हक है, पर कैराना में चुनाव को देखते हुए राजनीति की जा रही है। लोगों का पलायन उनके पेट की मजबूरी है। वहां धार्मिक तबके को भड़काकर लोगों में सांप्रदायिकता फैलाना गलत है। सरकार को इसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
अमित मणि त्रिपाठी
सेक्टर -12, नोएडा
गंभीर परिस्थितियां
यदि ब्रिटेन के जनमत संग्रह के परिणाम यूरोपीय संघ से बाहर होने के रहे, तो इसमें कोई दो राय नहीं कि ब्रिटेन और शेष यूरोप की अर्थव्यवस्था डगमगा सकती है। वैसे एक अच्छी बात जरूर हुई है कि अभी ब्रिटेन की औद्योगिक उत्पादन विकास दर में कुछ वृद्धि हुई है। मगर इसका कितना असर होगा, यह देखने वाली बात है। कुछ लोगों का मानना है कि बहुजातीय पहचान को कायम रखने के लिए ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से बाहर निकलना जरूरी है। खैर फैसला जो भी हो, उम्मीद यही है कि कोई भी निर्णय भावुक होकर नहीं लिया जाएगा।
अमन सिंह
पुराना शहर, बरेली